विकसित होते गए लोग, खत्म होते गए कुदरती जल स्त्रोत
पांच दरियाओं की धरती पंजाब कभी जल का भंडार हुआ करती थी।
मनीष कुमार, आदमपुर
पांच दरियाओं की धरती पंजाब कभी जल का भंडार हुआ करती थी। धीरे-धीरे विकासशील होती मानवता अपने विकास में इतनी तेजी से आगे बढ़ी कि रफ्तार ने उन्हें तो काफी विकसित कर दिया, लेकिन पंजाब के अमीर विरसे में शामिल खास तौर पर जल के कुदरती स्त्रोत खत्म होते गए। पंजाब में भी जल संकट का बड़ा सबब नजर आने लगा है। खास तौर पर कभी ग्रामीण क्षेत्रों में जल के सबसे बड़े स्त्रोत रहे कुएं व तालाब आज अपना अस्तित्व गंवा चुके हैं। यहां इनके कुछ निशान देख लोग अब जल संकट को सामने देख कह रहे हैं कि काश कि आज भी पुराने जमाने की तरह कुएं और तालाब होते।
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इस संबंध में आदमपुर के गांव खुर्दपुर के पंच राम किशन बताते हैं कि उनकी याद के मुताबिक उनके गावों में करीब तीन से चार कुएं हुआ करते थे। लोग इनका ही पानी प्रयोग करते थे। यहां लोग पानी भरने के साथ-साथ नहाने, कपड़े आदि धोने आया करते थे। धीरे-धीरे समय बदला और लोगों ने घरों में पानी की मोटरें लगवा ली और कुएं धीरे-धीरे सूखने लगे। इन स्थानों पर किसी अप्रिय घटना न हो व यह जानवरों व बीमारियों का अभिप्राय न बने, इस सोच के साथ इन्हें बंद कर दिया गया। पानी का जलस्तर इतना ऊपर था कि 15-20 फुट खोदने पर पानी आ जाता था और अब पानी का स्तर दौ सौ फीट से नीचे जा चुका है। 216
गांव कड़ियाना के रा¨जदर ¨सह बताते हैं कि 1947 में यहां आकर बसे तो चारों तरफ कुएं व जल के स्त्रोत तालाब होते थे। गांवों के साथ सटे तालाब पर भी नहाने व जानवरों को पानी पिलाने आया करते थे। लोग आराम पसंद होने लगे और घरों में ही पानी की मोटरें लगा ली। उनकी मानें तो कभी मात्र 15 फीट पर पानी की धारें निकल आती थीं पर अब नलकूपों व मोटरों की मदद से जल की हो रही बर्बादी के चलते भू जलस्तर काफी नीचे जा चुका है। 214
आदमपुर निवासी 75 वर्षीय ओम प्रकाश चांदला बताते हैं कि आदमपुर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थान शिवपुरी स्थित आज पक्का हो चुका है। यहां सुबह सवेर बड़ी संख्या में शहरवासी स्नान कर पूजा अर्चना किया करते थे। यहां शहर के विभिन्न हिस्सों से कपड़े धोने महिलाएं आया करती थीं। धीरे-धीरे यह स्थान विकसित हो गया व अब पक्का तालाब भी बन चुका है। हालांकि अब जहां कोई नहाने नहीं आता, कारण अब घर-घर में जल का प्रबंध है व लोग उनका इस्तेमाल घरों में ही करते हैं। बहरहाल, इसकी होंद संत सरोवर प्रबंधक कमेटी के उद्यम से बरकरार है।