पानी की प्रस्तावित दरों में कमी करेगा निगम, मेयर ने बनाई पांच मेंबरी कमेटी Jalandhar News
मेयर ने इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी में चार सत्तारूढ़ पार्टी और एक विपक्षी दल का पार्षद शामिल है।
जालंधर, जेएनएन। शहर शहरी पर पानी का बिल देना जरूरी करने के प्रस्ताव का विरोध देखते हुए नगर निगम ने इसकी दरों पर दोबारा विचार करने का फैसला किया है। मेयर ने इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी में चार सत्तारूढ़ पार्टी और एक विपक्षी दल का पार्षद शामिल है। कमेटी के सदस्य अधिकारियों के साथ मीटिंग करके मेयर को रिपोर्ट देंगे कि पानी की दरों में कितनी कमी की जा सकती है। इन सुझावों को फिर निगम की ओर से सरकार को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। निगम की 28 नवंबर को हुई हाउस की मीटिंग में यह प्रस्ताव रखा था कि शहर में वाटर मीटर पॉलिसी लागू की जाए। इसके तहत हर शहरी को पानी का बिल देना होगा। यही नहीं तय समय तक सभी को वाटर मीटर भी लगाने को कहा गया है।
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सरफेस वाटर प्रोजेक्ट के लिए लोन लेने के लिए जरूरी है वाटर बिल
वाटर मीटर पॉलिसी इसलिए जरूरी है क्योंकि सतलुज दरिया से पानी लाकर शहर में सप्लाई करने के सरफेस वाटर प्रोजेक्ट के लिए 1000 करोड़ रुपए का लोन इसी शर्त पर मिलेगा। नई पॉलिसी के तहत सभी को पानी का बिल देना होगा। सिर्फ दो मरले के सिंगल स्टोरी मकान वालों को हर महीने 10 हजार लीटर पानी फ्री मिलेगा। सभी पर पानी का बिल लागू करने से विपक्ष को राजनीतिक मुद्दा मिल जाने के डर से मेयर ने यह कमेटी बनाई है। कमेटी के मेंबर जगदीश दकोहा का कहना है कि वाटर मीटर पॉलिसी को लागू करने के लिए मजबूत प्लानिंग की जरुरत है। सभी यूनिटस पर वाटर मीटर लगाना भी चुनौती है और जो अब तक बिल नहीं देते थे उन्हें इसके दायरे में लाना भी चुनौती रहेगा।
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नई पॉलिसी में दरें 50 प्रतिशत ज्यादा, मीटर खर्च भी उपभोक्ता पर
पंजाब सरकार की ओर से तैयार की गई पॉलिसी में जो नई दरें दिखाई गई हैं उनमें पुराने रेट के मुकाबले नई दरें 50 प्रतिशत ज्यादा हैं। अब तक दो महीनों लिए कम से कम 210 रुपये देने पड़ते हैं लेकिन प्रस्ताव मंजूर होने पर कम से कम 315 रुपये देने होंगे। 500 गज यानि की 20 मरले से ऊपर के प्लाटों में प्रस्ताव पास होने के छह महीने के बीच वाटर मीटर लगाना होगा जबकि 25 गज से ऊपर के सभी प्लाटों के कनेक्शनों पर तीन साल में मीटर लगाना होगा। यही नहीं उपभोक्ता को वाटर मीटर भी अपने खर्च पर लगाना होगा। यही नहीं हर साल पानी का बिल पांच प्रतिशत बढ़ाने की भी शर्त शामिल है। प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी रोजना देना होता है लेकिन इस समय करीब 300 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रति दिन इस्तेमाल हो रहा है।
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वाटर मीटर पॉलिसी के लिए गठित कमेटी के सदस्य
- पार्षद जगदीश दकोहा
- पार्षद बलराज ठाकुर
- पार्षद निर्मल सिंह निम्मा
- पार्षद सुनीता रिंकू
- पार्षद मनजिंदर सिंह चट्ठा
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कमेटी के लिए चुनौतियां
- करीब 2.50 लाख यूनिट्स पर मीटर कैसे लगेगा।
- मीटर का खर्च उपभोक्ता से किस तरह लेना है।
- पानी का बिल न देने वाले 90 हजार घरों की नाराजगी रोकना।
- पानी की प्रस्तावित दरों में कमी करना।
- विपक्ष को मुद्दा न मिले इससे भी बचना होगा।
- सभी से पानी के बिल की वसूली के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर।
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वाटर मीटर न लगाने पर सबमर्सिबल पंप वालों को निगम ने तीन गुणा बिल भेजे
नगर निगम के वाटर सप्लाई डिपार्टमेंट ने सबमर्सिबल पंप पर वाटर मीटर न लगाने वालों का सीवरेज चार्जिस के तीन गुणा बिल भेजे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दो साल पहले ऐसे आदेश जारी किए थे लेकिन अब सख्ती के बाद यह आदेश लागू किए गए हैं। आदेश में कहा गया है कि जिस किसी ने भी सबमर्सिबल पंप लगाए हैं उनके लिए वाटर मीटर लगाना जरूरी है। इससे ही पता चलता है कि वह कितना पानी इस्तेमाल कर रहे हैं और उतने पानी को सीवरेज में छोडऩे का बिल लिया जाता है।
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900 कामर्शियल यूनिट्स में से 400 पर वाटर मीटर लगे
निगम के सुपरिंटेंडेंट मुनीष दुग्गल ने बताया कि शहर में करीब 900 कामर्शियल यूनिट्स में सबमर्सिबल पंप लगे हैं। पहले इनमें से करीब 80 पर ही वाटर मीटर लगे थे लेकिन पिछले कुछ महीनों से जारी सर्वे के बाद अब यह गिनती 400 तक पहुंच गई है। अब भी 500 लोग बिना वाटर मीटर लगाए सबमर्सिबल पंप इस्तेमाल कर रहे हैं। मुनीष दुग्गल ने कहा कि वाटर मीटर न लगाने वाले करीब 500 लोगों को तीन गुणा बिल भेजा गया है। जिन्हें बिल मिल गया है वह निगम दफ्तर में बिल कम करवाने ओर मीटर लगवाने के लिए पहुंच रहे हैं। बिल में कोई कमी नहीं हो सकती लेकिन वाटर मीटर लगवाने के लिए सहयोग दिया जा रहा है।
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