सेहत मंत्री की सख्ती का अमृतसर में नहीं दिखा असर, SGRD में 5500 रुपये में बेची जा रही कैंसर की निशुल्क दवा
ड्रग विभाग ने अमृतसर के वेरका में स्थित वेयर हाउस तक मामले की जांच की। नियमानुसार कोई भी सरकारी दवा वेयर हाउस में आती है और फिर यहां से अस्पतालों में आपूर्ति की जाती है। वेयर हाउस में कैंसर की यह दवा नहीं आई थी।
नितिन धीमान, अमृतसर: अव्यवस्थाओं के लिए बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के वीसी को फटे गिद्दे पर लिटाने वाले स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा सरकारी अस्पतालों में सेहत सुविधाओं को लेकर सख्ती बरत रहे हैं। लापरवाही पर कठोर कार्रवाई की चेतावनी दे रहे, लेकिन इसके बावजूद मंत्री के आदेश का पालन होता नजर नहीं आ रहा। अमृतसर स्थित श्री गुरु रामदास यूनिवर्सिटी आफ मेडिकल साइंसेज एवं अस्पताल (एसजीआरडी) में कैंसर की सरकारी दवा मरीजों को बेची जा रही हैं। यह दवा सरकार की तरफ से निशुल्क दी जाती है।
इसके बावजूद यूनिवर्सिटी कैंपस में स्थित दवा केंद्र में इसका पैकेट 5500 रुपये में बेच दिया गया। इसकी जानकारी मिलने पर ड्रग विभाग की टीम मौके पर पहुंची और सभी दवाओं को कब्जे में ले लिया। सतिंदर सिंह ने बताया कि उसके पिता कैंसर से पीड़ित हैं। एसजीआरडी में उनका उपचार चल रहा है। डाक्टर द्वारा पर्ची पर लिखी गई सोरानिब दवा लेने के लिए वह एसजीआरडी कैंपस में स्थित मेडिकल स्टोर पर गए। यहां दस पत्तों का एक पैकेट 5500 रुपये में मिला। दवा का पैकेट व बिल लेकर वह आ गए।
कुछ देर बाद पैकेट पर देखा तो इस पर अंकित था कि यह पंजाब सरकार की निशुल्क दवा है, इसे बेचा नहीं जा सकता। इसकी जानकारी उन्होंने ड्रग विभाग को दी। ड्रग विभाग की टीम एसजीआरडी पहुंची और मेडिकल स्टोर में रखे 30 पैकेट यानी 300 गोलियां कब्जे में ले ली। इन दवाओं को अदालत में प्रस्तुत कर ड्रग विभाग ने अपनी कस्टडी में ले लिया है। ड्रग विभाग की प्राथमिक जांच में सामने आया है कि पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन (पीएचएससी) मोहाली ने इस दवा का रेट कांट्रैक्ट सिपला कंपनी से किया था। सिपला कंपनी का चंडीगढ़ में डिस्ट्रीब्यूटर्स बतरा फार्मास्यूटिकल है। नियमानुसार जिस दवा का रेट कांट्रैक्ट किया जाता है, उस पर 'बिक्री के लिए नहीं' लिखा जाता है लेकिन एसजीआरडी में यह दवा बेची जा रही थी।
एसजीआरडी प्रबंधन और मेडिकल संचालक को नोटिस
जोनल ड्रग लाइसेंसिंग अथारिटी करुण सचदेवा ने एसजीआरडी प्रबंधन और दवा विक्रेता को नोटिस जारी करके 7 दिनों में जवाब मांगा है कि आखिर सरकारी दवा क्यों बेची गई? सचदेवा ने कहा कि यह ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 और उसके प्रावधानों का उल्लंघन है। जांच के दौरान दवा केंद्र में लाइसेंस डिस्प्ले नहीं पाया गया।
वेयर हाउस में कैंसर की यह दवा आई ही नहीं
ड्रग विभाग ने अमृतसर के वेरका में स्थित वेयर हाउस तक मामले की जांच की। नियमानुसार कोई भी सरकारी दवा वेयर हाउस में आती है और फिर यहां से अस्पतालों में आपूर्ति की जाती है। वेयर हाउस में कैंसर की यह दवा नहीं आई थी। ऐसे में अब कई सवाल उठ रहे हैं। पहला यह कि सरकारी दवाओं की कहीं चोरी तो नहीं हो रही। इन्हें विभाग की नजरों से बचाकर निजी मेडिकल स्टोरों में बेचा तो नहीं जा रहा? बहरहाल, ड्रग विभाग मामले की जांच में जुटा है।
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