संगीत की दुनिया मे 50 साल से सक्रिय थे मोहन मल्सयाणी
पटियाला घराने के शास्त्रीय संगीत गायक मोहन लाल मल्सयाणी का सोमवार सुबह नौ बजे निधन हो गया।
By Edited By: Published: Mon, 29 Jan 2018 08:41 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jan 2018 10:52 AM (IST)
जागरण संवाददाता, जालंधर : पटियाला घराने के शास्त्रीय संगीत गायक मोहन लाल मल्सयाणी का सोमवार सुबह नौ बजे निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 75 वर्षीय मोहन मल्सयाणी संगीत के क्षेत्र में करीब 50 साल से सक्रिय थे। मूल रूप से गांव मलसियां निवासी मोहन मल्सयाणी यहां सैदां गेट के पास रहते थे। उनके दो बेटे जतिंदर व राजेश है।<ढ्डह्म> बचपन में अपने गांव मलसियां में संगीतज्ञो को परफॉर्म करते देख उनकी रुचि भी इस क्षेत्र में हुई। ऑल इंडिया रेडियो में करीब 14 साल उनके साथ काम करने वाले सितारवादक पंडित मनु सीन बताते है कि मल्सयाणी श्री बाबा हरिवल्लभ संगीत महासभा के मेंबर रहे। कई बार उन्होने संगीत सम्मेलन में प्रस्तुति दी। उन्हें महासभा की ओर से सेवा सम्मान भी मिल चुका है। उन्होने पटियाला के गुरु केएस चक्रवर्ती व गुरु मास्टर नत्था ¨सह से संगीत की तालीम ली। तबला वादन उन्होंने पंडित लक्ष्मण सीन व उस्ताद अल्ला राखां से सीखा।<ढ्डह्म> उनके बारे में खास बात ये थे कि वे वोकल के अलावा हारमोनियम, तानपुरा व वायलिन बजाते और भजन, गजल व शब्द भी गाते थे। 14 साल ऑल इंडिया रेडियो में वे तानपुरा वादक की पोस्ट पर रहे। साल 1984 में इंग्लैंड में भी अपनी प्रस्तुति दी। पंडित मनु सीन ने बताया कि हम दोनों ने मिलकर नए राग-मधुरंजनी व ब्रजेश्वरी कौंस भी बनाया। राज्य के पंजाब कल्चर अफेयर्स विभाग के चंडीगढ़ हेडक्वार्टर में उनकी रिकार्डिग भी रखी हुई है।<ढ्डह्म> पंडित मनु सीन बताते है कि यूं तो उनका नाम मोहन लाल था। वे बताते थे कि कई बार प्रस्तुति के दौरान जब कोई मोहन लाल को आमंत्रित करते तो कॉमन नाम होने की वजह से अन्य आर्टिस्ट भी आ जाते थे। इसलिए अपने गांव मलसियां के नाम पर उन्होंने अपने नाम के पीछे मल्सयाणी लगाना शुरू कर दिया।
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