एक हफ्ते में शुरू होगा जोनिंग का सर्वे, बिल्डिंग बायलॉज में किया जाएगा बदलाव Jalandhar News
शहर की जोनिंग करने के लिए नगर निगम एक हफ्ते में सर्वे शुरू करेगा। जोनिंग के तहत इलाके के हिसाब से बिल्डिंग बायलॉज में बदलाव किया जाएगा।
जेएनएन, जालंधर। शहर की जोनिंग करने के लिए नगर निगम एक हफ्ते में सर्वे शुरू करेगा। जोनिंग के तहत इलाके के हिसाब से बिल्डिंग बायलॉज में बदलाव किया जाएगा। पुराने तंग इलाकों में कंस्ट्रक्शन के लिए नए नियम तय होंगे। कम चौड़ी सड़कों पर कॉमर्शियल बिल्डिंग बनाने के लिए मौजूदा बिल्डिंग बायलॉज में छूट होगी।
मेयर जगदीश राजा ने कहा कि हाईकोर्ट में अवैध निर्माण पर रिपोर्ट देने के कारण स्टाफ एक सप्ताह व्यस्त रहेगा। एक हफ्ते बाद बिल्डिंग डिपार्टमेंट की टीम सर्वे में जुट जाएगी। यही टीम उन सड़कों पर भी रिपोर्ट देगी, जिन्हें कॉमर्शियल के दायरे में लाया जा सकता है। मौजूदा बायलॉज के मुताबिक पुराने शहर में कॉमर्शियल बिल्डिंग बनाने के लिए 35 फुट और बाहरी इलाकों में सड़क की चौड़ाई कम से कम 60 फुट होनी चाहिए। शहर की कुछ सड़कें ही 60 फुट चौड़ी हैं और पुराने शहर में तो सड़क 15 फुट के आसपास ही हैं। ऐसे में निगम नक्शा पास नहीं करता और अवैध निर्माण होता है। स्थानीय निकाय मंत्री ने जालंधर शहर में जोनिंग की मंजूरी दी है। इसके तहत इलाके के हिसाब से नियम तय होंगे। बस्तियों, पुराने बाजारों और बाहरी इलाकों के लिए अलग-अलग नियम होंगे। बस्तियों और पुराने बाजारों में कॉमर्शियल निर्माण के लिए कम चौड़ी सड़क पर भी मंजूरी मिल सकेगी।
जोनिंग से बढ़ेगा वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी का दायरा
अगर नगर निगम जोनिंग में सफल रहता है तो अवैध निर्माण के कारण जिन इमारतों पर कार्रवाई की तलवार लटकी है, उन्हें राहत मिल सकती है। इनमें से काफी इमारतों का मामला तो हाईकोर्ट में चला गया है। कम चौड़ी सड़कों पर कॉमर्शियल बिल्डिंग का प्रस्ताव पास हो जाता है तो इन बिल्डिंग के मालिकों को कोर्ट में भी राहत मिल सकती है। विधायकों का दबाव है कि निगम जल्द सर्वे खत्म कर हाउस में दोनों प्रस्ताव लाए। हाईकोर्ट में करीब 500 बिल्डिंग की लिस्ट गई है। 17 जून को निगम ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट देनी है। इसलिए पिछले एक हफ्ते से अवैध बिल्डिंग्स व और कॉलोनियों पर कार्रवाई चल रही है।
पुरानी बिल्डिंग्स पर नहीं लगाएंगे सीएलयू : मेयर
मेयर ने कहा कि कम चौड़ी सड़कों पर जहां 40 से 50 प्रतिशत तक इमारतें बन चुकी हैं, वहां नाममात्र फीस लेकर इमारत को मंजूरी देने का प्रस्ताव लाएंगे। नई बिल्डिंग के लिए सीएलयू चार्ज लेकर नक्शा पास करेंगे। जोनिंग सिस्टम की मांग सभी विधायक करते रहे हैं। इससे निगम की इनकम भी बढ़ेगी।
फीस ज्यादा व शर्तें सख्त, इसलिए सफल नहीं हुई ओटीएस पॉलिसी
पंजाब सरकार ने लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग पर 5 मार्च 2019 को वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) पॉलिसी जारी की थी। पॉलिसी की शर्तें काफी सख्त हैं और फीस भी ज्यादा है। इसलिए पॉलिसी को रिस्पांस नहीं मिला। कॉमर्शियल बिल्डिंग रेगुलर करवाने के लिए 1,000 रुपये प्रति वर्ग फुट और रिहायशी बिल्डिंग रेगुलर करवाने के लिए 300 रुपये प्रति वर्ग फुट फीस तय की गई है। यह फीस इतनी ज्यादा बन जाती है कि लोग बिल्डिंग रेगुलर करवाने ही नहीं आ रहे। हर बिल्डिंग को पार्किंग उपलब्ध करवानी होगी। फायर सेफ्टी के मुताबिक स्ट्रक्चर बदलना होगा। इसके अलावा भी कई ऐसी शर्तें हैं जो पूरी करना संभव नहीं हो रहा था।
शहर में हजारों अवैध इमारतें, मिलेगा करोड़ों का रेवेन्यू
शहर में बिना मंजूरी के बनीं हजारों इमारतें हैं। अगर इन्हें कम फीस पर भी रेगुलर किया जाता है तो करोड़ों रुपये इकट्ठा हो सकते हैं। अवैध कॉलोनियों में करीब 40 हजार प्लाट होल्डर्स ने एनओसी ली है। इन कॉलोनियों में आठ से दस हजार मकान ऐसे हैं, जिन्होंने नक्शा पास नहीं करवाया। दो हजार से ज्यादा कॉमर्शियल बिल्डिंग्स बिना मंजूरी के ही बनी हैं। इनसे अगर मिनिमम अमाउंट भी लें तो बड़ी रकम बन जाती है। ओटीएस पॉलिसी में भी लिखा है कि पॉलिसी के तहत जो भी रेवेन्यू मिलेगा, उसे अलग अकाउंट में रखा जाएगा। यह रेवेन्यू पार्क व इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट में ही इस्तेमाल हो सकेगा।
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