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जालंधर की शानः खुद को बदला, कंपनी को बदला और बन गईं दुनिया की लीडर

Gems of Jalandhar लीडर वाल्व्स की एमडी पूर्णिमा बेरी कहती हैं। मुझे कंपनी संभाले हुए 48 वर्ष हो गए हैं मैंने कभी गुणवत्ता से समझौता नहीं किया। चीन से मिली कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद भी हमारी कंपनी के उत्पादों की डिमांड लगातार बढ़ रही है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 06:26 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 06:26 AM (IST)
जालंधर की शानः खुद को बदला, कंपनी को बदला और बन गईं दुनिया की लीडर
पूर्णिमा बेरी जालंधर की जानी-मानी कंपनी लीडर वाल्व्स की एमडी हैं।

जालंधर,  [मनोज त्रिपाठी]। मेरे पिता बलबीर चंद मेहरा का अमृतसर में होलसेल में कपड़ों का कारोबार था। शादी के बाद मैं अमृतसर  से 1968 में जालंधर शिफ्ट हो गई। मेरी मां राज मेहरा ने सिखाया था कि कुछ भी हो जाए, हमेशा एक बात ध्यान में रखना औरत परिवार की बैकबोन (रीढ़ की हड्डी) होती है। परिवार को हमेशा जोड़कर रखना और पारिवारिक काम में हाथ बंटाना। मैने शादी के चार साल बाद से ही पारिवारिक कंपनी लीडर वाल्व्स में काम सीखना शुरू कर दिया था। आज हम देश सहित विदेशों में तमाम देशों को वाल्व की सप्लाई कर रहे हैं।

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जेके बेरी से शादी के बाद उन्होंने भी मुझे हमेशा लीड करने के लिए उत्साहित किया। मैने फैक्ट्री में पहले हर स्तर का काम सीखा। एक महिला के लिए लोहे से जुड़े उत्पादों वाली फैक्ट्री में काम सीखना कठिन था, लेकिन मैने इसे चुनौती के रूप में लिया। पहले मैने मैटेरियल की जानकारी हासिल की। फिर डिजाइन की जानकारी ली। मैने प्री इंजीनियरिंग का कोर्स किया था। इसके चलते मुझे पहले से ही थोड़ा बहुत आइडिया था कि फैक्ट्री में किस प्रकार का काम होता है।

फैक्ट्री की अलग-अलग यूनिटों के बारे में सारी जानकारी हासिल करने के बाद मैने सेल व परचेज का काम अपने हाथों में लिया। श्रीलंका में लगी एक प्रदर्शनी में हमारी कंपनी ने भी अपना स्टाल लगाया था। उसे मैंने मैनेज किया था। वहां से पहली बार हमारी कंपनी को दो हजार डालर का आर्डर मिला। उसके बाद हमने अपने गुणवत्ता वाले उत्पादों के आधार पर तमाम देशों में अपने उत्पादों की सप्लाई करके बाजार में अलग पहचान बनाई। आज 48 साल हो चुके हैं मुझे फैक्ट्री संभालने हुए। इस दौरान मैंने कभी भी गुणवत्‌ता से समझौता नहीं किया। चीन से मिली कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद भी हमारी कंपनी के उत्पादों की डिमांड लगातार बढ़ रही है।

पानी के जहाजों से लेकर वाल्व वाले हर उत्पाद में हमारी भागीदारी

पूर्णिमा बेरी बताती हैं कि दुनिया भर में बनने वाले पानी के जहाजों के निर्माण से लेकर ऐसे उत्पाद जिनमें वाल्व्स का इस्तेमाल होता है, उसमें हमारी कंपनी में तैयार वाल्व लगाए जाते हैं। मुझे खुशी होती है कि तमाम देशों में जालंधर का नाम इसी सहारे हम पहुंचा रहे हैं। हमारे यहां  विभिन्न प्रकार के लोहों से तैयार  होने वाले वाल्व डिफेंस में भी सप्लाई होते हैं।

लक्ष्मी तीन पीढ़ियों तक रहती है, इसलिए उसका सम्मान करना चाहिए

पूर्णिमा बताती हैं कि लक्ष्मी माता किसी भी घर में तीन पीढ़ियों तक रहती हैं। ऐसा उन्होंने सुना है। इसलिए सभी को लक्ष्मी का सम्मान करना चाहिए और उसका इस्तेमाल भी इस बात को ध्यान में रखकर करना चाहिए कि वह हमेशा खुश रहे। जिसने भी लक्ष्मी का सम्मान नहीं किया, उसका हस्र बुरा ही होता है। इसलिए हमेशा बड़ों की इस बात को ध्यान में रखना चाहिए।

युवाओं में एटीट्यूड की समस्या है, उन्हें अपना आचरण सुधारना होगा


युवाओं को लेकर पूर्णिमा कहती हैं कि आज के युवाओं में ए़टीट्यूड की समस्या है। उन्हें इस बात को ध्यान में रखना होगा कि हमेशा अभिभावकों के अऩुभव को आधार बनाकर उसे अपनी जीवन में आत्मसार करें। पैसा कमाने के लिए शार्ट कट के बजाय ईमानदारी व मेहनत पर जोर देना चाहिए। युवाओं को पारिवारिक व्यवसाय को भी गंभीरता से लेना चाहिए।

जालंधर में मुझे सबसे अच्छा लीडर लगता है


जालंधर में सबसे मुझे सबसे अच्छी ली़डर कंपनी लगती है या इसका नाम अच्छा लगता है। यही वजह है कि मैं हमेशा लीडर को बाजार का लीडर बनाए रखने में विश्वास को और मजबूती के साथ आगे बढ़ाना चाहती हूं। जालंधर में  सबसे बुरा यहां की टूटी सड़कें व यातायात की समसया है। इसे सरकार व सबंधित विभागों सहित लोगों को भी गंभीरता से लेना होगा। यह हमारा शहर है, सभी को मिलकर इसे सुधारना होगा।

हरिवल्लभ संगीत महासम्मेलन से मिलती है आत्मा की खुराक

मैं हरिवल्लभ संगीत महासम्मेलन की कमेटी से जुड़ी हूं। मेरे लिए साल में संगीत सम्मेलन के चार दिन आत्मा की खुराक वाले होते हैं। मैं सबकुछ भूलकर संगीत के सुरों में खोई रहती हूं। इन चार दिनों में मैं खुद को इतना तरोताजा महसूस करती हूं कि साल भर की आत्मा की खुराक मिल जाती है। यही वजह है कि अगले साल के सम्मेलन की तैयारियां पूरे साल करती रहती हूं।

महिलाओं को और एक्टिव होना चााहिए

पूर्णिमा बताती हैं महिलाओं को और ज्यादा एक्टिव होना चाहिए। वह सब कुछ कर सकती हैं। बस उन्हें अपने अंदर मजबूत इच्छा शक्ति पैदा करनी होगी। काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं है। बस जो भी काम करें उसमें इनवाल्व होकर करें।  एक दिन वह भी आएगा जब उन्हें उनकी मेहनत का सार्थक परिणाम मिलेगा। इसके बाद वह सोसायटी की रोल माडल बनेंगी।


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