खैहरा का खुलासा, राणा के मुलाजिमों के खाताें में रुपये चंडीगढ़ के बैंक से हुए ट्रांसफर
आम आदमी पार्टी के विधायक सुखपाल खैरहा ने कहा है कि रेत खनन ठेका लेने वाले राणा गुरजीत के कर्मचारियों के खातों में करोड़ों रुपये चंडीगढ़ के एक बैंक से ट्रांसफर किए गए थे।
जेएनएन, जालंधर। आम आदमी पार्टी के विधायक सुखपाल सिंह खैहरा ने रेत खड्ड नीलामी मामले में नया खुलासा किया है। खैहरा ने कहा कि रेत खनन का ठेका लेने वाले बिजली व सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह के कर्मचारियों के खातों में रुपये चंडीगढ़ के सेक्टर-17 के एक बैंक से ट्रांसफर हुए हैं। राणा और उनके साथियों के बीच जो भी हुआ, उसके सुबूत आ चुके हैं। थोड़ा रुकिए बड़ा धमाका होने वाला है।
कहा- राणा व साथियों के बीच जो हुआ, उसके सुबूत मेरे पास
खैहरा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को चुनौती दी कि विजिलेंस ब्यूरो का चार्ज 24 घंटे के लिए उनको सौंप दें तो सच सामने आएगा। इसके बाद राणा और उसके साथी जेल की सलाखों के पीछे होंगे। उन्होंने कहा कि राणा के कर्मचारियों का रेत के खनन की बोली लगाना मनी लांड्रिंग, बेनामी लेन-देन और भ्रष्ट तरीके से धन का प्रयोग है, इसलिए इसकी विजिलेंस से जांच करवाई जाए।
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उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कह चुके हैं पुलिस और विजिलेंस पर सरकार का दबाव नहीं होगा तो अब राणा के मामले में विजिलेंस को काम करने दे और सच सामने आने दे। खैहरा ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने अपने मंत्री राणा के खिलाफ चार दिनों के बीच कार्रवाई नहीं की तो आप विधायक और सांसद 30 मई को मुख्यमंत्री के चंडीगढ़ स्थित सरकारी आवास के बाहर धरना देंगे।
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17 रेत खनन ठेका एक ही बाेलीकर्ता को
उन्होंने कहा कि कुल 89 रेत खनन की नीलामी हुई है। इनमें से 17 की नीलामी में एक ही बोली कर्ता (बीडर) पहुंचा और रिजर्व प्राइज पर उसके नाम बोली हो गई। अगर मुख्यमंत्री की नीयत साफ है तो इन 89 खनन स्थलों को एक हजार हिस्सों में बांटकर रोजगार की तलाश में भटक रहे लोगों को बांटा जाए। इससे कम से कम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
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कैप्टन रंधावा है राणा का दोस्त और बिजनेस पार्टनर
खैहरा ने कहा कि मात्र 10 या 15 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी करने वाले और खड्डों के मालिक बने मामूली कर्मचारियों के पास करोड़ों रुपयाे कहां से आ गए। राणा सफाई दे रहे हैं कि जिनके नाम बोली दी गई, वे उसकी कंपनी में काम नहीं करते, बल्कि कैप्टन रंधावा की कंपनी में काम करते हैं। यह कह कर राणा स्वीकार चुके हैं कि आदमी उसके ही हैं। मूलरूप से उत्तराखंड निवासी कैप्टन रंधावा वास्तव में राणा का बिजनेस पार्टनर है। अब अगर रसोइया और तीन अन्य कर्मचारी रंधावा की कंपनी में चले गए हैं तो वे राणा की ही कंपनी में गए हैं।