सांस्कृतिक मूल्यों की समस्याओं को उजागर करता है उपन्यास 'उधड़न'
उपन्यासकार डॉ. अजय शर्मा द्वारा लिखा गया उपन्यास उधड़न का लोकार्पण कालेज परिसर में किया गया।
जागरण संवाददाता, जालंधर : दोआबा कॉलेज के हिंदी विभाग एवं हिंदी साहित्य सभा ने उपन्यासकार डॉ. अजय शर्मा के लिखे उपन्यास 'उधड़न' का लोकार्पण कॉलेज परिसर में किया। उपन्यास का लोकार्पण कहानीकार, आलोचक व कवि डॉ. सिमर सदोष, हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. सोमनाथ शर्मा, प्रिंसिपल डॉ. नरेश कुमार धीमान, पंजाबी विभागाध्यक्ष डॉ. ओमिंदर जौहल और स्टाफ सेक्रेटरी प्रो. संदीप चाहल ने किया। प्रिंसिपल डॉ. धीमान ने कहा कि पंजाब के समकालीन हिंदी साहित्य लेखन में डॉ. अजय शर्मा का स्थान महत्वपूर्ण है। डॉ. सिमर सदोष ने कहा कि लेखक अजय शर्मा ने उपन्यास में तार्किक ढंग से अपनी बात कही है। मनोवैज्ञानिक भावभूमि पर पात्रों की सक्रियता बनाकर उकेरा है। प्रो. सोमनाथ शर्मा ने कहा कि उपन्यास में रिश्तों के उधेड़बुन में फंसा व्यक्ति सामाजिक विस्तार की भावना से आगे बढ़ता है। डॉ. ओमिदर जोहल ने कहा कि भाषा में कहन की ताजगी इस उपन्यास को पढ़ने के लिए विवश करती है तथा वातावरण-सृजन से लेकर संवाद की नवीनता भी शमिल है। डॉ. अजय शर्मा ने कहा कि यह उपन्यास विवाह के बाद पारिवारिक संबंधों में सांस्कृतिक मूल्यों की समस्याओं को मनोवैज्ञानिक ढंग से उजागर करता है। अंतरराज्यीय विवाह संबंधों में सांस्कृतिक मूल्यों का ज्वलंत दस्तावेज है। विवाह के बाद जब हम किसी के भावनात्मक संबंधों को उपेक्षित करते हैं तो व्यक्ति हीन भावना का शिकार हो जाता है, जिससे परिवारिक संबंधों में दरार का पैदा होना अवश्यंभावी बन जाता है। प्रो. संदीप चाहल ने कहा कि कुछ रिश्ते ऐसे होते है, जो किसी नाम के मोहताज नहीं होते हैं। समाज उन्हें स्वीकार करें या न करें, लेकिन वे रिश्ते अपनी जगह समाज में बनाकर रखते हैं। भले ही उन्हें कोई नाम मिले या ना मिले ऐसे ही रिश्तों के ताने बाने को इस उपन्यास में मनोवैज्ञानिक ढंग से बुनने की कोशिश की गई है।