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अमृतसर में जन्म देकर मां-बाप ने नन्ही परी से किया किनारा, डाक्टर बने सहारा

अमृतसर के गुरुनानक देव अस्पताल में मां ने बच्ची को जन्म दिया और फिर उसे वहीं मरने के लिए छोड़ दिया। डाक्टरों ने नौ दिन बच्ची का उपचार किया और उसे ठीक किया। बच्ची अभी उपचाराधीन है। डाक्टरों ने उसे परी नाम दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 04:00 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 04:00 PM (IST)
अमृतसर में जन्म देकर मां-बाप ने नन्ही परी से किया किनारा, डाक्टर बने सहारा
मां-बाप ने छोड़ी बच्ची, डाक्टर बने सहारा। सांकेतिक फोटो

जागरण संवाददाता, अमृतसर। जननी ने इसे सांसें दीं, पर मरने के लिए छोड़ दिया। गुरुनानक देव अस्पताल स्थित शिशु वार्ड में उपचाराधीन यह बच्ची जिंदगी से जंग हार जाती यदि डाक्टर हिम्मत हार जाते। दस दिन तक मौत के मुंह में फंसी रही। डाक्टरों ने इसे अपनी बेटी मानकर उपचार किया। जब बच्ची को यहां लाया गया था तो उसकी सांसें व धड़कनें असामान्य थीं।

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दरअसल, 25 नवंबर को एक शख्स बच्ची को गुरुनानक देव अस्पताल में छोड़ गया था। यह बच्ची उस समय तीन दिन की थी। इस शख्स ने ओपीडी पर्ची काउंटर पर अपना नाम दर्ज नहीं किया, पर पता सुजानपुर पठानकोट लिखा। बच्ची को बच्चा वार्ड में दाखिल करवाकर वह वहां से निकल भागा। तब से लेकर आज तक पीडिएट्रिक वार्ड की प्रभारी डा. मनमीत सोढी, डा. नरिंदर सिंह, डा. संदीप अग्रवाल व सहयोगी टीम इस बच्ची की तीमारदारी कर रहे हैं। बच्ची को बोतल से दूध पिलाया जा रहा है। तीन नर्सिंग सिस्टर को बच्ची के पास हर वक्त रहने को कहा गया है। डाक्टरों ने बच्ची को परी नाम दिया है। आमतौर पर इस अस्पताल में कई अज्ञात बच्चों को छोड़ दिया जाता है। ऐसे बच्चों का डाक्टर स्वयं अभिभावक बनकर ध्यान रखते हैं।

परी को जिस किसी ने यहां छोड़, वह निश्चित ही पत्थर दिल होगा। परी को मां ने कोख में जगह दी, पर आंचल की खुशियां देने से वंचित रखा। बरहाल, बच्ची की सांसें व धड़कनें अब सामान्य हो चुकी हैं। उसकी किलकारियों से बच्चा वार्ड गुलजार है। डाक्टरों व स्टाफ नर्स की वह दुलारी है। उसे एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ा जा रहा। हालांकि डाक्टरों को इस बात का रंज है कि पुलिस को सूचना देने के बावजूद इस बच्ची के परिवार की तलाश आज तक नहीं की गई। बच्ची अगले दो तीन दिन में पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगी। ऐसे में उसे कहां रखा जाएगा, यह डाक्टरों के लिए चुनौती है।


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