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मानसिक तनाव ने चढ़ाया यूथ के बीपी का पारा

वर्तमान के दौर में मानसिक तनाव यूथ को बीपी की गोली खाने को मजबूर कर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 01:12 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 01:12 PM (IST)
मानसिक तनाव ने चढ़ाया यूथ के बीपी का पारा
मानसिक तनाव ने चढ़ाया यूथ के बीपी का पारा

जगदीश कुमार, जालंधर : पंजाब में विदेश में नौकरी और फिर वापस आकर आराम-परस्ती का जीवन जीना बीमारियों को दावत देता है। जंक फूड का बढ़ता प्रचलन व ग्राउंड में खेलों से दूरी तथा बढ़ा इनडोर का क्रेज जवानी में कदम रखते ही लड़के-लड़कियों को हाई ब्लड प्रेशर के दबाव में ले रहे हैं। खाने के साथ आचार व पापड़ के चटपटे स्वाद बीपी को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

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वर्तमान के दौर में मानसिक तनाव यूथ को बीपी की गोली खाने को मजबूर कर रहा है। पंजाब में जवानी में शराब और तंबाकू का सेवन उनकी ¨जदगी के लिए खतरा पैदा कर रहा है। डॉक्टरों की मानें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 3 में से 1 व्यस्क हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) के दबाव में दबा है। 20 से 30 साल के उम्र वर्ग के 10 में से 1 यूथ तथा 50 साल तक 10 में से 5 लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं। इलाज के प्रति लापरवाही इन मरीजों में से 45 फीसद हृदय व 51 फीसद स्ट्रोक की वजह से मौत का निवाला बनते हैं। सेहत विभाग की बीपी के खतरे पर नजर

सेहत विभाग की डायरेक्टर डॉ. जसपाल कौर कहती हैं कि ब्लड प्रेशर व इससे उत्पन्न होने वाली दिल, स्ट्रोक, मधुमेह व कैंसर जैसी बीमारियों के खतरे को टालने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य में जागरूकता मुहिम चलाई जाएगी। नॉन कॉम्यूनिकेबल डिसीजिज (एनसीडी) सेल गठित किए गए हैं। इसके तहत अलग से तैनात स्टाफ लोगों के घर-घर जाकर ब्लड प्रेशर जांचने व इससे होने वाली बीमारियों की सूची तैयार करता है। वे इन बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को नजदीकी सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए प्रेरित करता है। यूथ में दोगुना बढ़े हाई बीपी के केस

टैगोर अस्पताल एवं हार्ट केयर सेंटर के एमडी डॉ. विजय महाजन का कहना है कि 10 साल पहले ओपीडी में आने वाले मरीजों में से 10 फीसद के मरीज हाई बीपी के आते थे। वर्तमान में इनकी तादाद दोगुनी हो चुकी है। पहले 50 साल की उम्र से अधिक उम्र के लोगों को बीपी की शिकायत होती थी। वर्तमान में 20 साल की आयु के युवक में भी हाई बीपी के केस सामने आ रहे हैं। दिल के 70-75, किडनी के 80-85 तथा स्ट्रोक के 60-70 फीसद हाई बीपी की देन हैं। हाई बीपी को योगा, मेडिटेशन व थोड़ी से सावधानी से इस पर काबू पाना संभव है। शहरों में रहने वाले अधिक तनाव में

कपिल अस्पताल के एमडी डॉ. कपिल गुप्ता का कहना है कि पीजीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक शहरों में 46 व देहात में 26 फीसद लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में हाई बीपी सामने आ रहा है। वर्तमान में हाई बीपी के शिकार यूथ के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पढ़ाई में अव्वल आने व नौकरी पाने की होड़ में शामिल यूथ तनाव की वजह से हाई बीपी की गिरफ्त में आ रहे हैं।

ये हैं लक्षण

-सिर में भारीपन व दर्द महसूस होना।

-आंखों के आगे अंधेरा और चक्कर आना।

-घबराहट के साथ पसीना आना व बेचैनी बढ़ना।

-चेहरे का रंग फीका पड़ना।

-आंखों में जलन महसूस होना।

-कई बार नाक से खून बहना। ये बरतें सावधानियां

-पुरुषों की कमर 38 व महिलाओं की 32 इंच से कम हो।

-बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) 18.5 से 24.9 के बीच हो।

-धूमपान को छोड़ने का प्रयास करें।

-सामान्य भार बरकरार रखे।

-मानसिक तनाव कम करें।

-शरीर को आराम देने के लिए ध्यान लगाएं।

-शराब के सेवन पर नियंत्रण रखें।

-नमक (1.5 ग्राम प्रतिदिन) व वसा युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन कम करें।

-आचार, पापड़ तथा चटनी से परहेज करें।

-रोजाना कम से कम 30-40 मिनट कसरत करें या पैदल चलें।

-पौष्टिक आहार लें।

-खाना पकाने में कम तेल उपयोग करें।

-ताजे फलों का सेवन अधिक करें।


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