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सिविल अस्पताल में सेवाओं की फूलने लगी सांसें

सिविल अस्पताल में सिविल सर्जन को फंड खर्चने का अधिकार मिलने के बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 12:57 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 01:10 PM (IST)
सिविल अस्पताल में सेवाओं की फूलने लगी सांसें
सिविल अस्पताल में सेवाओं की फूलने लगी सांसें

जागरण संवाददाता, जालंधर : सिविल अस्पताल में सिविल सर्जन को फंड खर्चने का अधिकार मिलने के बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार नहीं हो रहा है। सुविधाओं के अभाव के चलते मरीजों को खासी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने डीलरों को पुरानी अदायगी जारी करने की बात कही है। सिविल अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली विशेष सुविधाएं न मिलने से निराश लौटना पड़ा। अस्पताल में डायलासिस यूनिट व काला पीलिया के टेस्ट की सेवाएं पहले से ही बंद होने के बाद मंगलवार को एक्सरे, ईसीजी व ब्लड बैंक की सेवाएं ठप हो गई। जानकारी के मुताबिक रेडियोलॉजी विभाग में तकनीकी खराबी व फिल्में खत्म होने व ईसीजी मशीन के ¨प्रट रोल न होने सेवाएं ठप हो गई हैं।

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अस्पताल में सड़क हादसे के बाद जांच करवाने आए बस्ती पीरदाद निवासी रोशन ने बताया कि टांग में दर्द की वजह जानने के लिए एक्सरे करवा ले। कैश काउंटर पर पैसा जमा करवाने के बाद एक्सरे विभाग में पहुंचे तो पता चला वहां तैनात मुलाजिमों ने मशीन बंद होने का हवाला देकर लौटा दिया और कल आने की बात कही। इसके बाद कैश काउंटर से पैसे वापस लेने के लिए काफी भटकना पड़ा और निजी सेंटर से दोगुणा अदायगी कर एक्सरे करवा दवा शुरू करवाई। वहीं मेडकल करवाने की प्रक्रिया के तहत ईसीजी करवाने वाले शाहकोट से आया हरप्रीत भी निराश लौटा। उसकी ईसीजी नहीं हुई पता चला की ईसीजी ¨प्रट रोल न होने से काम बंद है। ब्लड बैंक से भी निराश लौटे लोग

सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में भी खून लेने वालों के मुकाबले खून देने वालों की संख्या काफी कम होने से मरीजों को समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। ब्लड में 15-20 यूनिट ब्लड ही स्टॉक में रह गया। जच्चा बच्चा वार्ड में दाखिल महिला के बच्चे की मौत होने के बाद उन्हें खून लेने में खासी दिक्कतें आई। महिला का हीमोग्लोबिन 7 ग्राम के करीब रह गया था। वार्ड की डॉक्टरों ने खून लाने के लिए कहा परंतु ब्लड बैंक पहुंचने पर निराशा हाथ लगी। आशा वर्कर अमृत कौर ने बताया कि ब्लड बैंक से निराशा हाथ लगने के बाद उनका प्रतिनिधमंडल अस्पताल मेडिकल सुप¨रटेंडेंट से मिला। इसके बाद निजी ब्लड बैंक से खून लेकर आने के बाद आशा वर्कर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे हैं। उन्होंने एमएस को समस्या का समाधान करने की सलाह दी है। काफी हद तक डीलरों की पेमेंट कर दी है। अधिकांश दवाइयों व अन्य समान के लिए मार्केट में डिमांड भेज दी गई है। इस सप्ताह के अंत तक समस्या का समाधान संभव है।

- डॉ. त्रिलोलन ¨सह, सिविल अस्पताल के कार्यकारी एमएस।


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