स्टाफ की लापरवाही पर अस्पताल प्रशासन ने डाला पर्दा
सिविल अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड में शुक्रवार को गंभीर हालत में लाई गई महिला को स्ट्रेचर न उपलब्ध होने और थ्री व्हीलर में ही प्रसव के दौरान बच्चे की मौत के मामले में अस्पताल प्रशासन ने पर्दा डाल दिया है।
जागरण संवाददाता, जालंधर
सिविल अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड में शुक्रवार को गंभीर हालत में लाई गई महिला को स्ट्रेचर न उपलब्ध होने और थ्री व्हीलर में ही प्रसव के दौरान बच्चे की मौत के मामले में अस्पताल प्रशासन ने पर्दा डाल दिया है। इस मामले को लेकर मेडिकल सुपरिटेंडेंट (एमएस) ने जांच कर स्टाफ की लापरवाही से इंकार किया। हालांकि वार्ड में एक नया स्ट्रेचर मुहैया करवा दिया है। वहीं लेबर रूम इलाके में पुरुषों की एंट्री पर पाबंदी लगाने के आदेश जारी किए हैं।
शुक्रवार को सिविल अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड में ऑटो रिक्शा में आई साढ़े छह माह की गर्भवति महिला का प्रसव होने पर परिजन उसे वार्ड में शिफ्ट करने के लिए मौके पर स्ट्रेचर का इंतजार करते रहे और इस दौरान मरीज का बीपी डाउन होने लगा था। महिला को जब तक स्ट्रैचर मुहैया करवाया गया तब तक प्रसव हो चुका था और बच्चे की मौत भी हो चुकी थी। मौके पर स्ट्रेचर न मिलने को लेकर स्टाफ और अधिकारियों के अलग-अलग तर्क है। ड्यूटी पर तैनात स्टाफ का तर्क है कि स्ट्रेचर कोविड 19 दौर में दूसरे वार्डों में इस्तेमाल कर रहे थे। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि मरीज पहुंचने से पहले स्ट्रेचर पर दूसरे मरीज को छोड़ने गए थे और स्ट्रेचर को वापिस आने में समय लगा। बड़ा सवाल यह है कि अगर वार्ड में पहले स्ट्रेचर था और शनिवार को आनन-फानन में नया स्ट्रेचर जारी क्यों किया गया। यही नहीं वार्ड में पुराना स्ट्रेचर भी शनिवार को नहीं दिखा। उधर, इस मामले को लेकर मरीज के परिजन शांत हैं। उनका कहना है कि अनुराधा पत्नी हीरा लाल निवासी गुरु नानक कालोनी साढ़े छह माह की गर्भवति थी। वीरवार देर रात करीब अढ़ाई बजे महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई और उसे उलटी भी आने लगी थी। शुक्रवार की सुबह इलाके की आशा वर्कर को बुलाया तो देखा की प्रसव प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी और एंबुलेंस का इंतजार किए बिना ऑटो में उसे सिविल अस्पताल में ले आए थे। जहां स्टाफ ने उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं दीं और नवजात को मृत घोषित कर दिया। इससे पहले भी महिला का साढ़े तीन माह का गर्भपात हो चुका है।
सिविल अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. हरिदर पाल सिंह का कहना है कि उन्होंने जच्चा-बच्चा वार्ड में दौरा कर मरीज व स्टाफ से मुलाकात कर मामले की खुद जांच की है। जांच में स्टाफ की कोई गलती सामने नहीं आई है। महिला जब अस्पताल में पहुंची तो उसका प्रसव हो चुका था और बच्चा मरा पैदा हुआ था। इससे पहले स्ट्रेचर लेकर मुलाजिम दूसरे मरीज को छोड़ने गया था। नर्सिंग स्टाफ ने ऑटो रिक्शा में ही उसे प्राथमिकी सहायता देनी शुरू कर दी थी। इसके बाद वार्ड में ले गए और इंजेक्शन देकर उसकी हालत तो सामान्य कर दिया था। इस बाबत मरीज व उसके परिजनों से बातचीत हुई थी और उन्होंने कोई शिकायत नही की और स्वास्थ्य सेवाओं प्रति संतुष्टि जाहिर की है। वहीं मेटरनिटी वार्ड में लेबर रूप में इलाके में पुरुषों के प्रवेश पाबंदी लगा दी है।
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लापरवाही : दूसरी बार संतानसुख का नुकसान
जालंधर। गुरु नानक कॉलोनी में रहने वाली महिला को दूसरी बार संतान सुख का नुकसान झेलना पड़ा। अज्ञानता की वजह से वह पूरी तरह से जांच पड़ताल भी नहीं करवा पाई। वहीं, इलाके की आशा वर्कर व एएनएम की सबसे ज्यादा लापरवाही है जिन्होंने उसे सलाह से वंचित रखा। मरीज के लैब टेस्ट भी नहीं करवाए गए थे। मरीज को दाखिल करने के बाद अस्पताल प्रशासन ने टेस्ट करवाए।