ऑनलाइन ठगी की शिकायत मिलने के एक सप्ताह बाद भी पुलिस शुरू नहीं कर रही जांच
ऑनलाइन ठगी की जांच में पुलिस की सुस्ती के कारण बेखौफ फर्जीवाड़ा हो रहा है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : ऑनलाइन ठगी की जांच में पुलिस की सुस्ती के कारण बेखौफ फर्जीवाड़ा हो रहा है। माई हीरा गेट के पास स्थित सचदेवा क्लॉथ हाउस के मालिक जसविदर सिंह की हालत यही बयां करती है। उनके साथ हुई ठगी की शिकायत पुलिस को दिए एक सप्ताह बीत चुका है। इसके बावजूद अभी तक जांच ही शुरू नहीं हुई। पुलिस कमिश्नरेट में इतने बद्तर हालात हैं कि पुलिसवालों को ही नहीं पता कि शिकायत थाने के पास है, साइबर सेल को भेजी गई या डीसीपी दफ्तर में है। शिकायतकर्ता को चक्कर काटने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसी का फायदा उनके साथ ठगी करने वाले गिरोह के सदस्य उठा रहे हैं। वे अब भी रोजाना उन्हें चार से पांच बार फोन कर फिर से झांसा दे रहे हैं कि ठगी की रकम लौटा देते हैं, वो दूसरा बैंक अकाउंट नंबर दे दें। कपड़ा विक्रेता जसविदर इतने परेशान हो चुके हैं कि अब फोन उठाने से भी कतरा रहे हैं।
जसविदर ने ठगी की शिकायत हफ्ते पहले डीसीपी बलकार सिंह के दफ्तर में दी थी। मामला साइबर क्राइम का होने के बावजूद शिकायत थाना आठ को भेज दी गई। जसविदर वहां पहुंचे तो कहा गया कि शिकायत डीसीपी दफ्तर के जरिए साइबर सेल को भेज दी गई है। थाना अपने रजिस्टर की भी एंट्री दिखा रहा है। वो डीसीपी दफ्तर आए तो यहां उन्हें कुछ बताया नहीं जा रहा। इस बारे में डीसीपी बलकार सिंह ने कहा कि शिकायत पर पुलिस पुख्ता कार्रवाइ करेगी। शिकायत पर अभी तक कार्रवाइ क्यों नहीं हुइ, इसके बारे में संबंधित अधिकारियों से बात करेंगे।
खुद को बता रहे प्राइवेट कंज्यूमर फोरम
हैरानी की बात यह है कि जसविदर सिंह को अब एक लड़की के फोन आ रहे हैं, जो बता रही है कि उनका काम कंज्यूमर फोरम की तरह ही है। उनसे गलत तरीके से पैसे लिए गए हैं, वो पैसे लौटा देंगे। इसके लिए उन्हें अपना अलग अकाउंट नंबर देना होगा, जिसमें पांच हजार या उससे ज्यादा नकदी जमा हो। उनका केस शुरू करने के लिए ढाई हजार रुपये अपने अकाउंट में जमा करवाने के लिए भी कह रहे हैं। जसविदर ने कहा कि यह भी उनके साथ ठगी का ही अलग तरीका अपनाया जा रहा है।
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यह था मामला
सचदेवा क्लॉथ हाउस में संचालक जसविदर सिंह को किसी ग्राहक ने पेटीएम से पेमेंट की। यह पेमेंट वो बैंक में ट्रांसफर नहीं कर पाए और न ही उससे मोबाइल रिचार्ज हुआ। उन्होंने गूगल से सर्च कर पेटीएम हेल्पलाइन पर कॉल की तो उन्हें कहा गया कि पेटीएम का केवाईसी करना होगा। फिर उन्हें आगे किसी का नंबर दिया गया। उसने उनसे गूगल प्ले स्टोर से क्विक सपोर्ट एप डाउनलोड कराया और मोबाइल हैक कर लिया। फिर पेटीएम पर उनका एटीएम कार्ड नंबर व सीवीवी कोड भरवाया, जिसके चंद मिनट बाद उनके खाते से लगभग 40 हजार रुपये ट्रांसफर कर लिए। इसके बाद उन्होंने फिर शिकायत दर्ज कराई तो उन्हें पैसा रिफंड कराने का झांसा दिया जाने लगा।