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सेहत विभाग के लोकल व स्टेट के आकड़ें नही खा रहे मेल

सेहत विभाग का कोरोना के मरीजों में घालमेल स्वस्थ लोगों पर की सेहत बिगाड़ सकता है। इसका एक बड़ा कारण सेहत विभाग से गायब 29 रिपोर्टों का 29 दिन बाद कोई पता नहीं चलना है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 May 2020 08:13 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 06:02 AM (IST)
सेहत विभाग के लोकल व स्टेट के आकड़ें नही खा रहे मेल
सेहत विभाग के लोकल व स्टेट के आकड़ें नही खा रहे मेल

जागरण संवाददाता, जालंधर

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सेहत विभाग का कोरोना के मरीजों में घालमेल स्वस्थ लोगों पर की सेहत बिगाड़ सकता है। इसका एक बड़ा कारण सेहत विभाग से गायब 29 रिपोर्टों का 29 दिन बाद कोई पता नहीं चलना है। यही नहीं स्टेट और जालंधर के कोरोना के मरीजों के आंकडों में अंतर सेहत विभाग की बड़ी लापरवाही की ओर इशारा कर रहा है।

सेहत विभाग के स्टेट हेडक्वार्टर ने जालंधर के अधिकारियों पर खाते में दस मरीज कम दिखाने का दावा किया है जबकि जालंधर के अधिकारी इससे पल्ला झाड़ रहे हैं।

सेहत विभाग जालंधर की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को जिले में 228 मरीज पॉजिटिव तथा सात मौतें दर्ज की गई हैं। वहीं सेहत विभाग पंजाब की रिपोर्ट में जालंधर के मरीजों की संख्या 220 तथा मृतकों की संख्या छह दिखाई जा रही है। स्टेट की रिपोर्ट में कम मरीज दिखाने के बावजूद सेहत विभाग का स्टेट हैडक्वार्टर यह भी दावा कर रहा है कि जालंधर की सूची से करीब दस मरीज गायब हैं। उसका कहना है कि ये वे मरीज हैं जोकि पंजाब के अन्य जिलों में भर्ती हैं। मरीजों के आंकड़ों में घालमेल को लेकर अधिकारी बात एक-दूसरे पर डाल कर जिम्मेवारी से कन्नी कतरा रहे हैं।

29 दिन से 29 लोग कर रहे रिपोर्ट का इंतजार

शहर में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा सोमवार को 228 तक पहुंच चुका है। वहीं 29 दिन से रिपोर्ट का इंतजार कर रहे 29 लोगों ने भी रिपोर्ट मिलने की आस छोड़ दी है। सेहत विभाग की यह लापरवाही भविष्य में भारी पड़ सकती है। इन 29 में से अगर कोई पॉजिटिव हुआ तो उससे पॉजिटिव मरीजों की चेन लंबी हो सकती है। हालांकि 29 दिन बाद वे लोग स्वस्थ हो चुके होंगे लेकिन इनके संपर्क में जो लोग आए उनसे जिले में मरीजों का आंकड़ा बढ़ने का खतरा भी पैदा हो गया है। हालांकि इस बारे में सेहत विभाग सरकारी मेडिकल कालेज अमृतसर से रिपोर्ट नहीं आने का दावा कर रहा है तो अमृतसर में रिपोर्ट पेंडिग नहीं होने की बात कही जा रही है। ऐसे में यह रिपोर्ट रहस्यमयी तरीके से गायब होना सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा कर रही है। 28-29 अप्रैल को लिए थे सैंपल

28 व 29 अप्रैल को शहर के 505 के करीब संदिग्ध लोगों के सैंपल जांच के लिए लिए भेजे गए थे। इनमें से 29 दिन के बाद भी 29 लोगों की रिपोर्ट आनी बाकी है। इनमें से जिन सैंपलों की रिपोर्ट नहीं पहुंची उनमें मेयर के ओएसडी, बस्तीयात इलाके व स्थानीय संस्थान के पॉजिटिव आए मरीजों के संपर्क में आने वाले लोग भी शामिल हैं। जिन लोगों की रिपोर्ट नहीं आई उनमें से ज्यादातर आज भी घर से बाहर निकलने से डरते हैं। रिपोर्ट मंगवाई जा रही

सेहत विभाग के नोडल अफसर डॉ. टीपी सिंह का कहना है कि जिन लोगों की रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है, उनके सीरियल नंबर भेज पर रिपोर्ट मंगवाई जा रही है। वहीं, स्टेट हेडक्वार्टंर को रोजाना रिपोर्ट भेजी जा रही है। इसके बावजूद वह आंकड़ों में पिछड़ा है। जो मरीज कम बताने की बात कही जा रही है, उसके बारे में भी हेडक्वार्टर से जानकारी ली जा रही है।


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