शहर से घर लौट रहे मजदूर बोले- कोरोना ने छीना रोजगार, ऐसे हालात में भूखे मरेंगे
कर्फ्यू लग गया है। फैक्ट्री नहीं खुल रही हैं। दिहाड़ी बंद होने से दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए हैं। इस कारण मजदूर अपने घरों को लौटने के लिए मजबूर हो गए हैं।
जालंधर [मनीष शर्मा]। कर्फ्यू लग गया है। फैक्ट्री नहीं खुल रही। दिहाड़ी बंद है। चार दिन तो किसी तरह निकल गए, लेकिन आगे बिना पैसे क्या होगा? कहां से खाना आएगा? मकान मालिक भी किराया मांग रहा, इसलिए अब अपने गांव जा रहे हैं। यहां रहे तो भूखे मर जाएंगे। दो दिन का खाना साथ लिया है। यह कहते हुए उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में रहने वाले शिवराम अपने साथियों के साथ नकोदर चौक से पैदल ही चल पड़ा। वो बोले, यहां से सहारनपुर तक पैदल जाएंगे। करीब 260 किलोमीटर है। वहां योगी जी (यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) ने बस चला रखी है। उसमें घर चले जाएंगे और परिवार के साथ रहेंगे।
यह परेशानी इन अकेले लोगों की नहीं है, बल्कि फैक्ट्री के साथ होटल, रेस्टोरेंट, शॉपिंग मॉल, शोरूम, दुकानों में काम करने वाले बाहरी राज्यों के हजारों लोगों की है, जो 31 मार्च तक लगे कर्फ्यू के बाद यहां फंस गए हैं। न उनको कोई राशन मिल रहा है न ही कोई काम। यूपी समेत कई राज्यों ने अपने यहां के लोगों को वापस गांव तक पहुंचाने की पहल की है, लेकिन पंजाब सरकार ने अभी तक ऐसा कोई बंदोबस्त नहीं किया।
बिना वेतन पड़े खाने के लाले
ऐसा ही हाल उत्तराखंड के चंपावत के रहने वाले भीमराज, सामंत, सूरज, गोविंद, उम्मेद व शेखर का भी है। वो पीवीआर मॉल के नजदीक एक रेस्टोरेंट में काम करते हैं और चीमा नगर में रहते हैं। कर्फ्यू के कारण रेस्टोरेंट बंद हो गए, तो अब बेरोजगार हैं। बिना काम के वेतन भी नहीं मिल रहा और कमाई भी इतनी नहीं कि बिना वेतन के राशन आदि खरीद सकें। उन्होंने उत्तराखंड सरकार से भी संपर्क किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। हालांकि, राष्ट्रीय उत्तराखंड महासभा के राष्ट्रीय महासचिव संजीव नेगी के संपर्क करने पर कुमाऊं विकास मंडल के प्रधान दुर्गा सिंह बिष्ट ने उनको राशन पहुंचाया। कोई साधन मिले तो वो भी वापस लौटने के लिए तैयार बैठे हैं।
अकेले उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड ही नहीं बल्कि बिहार, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, कश्मीर आदि राज्यों के हजारों लोग जालंधर में फंसे हैं, जो यहां रोजी-रोटी कमाने का काम कर रहे हैं या फिर किसी कंपनी में तैनात हैं। प्रशासन कर्फ्यू पास दे रहा है, लेकिन बड़ी समस्या यातायात के साधन की है, क्योंकि बसें नहीं जा रही हैं। कई संस्थाएं मदद भी करना चाहती हैं, लेकिन ऐसे मुश्किल हालात में राशन व सब्जियां जुटानी मुश्किल हो रही हैं।
कारोबारियों की बढ़ेगी परेशानी
लेदर कांप्लेक्स व सर्जिकल कांप्लेक्स में फैक्ट्रियां हों या फिर शहर में चल रहे होटल-रेस्टोरेंट व अन्य कारोबारी संस्थान, ज्यादातर में बाहरी राज्यों से आए लोग काम कर रहे हैं। कर्फ्यू के दौरान उनका पलायन हुआ तो कोरोना वायरस से हालात सुधरने के बाद कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ती तय हैं। उन्हें एकदम से कर्मचारी व मजदूर मिलने मुश्किल हो जाएंगे।