जालंधर वेस्ट सीट से केपी या मोहिंदर भगत में कौन होगा भाजपा का उम्मीदवार, फैसला आज
जालंधर वेस्ट से सीट से पिछले पांच विधानसभा चुनाव से भारतीय जनता पार्टी भगत चूनी लाल के परिवार से उन्हें या उनके बेटे को उम्मीदवार बनाती रही है। हालांकि मोहिंदर सिंह केपी के भाजपा ज्वाइन करने के बाद स्थिति दिलचस्प हो गई है।
मनोज त्रिपाठी, जालंधर। Punjab Assembly Election 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर सबसे रोचक मुकाबला जालंधर की वेस्ट सीट पर होने वाला है। कांग्रेस के सुशील रिंकू के बाद आम आदमी पार्टी के शीतल अंगुराल के मैदान में आने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी की तरफ से भी उम्मीदवार के नाम का ऐलान एक-दो दिनों में कर दिया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस के बागी पूर्व विधायक, मंत्री तथा सांसद मोहिंदर सिंह केपी को भाजपा इस बार केसरिया रंग में रंगकर वेस्ट हलके के चुनावी मैदान में उतारेगी। इस सीट से पिछले पांच विधानसभा चुनाव से भारतीय जनता पार्टी भगत चूनी लाल के परिवार से उन्हें या उनके बेटे को उम्मीदवार बनाती रही है।
इस बार इस सीट के समीकरण बदले नजर आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के पास इस सीट से कई दावेदारों के नाम हैं लेकिन किसका नाम फाइनल होना है, यह हाईकमान पर निर्भर करता है। जालंधर की दलित सियासत का केन्द्र बिन्दु रहने वाली यह सीट हमेशा से हॉट सीट के रूप में जानी जाती रही है। यहीं से निकलने वाली हार या जीत पूरे जालंधर या दोआबा के चुनाव परिणाम को प्रभावित करती है। रविदास व भगत बिरादरी के बाहुल्य वोटों वाली इस विधानसभा सीट से कांग्रेस व भाजपा के बीच हर चुनाव में अदला-बदली होती रही है। कांग्रेस ने इस बार भी सुशील रिंकू को ही टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। हालांकि केपी इस सीट से पहले चुनाव लड़ते रहे हैं और तीन बार विधायक भी रह चुके हैं। इसी सीट से उनके पिता दर्शन सिंह केपी भी विधायक रह चुके हैं।
आतंकवाद के दौर में आतंकियों द्वारा उनके पिता दर्शन सिंह केपी की हत्या के बाद केपी ने विरासत के रूप में इस सीट से चुनाव लड़ना शुरू किया था। 2012 में इस सीट से केपी की पत्नी सुमन केपी चुनाव हार गई थीं। उस समय केपी सांसद थे। नतीजतन पार्टी ने उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में होशियारपुर व 2017 के विधानसभा चुनाव में आदमपुर से उतारा था। केपी दोनों चुनाव हार गए थे। इस बार चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद केपी व चन्नी की करीबी रिश्तेदारी की वजह से उम्मीद की जा रही थी कि केपी की टिकट पक्की है, लेकिन एेसा हुआ नहीं। नतीजतन केपी ने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है और मौके की नजाकत को देखते हुए भाजपा ने केपी को अपने पाले में खड़ा करने की कवायद भी लगभग पूरी कर ली है। इस सीट से अगर केपी को उम्मीदवार बनाया जाता है तो मोहिंदर भगत का क्या होगा, यह फिलहाल अभी तय नहीं है।
सर्वे में भगत के पिछड़ने से केपी का लगा नंबर
भाजपा की तरफ से करवाए गए सर्वे में तीन बार मोहिंदर भगत पिछड़ते नजर आए हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो मोहिंदर भगत ने इसी वजह से आम आदमी पार्टी का दामन थामने की कवायद भी की थी। लेकिन बातचीत सिरे नहीं चढ़ सकी। यही वजह है कि पार्टी यहां से कोई दूसरा चेहरे देने के मूड में है।
वेरका व चन्नी के मनाने पर भी नहीं माने
बीते दिन डा. राजकुमार वेरका मोहिंदर सिंह केपी को साथ लेकर चन्नी के पास गए थे लेकिन केपी नहीं माने। उम्मीद की जा रही थी कि केपी को वेरका मना लेंगे क्योंकि पिछली बार भी जब केपी की टिकट फाइनल नहीं हुई थी, और वे नाराज थे तो वेरका ने उन्हें मनाया था।