कैप्टन सरकार के बजट पर बरसा विपक्ष, इंडस्ट्री एवं जनता विरोधी बताया
पंजाब सरकार द्वारा सोमवार को पेश किए गए बजट को विपक्ष ने खोखला, अर्बन जनता विरोधी एवं कांग्रेस की तरफ से अपने ही मेनिफेस्टो को नकारने वाला बताया है।
जागरण संवाददाता, जालंधर। पंजाब सरकार के सोमवार को पेश किए गए बजट को विपक्ष ने खोखला, अर्बन जनता विरोधी एवं कांग्रेस के अपने ही मेनिफेस्टो को नकारने वाला बताया है।
कांग्रेस ने अपना ही मेनिफेस्टो नकारा
भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोरंजन कालिया ने कहा कि कांग्रेस ने बजट में अपने ही मेनिफेस्टो को नकार दिया है। 5 लाख नौकरियां देने का वादा था, मात्र 46 हजार नौकरी देना स्वीकार किया है। वादे के मुताबिक तो दो वर्ष में दो लाख नौकरियां दे देनी चाहिए थी। स्मार्टफोन, बेरोजगारी भत्ता, आशीर्वाद स्कीम तो नजरअंदाज ही है। पेट्रोल की कीमत पांच रुपए प्रति लीटर कम करने की घोषणा भी हरियाणा से ढाई रुपये फिलहाल कम है। बिजली की दरों में भी कोई कटौती नहीं की गई है।
हलके के विकास को लेकर कोई घोषणा नहीं
पूर्व सीपीएस कृष्ण देव भंडारी ने कहा कि पंजाब सरकार का यह बजट शहरी और इंडस्ट्री विरोधी है। कांग्रेस के विधायक एम्स स्तर का अस्पताल लाने के दावे करते रहे, लेकिन हैरानी है कि दादा कॉलोनी में अरसा पहले तैयार हो चुका तीन बेड का सीएचसी अभी तक चालू नहीं किया जा सका है। प्रीत नगर में डाले जाने वाले स्टॉर्म सीवरेज को लेकर भी दावे किए गए थे कि 7 करोड़ के फंड बजट में पास हो जाएंगे, लेकिन बजट में हलके के विकास को लेकर एक भी घोषणा नहीं हुई है।
केंद्र की स्कीमों को अपना बताया
आदमपुर के विधायक पवन कुमार टीनू ने कहा कि बजट खोखला है। जालंधर में आईकॉनिक स्पोर्ट्स काम्पलेक्स बनाने की घोषणा की गई, लेकिन पैसा एक भी नहीं रखा गया। राज्यभर में लगभग 10 खेल स्टेडियम बनाने की घोषणा कर दी है लेकिन फंड मात्र 43 करोड रखा गया है। जबकि एक ही स्टेडियम बनाने पर 20 करोड़ के लगभग खर्च आता है। पंजाब सरकार ने केंद्र की स्कीमों को अपनी बता कर लोगों को बेवकूफ बनाया है।
डीजल की कीमत में होनी चाहिए थी ज्यादा कटौती
जालंधर कैंट विधानसभा हलके से संबंधित यूथ अकाली दल के प्रवक्ता एचएस वालिया ने पंजाब सरकार की ओर से पेश किए गए बजट को व्यापार विरोधी, शहरी जनता विरोधी, झूठा एवं आधारहीन करार दिया है। पेट्रोल की कीमत में 5 रुपये कम कर देना जनता को राहत जरूर देगा, लेकिन कांग्रेस सरकार को यह सोचना चाहिए था कि कृषि एवं इंडस्ट्री की रीढ़ माने जाते डीजल की कीमतों में कटौती बेहद जरूरी थी। मात्र एक रुपए प्रति लीटर से कोई राहत नहीं मिलेगी।