जालंधर में वेंटीलेटर कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित, Snake Bite के मरीज राम भरोसे
सर्प दंश के 50 फीसद से ज्यादा मरीजों की वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है। बरसात के मौसम में ऐसे मामले बढ़ जाते हैं।
जालंधर, जेएनएन। कोरोना काल में सर्पदंश के मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने सिविल अस्पताल में तमाम वेंटीलेटर कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिए हैं। इस कारण, अब सर्पदंश वाले मरीजों की जिंदगी राम भरोसे है। जिले में इस साल सांप डंसने के 28 मरीज सामने आ चुके हैं। ऐसे 50 फीसद से ज्यादा मरीजों की वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है। वहीं कोरोना के केवल दो फीसद मरीजों को वेंटीलेटर की जरूरत पड़ रही है।
सिविल अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. हरिंदर पाल सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन ने सिविल अस्पताल को कोविड केयर सेंटर में तब्दील कर दिया है। वहीं लेवल तीन के मरीजों के लिए वेंटीलेटर आरक्षित कर दिए गए हैं। सिविल अस्पताल के नान कोविड मरीजों का इलाज सिविल ईएसआई अस्पताल में किया जा रहा है। सर्पदंश के मरीजों का भी वहीं इलाज होगा। गंभीर मरीजों को सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर या फिर पीजीआई रेफर किया जाएगा।
सिविल अस्पताल में है इलाज की मुफ्त सुविधा
सिविल अस्पताल के कार्यकारी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डाॅ. चन्नजीव सिंह ने बताया कि बरसात के दिनों में हर साल सांप के डसने के मामले बढ़ जाते है। सेहत विभाग की ओर से अस्पताल में इलाज की मुफ्त सुविधा दी जा रही है। सेहत विभाग के डिपो में डिमांड भेजी गई है। फिलहाल एंटी स्नेक टीकाकरण की लोकल परचेज कर मरीजों को सुविधाएं दी जा रही है। उन्होंने लोगों को सांप डसने के बाद झा़ड़ फूंक करने के बजाय इलाज करवाने की बात कही।
सांप काटे तो हमेशा रखें याद
- व्यक्ति को लिटाएं और हिलने-डुलने न दें।
- जख्म को साबुन व पानी से धोएं।
- डसा भाग रंग बदले तो समझें सांप जहरीला है।
- मरीज का तापमान, नब्ज, सांस की गति और रक्तचाप का ध्यान रखें।
- सांप के जहर का प्रभाव 15 मिनट से 12 घंटे के अंतर शुरू होता है।
- आधे घंटे तक उपचार नहीं पहुंचे तो डंसे हुए भाग के ऊपर दो से चार इंच की बैंडेज की पट्टी बांधें ताकि जहर का प्रवाह आगे न बढ़े।
- काटे हुए भाग में बर्फ न लगाएं।
- झाड़ फूंक और तांत्रिकों से गुरेज करें।