लतीफपुरा से दो साल में नहीं हट सका कब्जा, हाईकोर्ट से और समय मांगेगा ट्रस्ट
-18 नवंबर तक हाईकोर्ट में देनी है रिपोर्ट पुलिस बल नहीं मिलने से र्कारवाई में रुकावट
जागरण संवाददाता, जालंधर : नगर सुधार ट्रस्ट की लतीफपुरा कालोनी की जमीन से कब्जे हटाने का काम फंस गया है। 18 नवंबर को हाईकोर्ट में लतीफपुरा के कब्जे हटाने की रिपोर्ट देनी है लेकिन अभी तक पुलिस-प्रशासन ने ट्रस्ट को पुलिस बल उपलब्ध करवाने पर कोई जवाब नहीं दिया। ट्रस्ट ने कब्जा हटाने के लिए 400 पुलिस मुलाजिमों की मांग की थी। पुलिस ने ट्रस्ट से लतीफपुरा का नक्शा और यहां बसे लोगों की जानकारी मांगी थी। लतीफपुरा में करीब 50 परिवार रह रहे हैं। इनमें बड़ी गिनती में बुजुर्ग और बच्चे हैं। ट्रस्ट ने यह विवरण इकट्ठा कर लिया है लेकिन अभी तक कमिश्नरेट पुलिस की तरफ से लिखित तौर पर पुलिस बल उपलब्ध करवाने और जानकारी लेने से संबंधी कोई पत्र नहीं मिला। पुलिस प्रशासन ने लतीफपुरा में नए सिरे से पैमाइश करवाने के लिए कहा है। हालांकि निकाय विभाग दोबारा पैमाइश करने से पहले ही इंकार कर चुका है। इस वजह से कब्जे हटाने को लेकर अभी सहमति नहीं बन पा रही। ट्रस्ट अगर कब्जे नहीं हटा पाया तो 18 नवंबर से दो-तीन दिन पहले ही पत्र लिखकर सारी जानकारी कोर्ट में देनी होगी। लतीफपुरा में करीब 100 करोड़ रुपये की जमीन पर लोगों का कब्जा है। सुप्रीम कोर्ट ने जमीन खाली करवाने के आदेश भी दे रखे हैं। हाईकोर्ट ने कंटेप्ट केस में दो साल का समय दिया था। अब दो साल होने को हैं लेकिन कब्जे नहीं हटाने से अफसरों पर तलवार लटक गई है।
छह महीने लटक सकती है कब्जे हटाने की कार्रवाई
शुक्रवार शाम तक पुलिस की तरफ से ट्रस्ट को कोई पत्र नहीं मिला है। 13 और 14 नवंबर को को छुट्टी है। ऐसे में अगले तीन दिन में कब्जे हटाना संभव नहीं होगा। ट्रस्ट 15 या 16 तारीख को ही अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में जमा करवा देगा। अगले डेढ़ महीने में पंजाब में चुनाव आचार संहिता लागू हो सकती है और इसे देखते हुए कब्जे हटाने की कार्रवाई 6 महीने के लिए लटक सकती है।
------------- दबाव की राजनीति : दाना पानी पर हुई थी बड़ी कार्रवाई, शपथ-पत्र लेकर पूरी बिल्डिग खोली जागरण संवाददाता, जालंधर : नगर निगम के बिल्डिंग डिपार्टमेंट ने कांग्रेस नेता मेजर सिंह के रेस्टोरेंट दाना पानी की इमारत की सील पूरी तरह से खोल दी है। नगर निगम ने सभी फ्लोर ओपन कर दिए हैं। नगर निगम की एक टीम एमटीपी मेहरबान सिंह के नेतृत्व में शुकव्रार सुबह ही दाना पानी पहुंच गई थी और करीब 7:30 बजे सील खोल दी गई। हैरानीजनक है कि इमारत में नियमों की कोई बड़ी अनदेखी नहीं की गई थी लेकिन दबाव की राजनीति में पूरी इमारत वीरवार तड़के सील कर दी गई थी। टीपी वजीरराज सिंह ने कहा कि इमारत में माइनर वायलेशन थी जिस वजह से एक्शन लिया गया। उन्होंने कहा कि साल 2006 में इस जमीन पर दो इमारतें खड़ी गई थी जिसे बाद में जोड़ दिया गया था। साल 2008 में बिल्डिंग मालिक ने इसे कंपाउंड करा लिया था। उसके बाद क्या-क्या वायलेशन हुई है इसकी जांच अभी जारी है लेकिन कोई बड़ी वायलेशन सामने नहीं आई। निगम की कार्रवाई से कांग्रेस की किरकिरी हुई और कुछ अफसरों को बदलने के लिए दबाव बनाया गया है।