बिना ट्रांसपोर्ट और मार्केट के उत्पादन के कोई मायने नहीं
इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसपोर्ट तक शुरू नहीं हो पाई। देश के किसी भी हिस्से में मार्केट पूरी तरह से खुल नहीं रही है। ऐसे हालातों में औद्योगिक उत्पादन कोई मायने नहीं रखता है।
-स्पोर्ट्स गुड्स इंडस्ट्री के कैंसिल होने लगे ऑर्डर, पेमेंट पर भी शर्ते-कई फैक्ट्रीज में मशीनें ठीक करने की प्रक्रिया शुरू जागरण संवाददाता, जालंधर : इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसपोर्ट तक शुरू नहीं हो पाई है। देश के किसी भी हिस्से में मार्केट पूरी तरह से खुल नहीं रही है। ऐसे हालातों में औद्योगिक उत्पादन कोई मायने नहीं रखता है। इंडस्ट्री चलाने का फैसला बेहद जल्दबाजी में लिया गया है, जिसका इंडस्ट्री जगत को कोई फायदा नहीं मिलने वाला है। जालंधर के उद्योग जगत के दिग्गज मौजूदा परिस्थितियों में जालंधर की इंडस्ट्री को 100 फीसद क्षमता के साथ चला पाने को संभव नहीं मान रहे हैं।
महानगर में हैंड टूल्स इंडस्ट्री, स्पोर्ट्स गुड्स मैन्युफैक्चरिंग, लेदर इंडस्ट्री, पाइप फिटिग, ऑटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग आदि से संबंधित इकाइयों मौजूद हैं। लेदर इंडस्ट्री तो बीते लगभग छह माह से ही अदालती आदेशों पर बंद पड़ी हुई है। कर्फ्यू लगने के बाद अन्य इंडस्ट्रीज बंद पड़ी हुई थी, जिनमें सरकारी अनुमति मिलने के बाद उत्पादन शुरू करने को लेकर कुछ हलचल शुरू हुई हैं। उद्योगपतियों की ओर से बीते डेढ़ माह से बंद पड़ी हुई फैक्ट्री में लगी मशीनों एवं आधारभूत ढांचे को ठीक करवाया जा रहा है। हालांकि, शहर के कुछेक बड़ी उत्पादक कंपनियों में कुछ प्रतिशत प्रोडक्शन भी शुरू हुई है।
आत्म वाल्वस लिमिटेड के चेयरमैन विमल जैन ने कहा कि यह जरूर है कि देश की अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए फैक्ट्रीज को शुरू करना अति जरूरी है, लेकिन उससे पहले खपत एवं उत्पाद की पहुंच की तरफ ध्यान देना जरूरी है। किसी भी इंडस्ट्री में आगामी 15 दिन के लिए उत्पादन कर पाने के लिए कच्चा माल मौजूद नहीं है। प्रोडक्शन लाइन में हर समय किसी न किसी सामान की जरूरत रहती है, लेकिन मार्केट बंद पड़ी हुई है। कच्चा माल आ नहीं सकता और उत्पाद तैयार होकर दूसरे शहर पहुंच नहीं पा रहा। बिकने के लिए मार्केट खुल ही नहीं है, तो फिर उत्पादन के कोई मायने नहीं है। हालात कुछ ऐसे हैं कि कोई भी पेमेंट देने को तैयार नहीं है। वजह यह है कि डेढ़ माह तो जो कुछ अपने पास था। उसी से अपनी रोटी चला ली और श्रमिकों को भी दे दिया। अब इसके बाद क्या होगा। सरकार को एमएसएमई सेक्टर की वित्तीय मदद के लिए आगे आना होगा।
विमल जैन ने कहा कि श्रमिकों का अपने परिवार के पास जाना स्वभाविक है। वह सब कुछ सामान्य होने पर दो-तीन माह में लौट भी आएंगे। इंडस्ट्री भी अभी 100 फीसद क्षमता के साथ कार्य करने में सक्षम नहीं है। कोरोना वायरस से पैदा हुई परिस्थितियों के मुताबिक इंडस्ट्री को भी काम करने के लिए अपने आपको डालना होगा, लेकिन यह समय उत्पादन शुरू करने के लिए ठीक नहीं है।
स्पोर्ट्स गुड्स मैन्युफैक्चर्स एंड एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन के महासचिव मुकुल वर्मा ने कहा कि इस समय इंडस्ट्री बुरे दौर से गुजर रही है। इंडस्ट्री के ऑर्डर कैंसिल होने लगे हैं तथा पेमेंट को लेकर भी विदेशी ग्राहक अब अपनी शर्ते रखने लगे हैं। पेमेंट पर डिस्काउंट मांग रहे हैं। मुद्रा पोर्ट की तरफ से एक कंटेनर से कम लोड न लेने की शर्त रखी जा चुकी है। ऑर्डर है ही नहीं। देश के भीतर ही खपत नहीं हो पा रही है। स्पोर्ट्स मार्केट बंद पड़ी हुई है। स्पोर्ट्स गतिविधियों पर अंकुश लग चुका है। जिम तक तो बंद पड़े हुए हैं। लोग सैर तक नहीं कर पा रहे हैं तो फिर स्पोर्ट्स गुड्स की मैन्युफैक्चरिंग के मायने ही नहीं है। इंडस्ट्री तो फिलहाल नहीं चल सकती।
उद्योग नगर मैन्युफैक्चरिग एसोसिएशन के अध्यक्ष तेजिदर सिंह भसीन ने कहा कि फिलहाल प्रोडक्शन की तैयारी शुरू की गई है और ढाई हजार के लगभग इंडस्ट्री संचालक उत्पादन शुरू करने में अपनी रुचि दिखा चुके हैं। इंडस्ट्री शुरू करने से पहले डेढ़ माह से बंद पड़ी मशीनों को ठीक करना तथा सिस्टम को जांचना बेहद जरूरी है। फिलहाल, यही प्रक्रिया शुरू की गई है। अगर सब कुछ ठीक रहता है तो संभवत अगले सप्ताह से सरकार की हिदायतों के मुताबिक उत्पादन शुरू किया जा सकता है।