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पंजाब में प्रवासी श्रमिक लौटने को तैयार, वापसी के टिकट का खर्च उठा रहे उद्यमी

पंजाब में अन्‍य राज्‍यों के श्रमिक वापस लौटने को तैयार है। उनको वापस लाने का खर्च उद्यमी उठा रहे हैं। इससे पंजाब के उद्योगों में रौनक लौटने की उम्‍मीद है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 12:49 AM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 12:49 AM (IST)
पंजाब में प्रवासी श्रमिक लौटने को तैयार, वापसी के टिकट का खर्च उठा रहे उद्यमी
पंजाब में प्रवासी श्रमिक लौटने को तैयार, वापसी के टिकट का खर्च उठा रहे उद्यमी

जालंधर/बठिंडा, [कमल किशोर/सुभाष चंद्र]। कोरोना के कारण लगे कर्फ्यू के दौरान इंडस्ट्री बंद होने से अपने प्रदेशों को गए श्रमिक अब लौटने को तैयार हैैं। उनको भी लग रहा है कि घर रहने से बेहतर है कि पंजाब पहुंचकर काम किया जाए। शहर की ऑटो पाट्र्स इंडस्ट्री में उत्पादन भी शुरू हो चुका है, लेकिन तीस फीसद लेबर के साथ प्रोडक्शन हो रहा है। ऑर्डर को पूरा करने के लिए अधिक लेबर की जरूरत है। दूसरी ओर, किसानों ने भी धान की रोपाई के लिए अन्‍य राज्‍यों से श्रमिकों को लाने के लिए पहल कर रहे हैं और विशेष बसें भेज रहे हैं।

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उत्‍तर प्रदेश और बिहार से आने वाली ट्रेनों की संख्या कम होने से आ रही दिक्कत

बिहार, उत्तर प्रदेश व झारखंड गई लेबर जालंधर वापस आना चाहती है और उद्यमी ट्रेन की टिकट का खर्च भी उठा रहे हैैं। समस्या यह है कि ट्रेनें अधिक न चलने और जो चल रही हैैं उनमें सीट न मिलने की वजह से लेबर वापस नहीं आ पा रही है। लेबर को वापस बुलाने के लिए जालंधर ऑटो पाट्र्स मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को ईमेल कर मांग की है कि बसों व ट्रेनों की संख्या व रुट बढ़ाया जाए ताकि लेबर काम पर लौट सके। फिलहाल इंडस्ट्री को घरेलू व विदेशी खरीददार से पंद्रह करोड़ के ऑर्डर मिले हुए हैं जिसमें पचास फीसद पूरे हो चुके हैं।

इंडस्ट्री करती है सात सौ करोड़ का कारोबार

शहर में 80 इंडस्ट्री है जो लगभग सात सौ करोड़ रुपये का कारोबार करती है। कर्फ्यू से पहले इंडस्ट्री में 30 हजार लेबर काम करती थी। अब दस हजार लेबर काम कर रही है। इंडस्ट्री में ट्रैक्टर, जेसीबी व चार पहिया वाहनों के उत्पाद तैयार होते हैं। यूरोपियन देशों के साथ-साथ घरेलू मार्केट में इंडस्ट्री कारोबार करती है।

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जालंधर ऑटो पाट्र्स मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के चेयरमैन व सीआइआइ पंजाब के सदस्य बलराम कपूर ने कहा कि श्रमिकों को वापस लाने के लिए टिकट का खर्च उठाया जा रहा है। ट्रेनों की कमी के कारण लेबर वापस नहीं आ रही है। एसोसिएशन की ओर से ट्रेन व रूट संख्या बढ़ाने के लिए सरकार को लिखा गया है।

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बसंत इंटरेशनल व एसोसिएशन के महासचिव तुषार जैन ने कहा कि इंडस्ट्री में उत्पादन तो शुरू हो चुका है। श्रमिकों की कमी कारण पूरा प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है। इंडस्ट्री लेबर वापस बुलाने के लिए वापसी की टिकटों का इंतजाम कर चुकी है।

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किसान धान की रोपाई के लिए राजस्थान से लाने लगे मजदूर

कोरोना काल में श्रमिकों के अपने प्रदेश लौट जाने के कारण किसानों के लिए इस बार धान की रोपाई बड़ी चुनौती बन गई है। रोपाई की सिर पर आ चुकी 10 जून की तिथि के चलते इस चुनौती को पार पाने को मजदूर लाने के लिए क्षेत्र के अधिकतर किसानों ने उत्तर प्रदेश और बिहार दूर होने के कारण राजस्थान की तरफ अपनी गाडिय़ां लेकर कूच करना शुरू कर दिया है। हालांकि कुछ किसान उत्तर प्रदेश और बिहार से भी मजदूर लेकर आ रहे हैं, लेकिन ज्यादा रुख नजदीक होने के कारण राजस्थान की ओर हो गया है।

बठिंडा जिले के कई गांवों में किसान राजस्थान से मजदूर ला चुके हैं और कई मजदूरों को लाने की तैयारी कर रहे हैं। मजदूर लाने और छोडऩे की शर्त पर ही पंजाब आ रहे हैं। कुछ किसान जिला प्रशासन के नियमों के अनुसार मजदूरों का मेडिकल चेकअप करवाकर उन्हें एक सप्ताह के लिए होम क्वारंटाइन भी कर रहे हैं, लेकिन कुछेक क्वारंटाइन से अपना काम प्रभावित होने के डर से उन्हें गुप्त भी रख रहे हैं। यूं तो श्रमिकों की कमी के कारण इस बार क्षेत्र में काफी रकबे में सीधी बिजाई हो चुकी है, लेकिन हल्की जमीन में रोपाई हाथों से ही होती है, इसलिए किसानों की अन्य राज्यों से मजदूरों को लाना मजबूरी है।

हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर से लाए जा रहे मजदूर

नथाना कसबा के किसान चरनजीत सिंह अपनी 52 एकड़ जमीन में धान की रोपाई के लिए हनुमानगढ़ से 13 मजदूरों को लेकर आए हैं। इसका उसने बाकायदा मेडिकल चेकअप भी कराया है और एक सप्ताह के लिए होम क्वारंटाइन में रखा है। उसने उनका कोरोना टेस्ट भी करवाया है। गांव बाठ के किसान जसकरन सिंह अपनी 40 एकड़ जमीन में धान के रोपाई के लिए फाजिल्का बॉर्डर से 11 मजदूरों को लेकर पहुंचे हैं। उसने भी उन्हें मेडिकल चेकअप के बाद होम क्वारंटाइन में रखा है।

नाथपुरा के किसान जगसीर सिंह पटियाला और राजपुरा के रेलवे स्टेशनों पर अपने राज्य लौटने के लिए गाड़ी के इंतजार में बैठे श्रमिकों को लेकर पहुंचे हैं। गांव जंडावाला के एक किसान श्रीगंगानगर से 13 श्रमिकों को लेकर आए हैं। उन्हें इन मजदूरों को लाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। कबरवाला के नाके पर तैनात पुलिस कर्मियों की ओर से उन्हें पंजाब में प्रवेश करने से रोकने पर उन्हे विभिन्न गांवों से होकर लाना पड़ा है।  मुक्तसर के गांव खुड्डियां गुलाब सिंह के किसान जश्नदीप सिंह सवा सौ एकड़ जमीन में धान की रोपाई को 14 श्रमिकों को उत्तर प्रदेश से लेकर आए हैं। भुच्चो मंडी के किसान उत्तर प्रदेश से मजदूर लाने की तैयारी कर रहे हैं।

स्थानीय मजदूरों से सस्ते पड़ रहे बाहरी राज्यों के श्रमिक

किसानों ने बताया कि बाहर से लाए जा रहे श्रमिक 3200 से लेकर 3500 रुपये तक प्रति एकड़ के रेट पर आ रहे हैं। जबकि पंजाब के श्रमिक चार से पांच हजार रूपये प्रति एकड़ रेट मांग रहे हैं। हालांकि अब प्रवासी श्रमिकों के आने से स्थानीय मजदूर भी अपना रेट कम करने लगे हैं। स्थानीय स्तर पर मजदूरों की कमी भी है।

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श्रमिकों की दो तस्वीरें : किसान पहना रहे फूल मालाएं, सेहत विभाग भूला कायदे-कानून

बरनाला। कोरोना और लॉकडाउन के कारण पैदा हुए संकट के बीच धान की रोपाई के लिए किसान श्रमिकों को खुद बाहरी राज्यों में जाकर लाने लगे हैं। गांवों में पहुंचने पर श्रमिकों को स्वागत कर पूरा सम्मान दिया जा रहा है।  बस से उतरते ही फूल मालाएं पहनाई जा रही हैं लेकिन स्वागत के बाद जैसे ही इन्हें क्वारंटाइन सेंटरों में भेजा गया तो सम्मान अपमान में बदल गया। सेंटरों के बाहर ही लाइन लगवाकर इन्हें बिठा दिया गया। न तो शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करवाया गया और न स्कूल यानि क्वारंटाइन सेंटर के कमरों के दरवाजे खोले गए।

सुबह नौ बजे से पहुंच इन श्रमिकों की जांच के लिए शाम तक कोई सेहत कर्मी भी नहीं आया। गांव कैरे के किसान सुखङ्क्षवदर ङ्क्षसह बिहार के मोतिहारी से 39 मजदूरों को लाए थे। उन्होंने बताया कि प्रशासन के निर्देशों पर मजदूरों को जुमला मालकान सरकारी स्कूल बरनाला के एक बरामदे में ठहरा दिया है। यहां मजदूर 6 घंटे तक चेकअप का इंतजार करते रहे। डॉक्टर नहीं आए तो नीचे फर्श पर ही एकजुट होकर सो गए, क्योंकि तीन दिन के बस के सफर से काफी थक चुके थे।

उधर भारतीय किसान यूनियन लक्खोवाल के नेता जगसीर सिंह ने महलकलां में लाए मजदूरों के गले में फूल मालाएं पहना उनका स्वागत किया। साबुन, मास्क, सेनिटाइजर भी बांटे। उन्होंने बताया कि श्रमिकों की रिहायश का प्रबंध मोटरों पर किया गया है। प्रशासन दो दिन तक इन्हें निगरानी में रखेगा। इनकी रिपोर्ट आने के बाद वे खेतों में काम करने के लिए जा सकेंगे।

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बिहार से होशियारपुर लौटे 32 मजदूर, उद्योग मंत्री ने किया स्वागत

होशियारपुर। बिहार से होशियारपुर लौटे 32 मजदूरों का होशियारपुर पहुंचने पर उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने हार पहनाकर स्वागत किया। अरोड़ा ने कहा कि जब मजदूर अपने पैतृक गांव जाना चाहते थे, तो उनका वहां जाने का प्रबंध करवाया गया। अब जबकि कोरोना महामारी का प्रकोप काफी कम हो रहा तो मजदूर एक बार फिर से काम की तलाश में पंजाब लौटने लगे हैं। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री लेबर के सिर पर ही टिकी है। श्रमिकों की समस्याओं को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों और इंडस्ट्री मालिकों को भई विशेष हिदायतें जारी की गई हैं।

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