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पुलिस की सख्ती के कारण 25 फीसद पटाखे हिमाचल भेजे, इस बार प्रदूषण स्तर कम रहने के आसार

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को उम्मीद है कि दिवाली की रात इंडेक्स 170 के आसपास रहने का अनुमान है। पिछले साल इंडेक्स 179 था।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Wed, 07 Nov 2018 04:34 PM (IST)Updated: Wed, 07 Nov 2018 04:34 PM (IST)
पुलिस की सख्ती के कारण 25 फीसद पटाखे हिमाचल भेजे, इस बार प्रदूषण स्तर कम रहने के आसार
पुलिस की सख्ती के कारण 25 फीसद पटाखे हिमाचल भेजे, इस बार प्रदूषण स्तर कम रहने के आसार

सत्येन ओझा, जालंधर। दिवाली से एक दिन पहले तक स्पोर्ट्स सिटी में एयर क्वालिटी इंडेक्स मध्यम दर्जे का रहा। हालांकि इस बार बड़ी राहत की बात है कि दिवाली की रात ये इंडेक्स कम रहने की उम्मीद है। पुलिस की सख्ती के कारण एक चौथाई पटाखे जालंधर से हिमाचल प्रदेश भेज दिए गए हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को उम्मीद है कि दिवाली की रात इंडेक्स 170 के आसपास रहेगा। यह पिछले साल 179 था।

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दरअसल, पुलिस की सख्ती के चलते पटाखा बाजार सिर्फ चार दिन में सिमट गया है। अंदरूनी बाजारों में पटाखे नहीं बिक पा रहे हैं। देहात में पूरी तरह गायब हैं। सूत्रों का कहना है कि पटाखा बाजार का बिजनेस इस बार भी पिछले साल के 20 करोड़ के बराबर ही रह सकता है। हालांकि इस बीच 20-25 प्रतिशत जालंधर का पटाखा हिमाचल के शहरों में सप्लाई हो चुका है। नुकसान की आशंका के चलते पटाखा कारोबारियों ने पहले ही पटाखा ठिकाने लगा दिया है।


शहर में लगे अत्याधुनिक तकनीकी वाले कंटीन्यूइंग एम्बीडेंट एयर क्वालिटी मॉनीटर स्टेशन में दर्ज आंकड़ों की मानें तो इस समय शहर के वातावरण में 21 प्रकार के पार्टिकल्स मौजूद हैं। इनमें पीएम 2.5 पार्टिकल्स की मात्रा भी पाई गई है जो स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है। पीएम-2.5 पार्टिकल्स, पीएम-10 माइक्रोन पार्टिकल्स की तुलना में दो गुना ज्यादा प्रदूषण लेबल बढ़ाते हैं, स्वास्थ्य के लिए भी यही पार्टिकल्स सबसे ज्यादा हानिकारक होते हैं।

क्या है आतिशबाजी की स्थिति
पटाखे का ऑर्डर दीवाली के 15 दिन पहले ही जाने शुरू हो जाते हैं। ऐसे में इस बार भी शहर में पटाखों का भंडार 20 करोड़ के आसपास ही हुआ है। हालांकि इस बार स्थिति पिछले साल से जुदा है। पहले अंदरूनी बाजारों में खुलेआम पटाखे बिकते थे, इस बार ऐसा नहीं है। बल्र्टन पार्क का पटाखा बाजार भी धनतेरस से शुरू हो सका है। पुलिस की सख्ती को देखते हुए जालंधर में स्टोर किए गए पटाखों की बड़ी सप्लाई पहले ही हिमाचल के शहरों को कर दी गई। हिमाचल में अभी आतिशबाजी बिक्री के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता न होने के कारण कारोबारियों ने नुकसान की भरपाई के लिए पहले ही नया रास्ता निकाल लिया था।

इसका परिणाम ये रहा कि इस बार पटाखा बाजार के बिजनेस में तो कमी आती नहीं दिख रही है, लेकिन जालंधर में ये बिजनेस 60-75 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद है। इससे साफ संकेत है कि शहर में इस बार पिछले साल की तुलना में 25 से 30 प्रतिशत तक कमी आने की उम्मीद है, जिले के देहात क्षेत्र में इस बार कोई लाइसेंस जारी न किए जाने से वहां भी आतिशबाजी काफी कम ही रहने की संभावना है।  
 

पिछले साल ये रही स्थिति
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के रिकार्ड के मुताबिक पिछले साल सूबे के बड़े शहरों अमृतसर, लुधियाना और मंडी गोबिंदगढ़ के मुकाबले जालंधर में वायु प्रदूषण का स्तर कम था। पिछले साल दिवाली 19 अक्टूबर की थी। दीवाली से एक सप्ताह पहले तक शहर का इंडेक्स 152 था। मध्यम प्रदूषण लेवल था। दिवाली वाले दिन इंडेक्स 179 तक पहुंच गया था। ये आंकड़ा भी मध्यम लेवल है, लेकिन प्रदूषण की स्थिति गंभीर थी। इस बार धनतेरस वाले दिन इंडेक्स 150 के नीचे था, जो मंगलवार रात तक 152 तक पहुंच सकता है। पिछले साल अमृतसर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 318, लुधियाना में 379 और मंडी गोबिंदगढ़ में 287 आंका गया था। इस बार अभी तक जालंधर से ज्यादा इंडेक्स बठिंडा का है।


जालंधर में अभी तक इंडेक्स 150 के आसपास है जो नियंत्रण में है। दिवाली की रात का इंडेक्स आतिशबाजी पर निर्भर करेगा। माना यही जा रही है कि इस बार पिछले साल की तुलना में प्रदूषण कम रहने की उम्मीद है क्योंकि पराली के साथ ही आतिशबाजी में भी गिरावट का अनुमान है।
-अरुण कक्कड़, पर्यावरण इंजीनियर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जालंधर


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