Move to Jagran APP

गगनदीप को 45 सेकंड में 27 वार मारा गया था चाकू, मां ने बयां की बेटे के साथ हुई दरिंदगी

जालंधर में अपने कौंसलर भाई मनमोहन के यहा शादी समारोह में हिस्सा लेने पहुंची कंवलजीत ने बेटे के साथ हुई दरिंदगी को नम आखों से बयां किया।

By Edited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 08:58 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 03:02 AM (IST)
गगनदीप को 45 सेकंड में 27 वार मारा गया था चाकू, मां ने बयां की बेटे के साथ हुई दरिंदगी
गगनदीप को 45 सेकंड में 27 वार मारा गया था चाकू, मां ने बयां की बेटे के साथ हुई दरिंदगी

मनीष शर्मा, जालंधर।  जैकब कोलमेन ने 45 सेकंड में गगन के शरीर पर चाकू के 27 वार किए थे। इसके बाद उसका दिल नहीं पसीजा और जान निकल जाने तक मेरे बेटे को तड़पता हुआ देखता रहा, यह दर्द बयां किया अमेरिका के स्पोकेन में रहने वाली कंवलजीत कौर ने। बुधवार को अमेरिका में स्टेट कोर्ट ने जालंधर के लाडोवाली रोड स्थित प्रीत नगर में रहने वाले गगनदीप की हत्या करने वाले जैकब कोलमेन को ताउम्र कैद की सजा सुनाई थी। इसी बीच जालंधर में अपने कौंसलर भाई मनमोहन के यहा शादी समारोह में हिस्सा लेने पहुंची कंवलजीत ने बेटे के साथ हुई दरिंदगी को नम आखों से बयां किया। गगनदीप का हत्यारा अमेरिकी नागरिक जैकब कोलमेन अब इस फैसले के खिलाफ किसी दूसरी अदालत में अपील नहीं कर सकता। पेरोल के लिए आवेदन करने के लायक भी वो 40 साल की सजा काटने के बाद ही होगा। गगनदीप बारहवीं करने के बाद 2003 में अपने माता-पिता व भाई बलजीत के पास अमेरिका चला गया था। जब उसकी हत्या हुई तो उसकी शादी की बात चल रही थी। चाचा गुरदीप सिंह ने कहा कि गगनदीप हर वक्त जरूरतमंदों की मदद के लिए तैयार रहता था।

loksabha election banner

दूसरे कैब वाले का था नंबर, मौत गगन को खींच ले गई

कंवलजीत कौर ने बताया कि उनका 21 वर्षीय बेटा गगनदीप न्यूयॉर्क के कुलियाना में कंप्यूटर वेब डिजाइनिंग का कोर्स करता था। जब यह घटना हुई तो वो एक महीने की छुट्टी पर आया था। उसके पिता राजिंदरपाल सिंह युनाइटेड ऑरेंज कैब चलाते हैं। उसने पिता की मदद के लिए छुट्टी के दिनों में भी कैब चलानी शुरू कर दी। 15 दिन सही बीत गए थे। 28 अगस्त 2017 को स्पोकेन एयरपोर्ट पर बेटे की कैब दूसरे नंबर पर खड़ी थी। बुकिंग आई तो पहले नंबर वाला कैब चालक बाथरूम चला गया तो गगनदीप को सवारी बिठानी पड़ी। जैकब कोलमेन गगन की कैब में बैठा और आइडाबो स्टेट जाने को कहा। वहा उसने होपटाउन का पता दिया, लेकिन वो जंगल था। जैकब तीन बार उसे पते बताए लेकिन वो गलत निकलते रहे। इसलिए उसने रास्ते में वॉलमार्ट पर कार रुकवाई और चाकू खरीद लिया। रास्ते में वो गगन से बोला कि अच्छा महसूस नहीं कर रहा। गगन ने उसे पानी पिलाया। फिर वो बोला कि उसे खुदकुशी करने की इच्छा हो रही है। गगन ने उसे मेडिकल सुविधा और अभिभावकों से बात करने को कहा, लेकिन उसने इनकार कर दिया। इसके बाद उसने चाकू से गगन पर ताबड़तोड़ हमला कर उसकी हत्या कर दी।

जिस तकनीक को गगन ने बनाया, उसी के सबूत से मिली सजा

गगन के पिता राजिंदरपाल की स्पोकेन में कैब कंपनी है। गगन ने अपनी इस कंपनी में यात्रियों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा फिट करने की तकनीक बनाई थी। जिसका ट्रायल उसने उसी कैब से किया था, जिसे वो चला रहा था। जब जैकब कोलमेन ने उसकी चाकुओं से गोदकर हत्या की तो वो सारी वीडियो कैब में लगे सीसीटीवी कैमरे के जरिए रिकॉर्ड हो गई। जिसका हत्यारे को पता नहीं था। बाद में जब कैब व उसमें बैठा हत्यारा पकड़ा गया तो वीडियो भी पुलिस को मिल गई। यही वो वीडियो थी, जिस सबूत के आधार पर अमेरिकी कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुना दी।

एडमिशन न मिलने की कुंठा में की थी हत्या

पुलिस जाच में पता चला कि जैकब कोलमेन को वहा एक यूनीवर्सिटी ने एडमिशन देने से इनकार कर दिया था। उसका पिता नशे का आदी था। जैकब इस बात से डर गया कि उसके अभिभावकों को पता चला तो उसके साथ पता नहीं क्या करेंगे? इस डर में पहले उसने खुद को मारने की सोची लेकिन बाद में गगनदीप की हत्या कर दी। दोपहर 2 बजे जैकब को ले जाने के बाद शाम 7 बजे तक गगन का फोन न आया तो कंवलजीत ने उसे मैसेज किए। गगनदीप की मौत हो चुकी थी, लेकिन जैकब उसके मोबाइल के सारे मैसेज पढ़ रहा था, हालाकि उसने जवाब कोई नहीं दिया।

सवा साल में सिर्फ 8 तारीखें और फैसला सुना दिया

अमेरिकी अदालत के त्वरित न्याय व्यवस्था का भी यह उदाहरण है, जहां सवा साल में अदालत में सिर्फ 8 तारीखें पड़ीं और हत्यारे को सजा सुना दी। मृतक युवक की मा कंवलजीत कौर ने कहा कि पहले जैकब ने अपना गुनाह कबूलने से इनकार कर दिया। जिस पर उनके वकील ने अदालत से उसके लिए मौत की सजा मागी। तब उसने खुद के पागल होने का भी नाटक किया, लेकिन डॉक्टरी जाच में उसकी यह कोशिश फेल हो गई। केस की छठवीं तारीख पर जज ने कहा कि अगर वो अपना गुनाह नहीं कबूलता तो हत्या की वीडियो पब्लिक के सामने दिखाई जाएगी। उसमें सब कुछ स्पष्ट होने पर मौत की सजा देख सातवीं पेशी पर उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया और फिर आठवीं पेशी पर अदालत ने उसे उम्रकैद दे दी। जज ने वीडियो देखी और परिवार को देने से कर दिया मना कि इसे देख उन्हें नींद नहीं आएगी इस मामले का फैसला देने वाली जज ने टिप्पणी की कि उन्हें न्यायिक कामकाज में 24 साल हो गए लेकिन ऐसा केस कभी नहीं देखा, जहा कत्ल करने का कोई स्टुपिड कारण तक नहीं है। जज ने वीडियो खुद देखी लेकिन परिवार को यह कहते हुए दिखाने व देने से इनकार कर दिया कि वो इतनी वीभत्स है कि उसे देखने के बाद शायद उन्हें नींद भी न आए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.