जालंधर-पानीपत हाईवे का सूरत-ए-हाल : पीएपी चौक के आसपास सुविधा, तो बाकी 290 किलोमीटर में जनता परेशान
जालंधर के विधिपुर से लेकर पानीपत तक 291.9 किलोमीटर लंबी दूरी में हाईवे के साथ-साथ बरसाती पानी की निकासी के लिए ड्रेन तो बना लिया गया है लेकिन उसे कहीं भी कनेक्ट नहीं किया गया है।
जालंधर, [मनुपाल शर्मा]। अपनी परेशानी को चेयरमैन तक उठाने वाले तो एक किलोमीटर की दूरी में सुविधा लेने में सफल हो गए, लेकिन 290 किलोमीटर एक बड़े फासले में लोग परेशान हो रहे हैं। डिजाइन में शामिल होने के बावजूद 291.9 किलोमीटर लंबे जालंधर-पानीपत सिक्स लाइन हाईवे प्रोजेक्ट में बरसाती पानी की निकासी बुरी तरह से नजरअंदाज है।
प्रोजेक्ट शुरू होने के 11 बरस बाद भी हाईवे से गुजरने वाले और हाईवे किनारे बसे लोगों की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। जालंधर के विधिपुर से लेकर पानीपत तक 291.9 किलोमीटर लंबी दूरी में हाईवे के साथ-साथ बरसाती पानी की निकासी के लिए ड्रेन तो बना लिया गया है, लेकिन उसे कहीं भी कनेक्ट नहीं किया गया है। मामूली बारिश होने के बाद ही हाईवे के ऊपर और ड्रेन के साथ सटी सर्विस लेन के ऊपर वाटर लॉगिंग हो जाती है और पानी निकल नहीं पाता।
ऐसा ही कुछ हाल पीएपी चौक से लेकर रामा मंडी तक के इलाके का भी था, लेकिन बीते फरवरी माह में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के चेयरमैन के दौरे के समय हाईवे के इस हिस्से की परेशानी को जिला प्रशासन की तरफ से उठाया गया तो उन्होंने तत्काल इसी से में पानी की निकासी एवं ट्रैफिक जाम की समस्या को खत्म करने के लिए आदेश जारी कर दिए। तीव्र गति से कार्यवाही हुई और काम शुरू भी हो गया। ड्रेन को भूमिगत बनाए जाने की प्रक्रिया चालू हो गई और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी स्थापित किया जाने लगा। हालांकि पीएपी चौक से लेकर विधिपुर तक और रामा मंडी से लेकर परागपुर और फिर आगे तक ड्रेन यथास्थिति में ही है। अभी भी ड्रेन कूड़े से सटा पड़ा है और मामूली बारिश का पानी उसी में फंस कर रह जाता है।
मीडिया की तरफ से नेशनल हाईवे की दुर्दशा के जिस हिस्से के बारे में मामला उठाया जाता है, एनएचएआई के अधिकारी उसी हिस्से में कुछ काम चलाऊ व्यवस्था कर डालते हैं। ट्रांसपोर्ट नगर के आगे से गुजर रहे फ्लाईओवर के नीचे भी वाटर लॉगिंग की समस्या थी। इस बारे में जब लोगों की परेशानी को मीडिया में उठाया गया तो एनएचएआई की तरफ से वहां पाइपलाइन बिछा दी गई। हालांकि पाइपलाइन भी कहीं कनेक्ट नहीं हो सकी। वजह यह रही कि निगम अधिकारियों की तरफ से इस बात की अनुमति एनएचएआई को दी ही नहीं गई। हालांकि उसके बाद बारिश कम हो गई और थोड़ी बहुत बारिश का पानी इसी पाइपलाइन में आगे जाकर फंसता रहा। प्रोजेक्ट नौ वर्ष की देरी के बावजूद भी कंप्लीट नहीं हो पाया है और एनएचएआई के अधिकारी साल दर साल बदल रहे हैं, लेकिन नेशनल हाईवे लोगों की परेशानी का सबब बन कर बैठ गया है। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एक बार फिर से बदल गए हैं और नए अधिकारी के साथ फिलहाल संपर्क संभव नहीं हो सका है।