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बहीखाता : पंजाब सरकार का खजाना खाली, काम आ रही विधायक बेरी की स्मार्टनेस

विधायक बेरी ने गुरु नानक पुरा रेलवे क्रॉसिंग के ऊपर ओवरब्रिज बनाने के लिए इसे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में कवर कराने की कवायद शुरू कर दी है।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 08:23 AM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 08:23 AM (IST)
बहीखाता : पंजाब सरकार का खजाना खाली, काम आ रही विधायक बेरी की स्मार्टनेस
बहीखाता : पंजाब सरकार का खजाना खाली, काम आ रही विधायक बेरी की स्मार्टनेस

जालंधर, [मनुपाल शर्मा]। कोरोना वायरस के कारण सरकार का खजाना तक हिल गया है। सरकार के अन्य खर्चे तो दूर, अब चुनौती तो मुलाजिमों को प्रतिमाह वेतन अदायगी की पैदा हो गई है। मंदी के हालात में किसी नए प्रोजेक्ट के लिए पैसा उपलब्ध होना संभव नहीं दिखाई दे रहा। ऊपर से चुनाव तेजी से नजदीक आ रहे हैं और हलके के लोगों से किए गए वादे भी नेताओं को निभाने हैं। ऐसे में विधायक राजिंदर बेरी की स्मार्टनेस खासी काम करती नजर आ रही है। बेरी ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से ही अपने प्रोजेक्ट पास कराने की ठान ली है। गुरु नानक पुरा रेलवे क्रॉसिंग के ऊपर ओवरब्रिज बनाने के लिए बेरी ने इसे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में कवर कराने की कवायद शुरू कर दी है। पंजाब सरकार का तो खजाना खाली है, लेकिन केंद्र के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में से तो पैसा मिल ही जाएगा।

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'राजा' की राहत का इंतजार

कोरोना काल में पहले दो महीने सब कुछ बंद रहा। इसके बाद मार्केट खुली लेकिन रफ्तार नहीं पकड़ सकी। नए ऑर्डर न होने से उद्योगपति परेशान हैं। पूंजी की कमी ने उद्यमियों की कमर तोड़ दी है। भारी आर्थिक मंदी से गुजर रही जालंधर की इंडस्ट्री अब सरकारी फरमानों से भी परेशान नजर आ रही है। कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कोई भारी आर्थिक पैकेज तो इंडस्ट्री को नहीं दिया गया है, लेकिन सरकारी विभागों की तरफ से इंडस्ट्री से वसूली करने की चेतावनी जरूर दे दी गई है। सी-फॉर्म के अलावा बिजली के लंबित फिक्स्ड चार्जेस भी देने को कहा गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमङ्क्षरदर सिंह और वित्त मंत्री मनप्रीत बादल तक से राहत के लिए गुहार लगाई जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने फरियाद तो सुन ली पर राहत की घोषणा नहीं कर रहे हैं।

संकट ही बना सौगात

कोरोना ने जहां उद्योग धंधों की कमर तोड़ दी है, सब काम ठप पड़ा है, कारोबारी सिर पकड़कर बैठे हैं और अभी दूर-दूर तक उम्मीद की किरण नहीं दिख रही है वहीं दूसरी तरफ निजी बस माफिया के लिए यह संकट किसी सौगात से कम नहीं है। कोरोना काल का जितना फायदा निजी बस माफिया ने उठाया है, उतना शायद ही किसी अन्य व्यवसाय में किसी ने उठाया हो। कोरोना के कारण इंटर स्टेट सरकारी बस सेवा बंद पड़ी हुई है, लेकिन निजी बस माफिया लगातार सेवाएं दे रहा है और इसके लिए यात्रियों से मनमाने रेट वसूले जा रहे हैं। संक्रमण के डर के चलते चेङ्क्षकग भी लगभग ठप ही पड़ी हुई है। इस कारण निजी बस माफिया से जुड़े लोग एक दूसरे से मजाक कर रहे हैं कि जब तक कोरोना है, तब तक मौज कर लो, बाद में तो सख्ती होनी तय है। कोरोना संकट के बाद तब की तब देखेंगे, अभी तो चांदी कूट ली जाए।

शराब ठेकेदारों का दर्द

शराब का व्यवसाय लॉकडाउन लागू होने के बाद से ही चर्चा में चल रहा है। कभी शराब ठेकेदार ठेके अलॉट कराने को राजी नहीं होते हैं तो कभी ठेका खोलना नहीं चाहते हैं। कभी सरकार उन्हें लुभाती नजर आती है तो अब शराब की ओवरऑल बिक्री में आई गिरावट ठेकेदारों को परेशान कर रही है। ठेकेदार कम हुई बिक्री के मुताबिक ही लाइसेंस फीस से राहत देने की मांग कर रहे हैं, जो उन्हें मिल नहीं रही है। ठेकेदार कुछ इस तरह से अपना दर्द बयान कर रहे हैं कि बाकी कारोबारी तो अपनी बात मनवाने के लिए हड़ताल कर डालते हैं, लेकिन अगर शराब ठेकेदार हड़ताल कर दें तो भी नुकसान उनका ही होगा, क्योंकि सरकार ने तो पूर्व निर्धारित फीस वसूलने की ठान ही ली है। अगर हड़ताल करेंगे तो थोड़ी आमदनी से भी जाएंगे और सरकार की तरफ से की जाने वाली रिकवरी में अपना नुकसान करवाएंगे।


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