आठ में से पांच कस्बों के चुनाव कांग्रेस के लिए नाक का सवाल
जालंधर की बात करें तो आठ नगर कौंसिल और नगर पंचायतों के चुनाव हैं। कांग्रेस के लिए यह चुनाव नाक का सवाल रहेंगे क्योंकि आठ में से पांच नगर कौंसिल और नगर पंचायत अकाली विधायकों के हलकों में हैं।
जागरण संवाददाता जालंधर : पंजाब चुनाव कार्यालय में आठ नगर निगम, 109 कौंसिल व नगर पंचायत के चुनावों की तारीख तय कर दी है। 14 फरवरी को मतदान होगा। यह चुनाव जहां सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए चार साल के कार्यकाल पर जनता का जवाब होगा। वहीं, अकाली दल के लिए बिना भाजपा के यह चुनाव अग्नि परीक्षा है। भाजपा के लिए यह चुनाव किसान आंदोलन की विरोधी हवा के बीच में आधार तलाशने जैसे होंगे। हालांकि, भाजपा के लिए देहात के इलाकों में खोने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है, क्योंकि यहां सभी सीटें अकाली दल के पास हैं।
जालंधर की बात करें तो आठ नगर कौंसिल और नगर पंचायतों के चुनाव हैं। कांग्रेस के लिए यह चुनाव नाक का सवाल रहेंगे, क्योंकि आठ में से पांच नगर कौंसिल और नगर पंचायत अकाली विधायकों के हलकों में हैं। नकोदर विधानसभा सीट के तहत नकोदर कौंसिल और नूरमहल कौंसिल, फिल्लौर सीट पर फिल्लौर कौंसिल, आदमपुर विधानसभा सीट पर आदमपुर नगर कौंसिल और अलावलपुर नगर पंचायत अकाली विधायकों की सीटों के तहत आती हैं।
नकोदर के कई वार्डो में तिकोना हो सकता है मुकाबला
नकोदर में इस समय 17 वार्ड हैं। नकोदर सीट से अकाली दल के गुर प्रताप सिंह वडाला विधायक हैं और नगर कौंसिल अध्यक्ष भी अकाली का ही रहा है। कांग्रेस की लहर में भी यहां अकाली दल को बड़ी जीत मिली थी। नकोदर में कांग्रेस और अकाली दल की सीधी लड़ाई में भाजपा और बसपा का जोर भी नजर आएगा। भाजपा भी यहां पर अपने चिन्ह पर ही चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। कुछ वार्डो में तिकोना मुकाबला देखने को मिल सकता है। नूरमहल नगर कौंसिल नकोदर विधानसभा सीट का ही हिस्सा है। यहां भी तिकोना मुकाबले के आसार हैं। भाजपा अकाली दल के लिए यहां मुश्किल खड़ी कर सकती है।
फिल्लौर नगर कौंसिल चौधरी परिवार के लिए अहम
अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित फिल्लौर विधानसभा सीट में नगर कौंसिल चुनाव बेहद दिलचस्प होने के आसार हैं। यहां विधायक अकाली दल के बलदेव सिंह खैरा हैं, लेकिन नाक का सवाल कांग्रेस के सांसद चौधरी संतोख सिंह का है। क्योंकि उनके बेटे चौधरी विक्रमजीत सिंह पिछला चुनाव यहां से हार चुके हैं। चौधरी परिवार को यह नगर कौंसिल हर हाल में बचानी होगी, लेकिन बसपा यहां से हमेशा ही कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी करते रही है। इस बार भी ऐसा हो सकता है।
आदमपुर व अलावपुर में कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती
आदमपुर विधानसभा हलका के तहत आदमपुर नगर कौंसिल और अलावलपुर नगर पंचायत भी कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती रहेंगे। आदमपुर से अकाली दल के नेता पवन टीनू दूसरी बार विधायक हैं। आदमपुर में हालात ऐसे हैं कि यहां कांग्रेस को विधानसभा चुनाव लड़ाने के लिए भी कोई नेता नहीं मिल रहा। पिछली बार सीनियर कांग्रेसी नेता महेंद्र सिंह केपी को बड़ी हार मिली थी। इस समय मौजूदा सांसद चौधरी संतोख सिंह इस हलके को खुद मैनेज कर रहे हैं। अलावलपुर नगर पंचायत में अकाली दल को कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा से भी टक्कर मिल सकती है। भाजपा का अलावलपुर कस्बे में अच्छा आधार माना जाता है।
लोहियां खास और महितपुर में कांग्रेस मजबूत
लोहियां खास और महितपुर में लंबे समय बाद कांग्रेस का राज आया है। शाहकोट विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने यह इलाके जीते हैं। सीनियर अकाली नेता अजीत सिंह चौहान के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के हरदेव सिंह लाडी शेरोवालिया ने यहां रिकार्ड जीत हासिल की थी। इससे पहले करीब 20 साल तक अकाली दल का यहां सिक्का चलता रहा है। अब इन इलाकों में कांग्रेस की हवा है और यहां मुकाबला एकतरफा रहने की उम्मीद है।
करतारपुर सीट अकाली व भाजपा के लिए चुनौती
करतारपुर विधानसभा सीट की करतारपुर नगर कौंसिल पर कांग्रेस कब्जा जमाने के लिए हर प्रयास करेगी। कांग्रेस के दिग्गज नेता चौधरी जगजीत सिंह की इस सीट पर 10 साल अकाली दल का राज रहा है। पिछला विधानसभा चुनाव चौधरी जगजीत सिंह के बेटे चौधरी सुरेंद्र सिंह ने जीता था। करतारपुर नगर कौंसिल में सिर्फ पार्टी बाजी ही हावी नहीं है, बल्कि यहां स्थानीय नेता भी अपने हिसाब से नगर कौंसिल को चलाने की ताकत रखते हैं। कांग्रेस के लिए इस बार इस बात से राहत है कि भाजपा अलग चुनाव लड़ेगी। करतारपुर में अकाली दल के लिए बिना भाजपा के चुनाव लड़ना आसान नहीं रहेगा।
अभी समय सही नहीं, चुनाव स्थगित किए जाएं : चन्नी
शिरोमणि अकाली दल डेमोक्रेटिक के प्रवक्ता गुरचरण सिंह चन्नी ने स्थानीय निकाय चुनाव मौजूदा माहौल में करवाने की घोषणा पर एतराज जताया है। चन्नी ने कहा कि इस समय पंजाब के किसान केंद्र के कृषि सुधार कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। इसमें सिर्फ किसान ही नहीं मजदूर और युवा वर्ग भी बड़ी गिनती में शामिल हैं। यह लड़ाई फसल और नस्ल को बचाने की है। ऐसे में चुनाव कराना ठीक नहीं रहेगा। सरकार से अपील है कि इस चुनाव को फिलहाल स्थगित कर दिया जाए। सही समय आने पर यह चुनाव करवाए जाएं। चन्नी ने कहा कि मौजूदा माहौल में कोई भी पार्टी पूरी तरह से चुनाव नहीं लड़ पाएगी क्योंकि सभी का फोकस इस समय किस आंदोलन पर हैं।