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गरीब महिलाओं की जिंदगी बदल रही ‘पैड वूमेन’

पटियाला की रूहप्रीत ने बेसहारा, अनपढ़ व गरीब महिलाओं की जिंदगी संवारने को अपना मिशन बना लिया है। उन्हें अब ‘पैड वूमेन’ के नाम से जाना जाने लगा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 25 Jan 2018 12:39 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jan 2018 03:51 PM (IST)
गरीब महिलाओं की जिंदगी बदल रही ‘पैड वूमेन’
गरीब महिलाओं की जिंदगी बदल रही ‘पैड वूमेन’

जालंधर [वंदना वालिया बाली]। पटियाला की रूहप्रीत को निजी जीवन में झंझावातों का सामना करना पड़ा। पति ने धोखा दिया। तलाक को मजबूर किया, लेकिन जीवन को निराशा के अंधेरे में धकेल देने के बजाय रूहप्रीत ने जिंदगी को एक मकसद दे दिया। अब वह पूरे जतन से इसमें लग गई हैं। बेसहारा, अनपढ़ व गरीब महिलाओं की जिंदगी संवारने को उन्होंने अपना मिशन बना लिया है। पटियाला की बात करें तो आज यहां उन्हें ‘पैड वूमेन’ के नाम से हर कोई जानता है।

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अभिनेता अक्षय कुमार की मूवी पैडमैन का ट्रेलर तो हाल ही में रिलीज हुआ है और इसके बाद सेनेटरी पैड के बारे में चर्चाएं होने लगी हैं, लेकिन रूहप्रीत ने यह काम बहुत पहले ही शुरू कर दिया था। उन्हें इस बात का इल्म था कि सेनेटरी पैड महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मसला है। उन्होंने पटियाला की झुग्गी बस्तियों में गरीब महिलाओं को सेनेटरी पैड के इस्तेमाल और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना शुरू कर दिया। अब तक वह महिलाओं में पांच हजार सेनटरी पैड बांट चुकी है।

झुग्गी बस्तियों में महिलाओं में जागरूकता फैलातीं पैड वुमैन।

दरअसल, विदेश में की गई शादी टूटने के बाद रूहप्रीत के जीवन में तूफान आ गया। अकेली व असहाय रूहप्रीत तलाक के बाद स्वदेश लौटी। जिंदगी पटरी से उतरती नजर आ रही थी, लेकिन उन्होंने इसे यहीं थाम लिया। मन को शांत करने के लिए झुग्गी- झोंपड़ियों में जाकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। यहां उन्होंने महसूस किया कि इन बच्चों की मांओं, बहनों व किशोरियों में अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की बहुत कमी है।

झुग्गी बस्तियों में पैड वुमैन।

रूहप्रीत बताती हैं, स्वच्छता के अभाव में अधिकांश महिलाएं संक्रमण व अन्य समस्याएं ङोल रही थीं। उन में से अधिकांश को बाजार में मिलने वाले सेनटरी पैड्स की जानकारी भी नहीं थी और वे उनकी आर्थिक पहुंच से बाहर थे। इसलिए वे मासिक धर्म के दौरान गंदे कपड़े का इस्तेमाल करने को मजबूर थीं। इन्हें तो यही समझाना पड़ा कि यह एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। इसके कारण हीन भावना या शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं। न ही इस कारण पढ़ाई या काम से छुट्टी करने की जरूरत है। फिर इन्हें शारीरिक स्वच्छता और बीमारियों से बचाव की बात समझाई। अब ये इस बात को बेहतर तरीके से समझ चुकी हैं।

सेनेटरी पैड्स के लिए लगाएंगी यूनिट

रूहप्रीत बताती हैं कि महिलाओं को इस तरह सेनेटरी पैड मुहैया करवाना हमारे लिए संभव नहीं है। इसीलिए अब मैं स्लम एरिया में ही एक यूनिट लगाने पर विचार कर रही हूं। जिसमें सस्ते व ईको फ्रेंडली सेनेटरी पैड्स का निर्माण होगा और गांव की महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा। इनके वितरण का जिम्मा भी इन जरूरतमंद ग्रामीण महिलाओं को ही दिया जाएगा।

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