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मां ने आनलाइन क्लास के लिए दिया मोबाइल, 13 वर्षीय बेटे ने गेम का टास्क पूरा करने पर लुटा दिए 22 लाख

पंजाब के अमृतसर में एक पूर्व सैन्य अधिकारी के किशोर बेटे को मां ने पढ़ाई के लिए मोबाइल दिया था। गेम का टास्क पूरा करने के लिए बेटे ने मां के खाते से 22 लाख रुपये गंवा दिए।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 11 Dec 2021 01:53 PM (IST)Updated: Sun, 12 Dec 2021 08:55 AM (IST)
मां ने आनलाइन क्लास के लिए दिया मोबाइल, 13 वर्षीय बेटे ने गेम का टास्क पूरा करने पर लुटा दिए 22 लाख
बेटे ने आनलाइन गेमिंग में मां के खाते से गंवा दिए 22 लाख। सांकेतिक फोटो

नितिन धीमान, अमृतसर। अगर आप सोचते हैं कि आपका बच्चा मोबाइल पर सिर्फ आनलाइन क्लास अटेंड कर रहा है तो आप गलत हो सकते हैं। दरअसल, वैश्विक महामारी कोरोना ने शिक्षा की दिशा व तरीका बदल दिया। पांच से छह घंटे की आनलाइन क्लास और फिर होमवर्क। आनलाइन क्लास की आड़ में बच्चों ने मोबाइल पर आवश्यक व अनावश्यक हरसतें भी पूरी कीं।

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अमृतसर में ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें आनलाइन क्लास अटेंड करने के नाम 13 वर्षीय किशोर आनलाइन गेमिंग के जाल में फंस गया। अगर गेम खेलता तो अलग बात थी, उसने गेम का टास्क पूरा करने के लिए मां के अकाउंट से 22 लाख रुपये गंवा दिए। इस ठगी का तब पता चला जब उसकी मां बैंक में पासबुक अपडेट करवाने गई।

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दरअसल, अमृतसर के छेहरटा के पूर्व सेना अधिकारी का 13 वर्षीय बेटा नवप्रीत आनलाइन गेमिंग की लत का शिकार बन गया। उसकी यह लत परिवार को महंगी पड़ी। पिता की मौत हो चुकी है। उनकी मौत के बाद मां अमनदीप कौर ने बीमा राशि और अन्य वित्तीय लाभ छेहरटा स्थित एक बैंक में जमा करवाए। इसके बाद बेटे को सेना में ही बड़ा अधिकारी बनाने की तमन्ना पूरी करने में जुट गई।

अमनदीप के अनुसार वह बैंक में अपनी पासबुक अपडेट करवाने गई तो पता चला कि अलग-अलग तारीखों में उसके खाते से 22 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए हैं। यह पैसा अलग-अलग डिजिटल पेमेंट वालेट में गया है। चूंकि यह राशि अमनदीप के अकाउंट से ट्रांसफर हुई थी, इसलिए उन्होंने बेटे नवप्रीत से इस बारे में पूछा। जब नवप्रीत ने सच्चाई बताई तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई।

साइबर ठग ने पैसे मंगवाए, पर आईडी नहीं बनाई

नवप्रीत ने बताया कि आनलाइन क्लास अटेंड करने के साथ ही वह आनलाइन मल्टीप्लेयर गेम खेलता है। गेम में नए टास्क जोड़ने व पुराने टास्क पूरे करने के लिए उसने इंटरनेट मीडिया साइट पर सर्च किया। इस दौरान वह एक गेम चैनल आपरेटर के संपर्क में आया। आपरेटर ने उससे फोन पर बताया कि वह एक ऐसी गेमिंग आइडी बनाएगा, जिससे वह रहस्यमयी और नई गेम खेल पाएगा। इसका टास्क भी पूरा करवा देंगे। उसने आठ हजार रुपये अकाउंट में ट्रांसफर करवाए, पर आइडी नहीं बनाई। नवप्रीत ने पुन: संपर्क किया तो उसने बीस हजार की मांग की। यह राशि भी नवप्रीत ने अकाउंट में भेज दी। इसके बाद इस युवक ने नवप्रीत को धमकाना शुरू कर दिया कि यदि उसने पैसे मांगे तो वह उसके बता देगा कि उसके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए हैं। धमकियों से डरकर नवप्रीत ने अलग-अलग तारीखों पर भुगतान करता रहा और अब तक 22 लाख रुपये ट्रांसफर कर चुका है।

पश्चिम बंगाल के चार साइबर ठगों पर केस दर्ज

अमनदीप ने इस मामले की शिकायत पुलिस में की है। पुलिस ने साइबर क्राइम सेल की मदद से नवप्रीत को आईं काल्स व डिजिटल खाते को ट्रेस किया। इन साइबर ठगों की पहचान संतोख कुमार सिंह, पुतुल दास, तन्नु कुमारी और चंद्रकला सिंह के रूप में हुई है। ये सभी पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। पुलिस ने इनके खिलाफ धारा रंगदारी और धोखाधड़ी 384, 420 व 120बी के तहत केस दर्ज किया है। हालांकि अभी इनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई।

फीस आनलाइन अदा करता था नवप्रीत, पासवर्ड जानता था

नवप्रीत को मां के सारी गोपनीय जानकारी थी। असल में उसके स्कूल की फीस आनलाइन ट्रांसफर की जाती थी। अमनदीप को आनलाइन ट्रांसफर करना नहीं आता था, लिहाजा नवप्रीत ही यह काम करता था। नवप्रीत को मां के खाते की सारी जानकारी मालूम थी।

ऐसे रखें निगरानी

सरकारी मेडिकल कालेज स्थित साइक्रेट्रिक विभाग के प्रोफेसर डा. पीडी गर्ग के अनुसार वर्चुअल हुई शिक्षा ने बच्चों को मोबाइल एडिक्ट बना दिया है। क्लास खत्म होने के बाद भी बच्चे मोबाइल से नजरें नहीं हटाते। अभिभावकों को पता नहीं चलता कि बच्चा मोबाइल पर क्या कर रहा है। गेम खेलते हए बच्चा गेमिंग डिसआर्डर का शिकार बन जाता है। अभिभावक चौकन्ना रहें। मोबाइल की हिस्ट्री चेक करें, मोबाइल का मिनिमाइज बटन दबाकर देखें कि किन-किन साफ्टवेयर का प्रयोग किया गया है। जिस मोबाइल नंबर से अभिभावकों का बैंक खाता जुड़ा है उस सिम का इस्तेमाल बच्चों को न करने दें। शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि आनलाइन क्लासेज की निर्भरता बढ़ गई है। इस दौरान बच्चों का झुकाव आनलाइन गेम की तरफ हो रहा है। बच्चों को साफ्टवेयर और गेम डाउनलोड न करने दें। वैबसाइट्स के लिंक व पापअप पर क्लिक न करने दें।


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