' रैंचो' ने बनाया कोरोना के खिलाफ नया हथियार, आइसोलेशन वार्ड में अब रोबोट करेगा तीमारदारी
पंजाब में कोरोना मरीजों के इलाज में अब राेबोट का इस्तेमाल हो रहा है। कोरोना आइसोलेशन वार्ड में रोबोट मरीजों की तीमारदारी कर रहे हैं।
जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में जालंधर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) ने एक नया हथियार दिया है। यहां के 'रैंचो' नाम से प्रसिद्ध डॉ. कुलदीप सिंह नागला ने एक सप्ताह में कोरोना प्रोटोटाइप सर्विस रोबोट का निर्माण किया है। यह रोबोट अस्पतालों के आइसोलेशनल वार्डों में मरीजों को खाना देने से लेकर वार्डों में जांच करने के लिए जाने वाले डॉक्टरों के सहयोगी की भूमिका अदा कर सकता है। इस पर डॉक्टर व नर्स जरूरी दवाओं से लेकर मरीजों की फाइलें व अन्य जरूरी वस्तुएं लेकर जा सकेंगे। यह 15 किलो भार ले जा सकता है।
एनआइटी के डॉ. कुलदीप सिंह नागला ने बनाया प्रोटोटाइप सर्विस रोबोट
इसे 60 से 70 मीटर के दायरे में कहीं भी इस्तेमाल कर सकते हैं। लोगों को शारीरिक दूरी में खड़ा करके इस पर राशन या लंगर रखकर वितरित किया जा सकता है। अस्पतालों के सफाई कर्मियों के काम में सहयोग कर सकता है। मेडिकल वेस्ट को इस पर रखकर संबंधित ठिकाने तक पहुंचाया जा सकता है। इसकी लागत करीब 70 हजार रुपये आएगी।
अस्पतालों में कोरोना के संक्रमण से बचाएगा, आइसोलेशन वार्डों में मरीजों को सप्लाई करेगा खाना
एनआइटी के डायरेक्टर डॉ. ललित कुमार अवस्थी ने बताया कि इंस्ट्रूमेंटेशन एंड कंट्रोल इंजीनियरिंग के हेड डॉ. नागला ने अपनी टीम व विद्यार्थियों के साथ मिलकर इसे तैयार करके प्रशासन को सौंप दिया है। इसे अभी तार के साथ तैयार किया गया है। रात को डिवाइस या मोबाइल से जोड़कर कमांड देकर इसे वार्डों या अस्पताल परिसर में सर्विस देने के लिए कहीं भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा। रोबोट को सैनिटाइज करके जितनी बार चाहें उतनी बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
यह है इसकी खासियत
इसे टच स्क्रीन, मोबाइल और ज्वाय स्टिक से चला सकते हैं। इसका भार 35 किलो और रफ्तार 600 मीटर प्रतिघंटा है। यह 24 डीसी की पावर से चलता है। रोबोट में एक ट्रे फिट की गई है, जो जरूरी सामग्री रखकर ले जाने में सहायक है।
दो दिनों में बनाया जा सकता है वायरलेस रोबोट
डॉ. नागला बताते हैं कि इस रोबोट को दो दिन में वायरलेस रोबोट के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। इसके लिए सेंसर की जरूरत पड़ेगी। वायरलेस बनाने में इसकी कीमत दो लाख से ऊपर हो जाएगी। हालांकि, अभी लॉकडाउन के चलते सेंसर नहीं मिल रहे हैं।
यह होता है प्रोटोटाइप रोबोट
प्रोटोटाइप रोबोट विभिन्न प्रकार के रिसर्च तथा सर्विस के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह कम लागत में जल्दी तैयार हो जाता है। अभी तक दुनिया में 13 प्रकार के प्रोटोटाइप रोबोट का निर्माण किया जा चुका है।