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ट्विटर पर हुई खिंचाई तो एक दिन बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने दी सीडीएस बिपिन रावत को श्रद्धांजलि

हेलीकाप्टर हादसे में सीडीएस बिपिन रावत सहित आर्मी के अफसरों व जवानों की मौत हो गई लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू ने उन्हें श्रद्धांजलि देने में काफी देर लगा दी। इस पर लोगों ने ट्विटर पर उनकी खूब खिंचाई की।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 11 Dec 2021 10:17 AM (IST)Updated: Sat, 11 Dec 2021 01:09 PM (IST)
ट्विटर पर हुई खिंचाई तो एक दिन बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने दी सीडीएस बिपिन रावत को श्रद्धांजलि
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ।

जागरण संवाददाता, जालंधर। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत को शुक्रवार को ट्विटर पर एक वीडियो के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, 'बलिदान समय नहीं देखता। समय के माथे पर अंकित हो जाता है। जनरल बिपिन रावत व उनके साथी शहीद हुए हैं। वह हमारे दिल में हमेशा जीवित रहेंगे और सदा प्रेरणास्रोत के रूप में अलख का दीया जलाते रहेंगे।'

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इससे पहले, वीरवार को कोई भी ट्वीट न करने के लिए लोगों ने ट्विटर पर सिद्धू की खूब खिंचाई की थी। सिद्धू वीरवार को दिल्ली में थे। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को जन्मदिन की बधाई देने के बाद उनके साथ फोटो ट्विटर पर शेयर किया था। इस पर ट्विटर यूजर्स ने लिखा कि यह सिद्धू का पाकिस्तान प्रेम है कि उन्होंने देश के सबसे बड़े सेना अधिकारी को श्रद्धांजलि नहीं दी। इसके बाद सिद्धू ने वीडियो बनाकर ट्विटर पर शेयर किया और सीडीएस बिपिन रावत को श्रद्धांजलि दी। 

सिद्धू के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की अर्जी पर सुनवाई स्थगित

उधर, पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिद्धू के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की एडवोकेट पीपीएस बाजवा की अर्जी पर हरियाणा के एडवोकेट जनरल ने शुक्रवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि ड्रग्स मामले पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है। इसके बाद एडवोकेट जनरल ने मामले में बहस के लिए सुनवाई 23 दिसंबर तक स्थगित कर दी।

यह आपराधिक अवमानना की याचिका एडवोकेट पीपीएस बाजवा ने दाखिल की है। बाजवा का आरोप है की पंजाब के हजारों करोड़ के ड्रग्स रैकेट मामले की हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है, लेकिन सिद्धू इस सुनवाई के दौरान लगातार टिप्पणी कर इस मामले में दखल दे रहे हैं। यह सीधे तौर पर हाई कोर्ट के अवमानना का मामला है, लेकिन आपराधिक अवमानना की याचिका हाई कोर्ट में दाखिल करने से पहले इसके लिए एडवोकेट जनरल की स्वीकृति ली जानी जरूरी होती है। जब यह याचिका दायर की गई थी उस समय पंजाब एडवोकेट जनरल का पद रिक्त था जिस कारण स्वीकृति के लिए यह हरियाणा के एजी के पास दायर की गई।


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