नहीं रहे विश्व विख्यात भजन लेखक बलबीर निर्दोष, लता मंगेशकर ने भी गाईं हैं इनकी लिखी भेंटें
बलबीर निर्दोष के लिखे भजन नरेंद्र चंचल से लेकर अनुराधा पौडवाल सोनू निगम अलका याग्निक लता मंगेशकर सहित कई बड़े गायकों ने गाए हैं।
जालंधर, जेएनएन। शहर निवासी विश्व विख्यात भजन लेखक बलबीर निर्दोष का सोमवार को निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे और कुछ समय से बीमार चल रहे थे। बलबीर निर्दोष ने अपने जीवन में 25 हजार से अधिक भजन और भेटें लिखी थीं। उन्होंने गत 30 दिसंबर को ही अपना 84वां जन्मदिन मनाया था।
सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी के ध्यानु भगत के नाम से जाने जाते भजन लेखक बलवीर 25 हजार से अधिक भजन व भेंटें लिख चुके हैं। बलवीर निर्दोष ने सिद्ध शक्तिपीठ मां त्रिपुरमालिनी के दरबार में उच्चारित चालीसा, आरती व अरदास का लेखन भी किया है। 40 से अधिक अमृतवाणियां लिखकर इतिहास रचने वाले शहर के रहने वाले बलबीर निर्दोष की लेखनी का बॉलीवुड भी मुरीद रहा है।
विख्यात गायकों ने गाए उनके लिखे भजन
बलबीर निर्दोष के लिखे हुए भजनों को नरेंद्र चंचल या अनूप जलोटा ही नहीं बल्कि लता मंगेशकर, आशा भोसले, साधना सरगम, अनुराधा पौडवाल तक ने अपने स्वर दिए। रिचा शर्मा, हरिओम शरण, ऊषा मंगेशकर, अलका याग्निक, महेंद्र कपूर, सोनू निगम, मोहम्मद अजीज, मनहर उदास, सुखविंदर सिंह, उदित नारायण, सुरेश वाडेकर, नितिन मुकेश, विपिन सचदेवा, शैलेंद्र भारती, मिलर्न सिंह तथा रेखा राव सहित कई अन्य नामी गायकों ने भी उनके लिखे भजन गाए हैं। भारत रत्न से अलंकृत प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर ने अपने जीवन में केवल एक ही मां की भेंटों की कैसेट ‘जगराता’ निकाली थी। इसकी सभी 20 भेंटें बलबीर निर्दोष ने ही लिखी थी।
भेंटों में झलका दर्द
वर्ष 1992 पत्नी के निधन के बाद गरीबी से जूझ रहे बलबीर निर्दोष ने सोनू निगम की कैसेट के लिए भेंटें लिखी। इसमें अपने दर्द को ‘कभी फुर्सत हो तो जगदंबे निर्धन के घर भी आ जाना’ के साथ बयां किया। गुलशन कुमार ने इन्हें पुरस्कार के रूप में कार भी भेंट की। 1993 में नरेंद्र चंचल के उस्ताद चमन लाल जोशी के निधन के बाद वह उनके साथ भी जुड़ गए। नरेंद्र चंचल के लिए बलबीर ने ‘मां ने आप बुलाया है हुन मौजां ही मौजां’ सहित कई नामी भेंटें लिखीं।
बचपन में नाम था गोबिंद प्रकाश, बाद में गोइंदवाल के संत ने रखा बलबीर
गांव कोटली थान में जन्मे बलबीर निर्दोष के जन्म को लेकर भी किस्सा विख्यात है। 30 दिसंबर 1934 को गांव में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाशोत्सव पर नगर कीर्तन निकाला जा रहा था। तभी छत से पालकी साहब के आगे एक बच्चा गिरकर मर गया। रागी जत्थे के एक सदस्य ने इस पर कहा कि जिस घर का चिराग
बुझा है, वहां एक साल बाद खुशियां जरूर आएंगी। ठीक एक वर्ष बाद 30 दिसंबर 1935 को रामलाल व द्वारकी देवी के घर बलबीर निर्दोष का जन्म हुआ। उस समय उनका नाम को गोबिंद प्रकाश रखा गया। बाद में गोइंदवाल के एक संत ने इनका नाम बलबीर रख दिया। बचपन में नाटक सभा बनाई तो कुछ बच्चे शरारत करते तो पिटाई इनकी हो जाती। इस पर इनके एक शायर दोस्त सुरजीत सिंह दीपक ने उन्हें 'निर्दोष' नाम दे दिया।
रफी, महेंद्र कपूर भी गा चुके हैं गीत, सुरेंद्र कोहली ने थामा हाथ
बलवीर निर्दोष ने अपने जन्मदिन पर दैनिक जागरण के साथ बातचीत में बताया था कि वर्ष 1979 में उन्होंने ‘जय बाबा बालक नाथ’ औऱ 1982 में ‘जय माता चिंतपूर्णी’ फिल्म के लिए गीत लिखे। जिसे मोहम्मद रफी, महेंद्र कपूर, नरेंद्र चंचल व ऊषा मंगेशकर ने स्वर दिए थे। उस समय प्रसिद्ध संगीतकार सुरेंद्र कोहली के साथ बलबीर निर्दोष की मित्रता हो गई। वह उन्हें मुंबई ले आए। वहां उन्होंने कुछ हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखे, लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं मिला। निराश होकर लौटने लगे तो उनके दोस्त सुरेंद्र कोहली ने उनका हाथ थामा। इस बीच टी-सीरीज कंपनी के मालिक गुलशन कुमार ने सुरेंद्र कोहली से तीन कैसेट के लिए धार्मिक गीत लिखने की पेशकश दी। इसके लिए उन्होंने बलबीर निर्दोष को जिम्मेदारी दी थी।
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