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मेयर राजा ने अपनी ही सरकार की One Time Settlement पॉलिसी की खारिज, बताई ये वजह

जालंधर में पानी का बिल ना देने पर सिर्फ 10 फीसद सेस लगता है। यहां ब्याज और जुर्माने का प्रावधान नहीं है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 08:34 AM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 11:27 AM (IST)
मेयर राजा ने अपनी ही सरकार की One Time Settlement पॉलिसी की खारिज, बताई ये वजह
मेयर राजा ने अपनी ही सरकार की One Time Settlement पॉलिसी की खारिज, बताई ये वजह

जालंधर, जेएनएन। पंजाब सरकार ने बुधवार को पानी-सीवरेज बिल के डिफॉल्टरों के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम की घोषणा कर दी लेकिन मेयर जगदीश राजा इससे खुश नहीं हैं। उन्होंने इसे खारिज कर दिया है। नई स्कीम के तहत तीन महीने में एकमुश्त बिल जमा करवाने पर जुर्माना और ब्याज माफ होगा। मेयर का तर्क है कि इससे लोगों को फायदा नहीं होगा, पॉलिसी को सरल करने की जरूरत है।

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सरकार ने स्कीम के तहत वन टाइम सेटलमेंट में तीन महीने और छह महीने के दो आप्शन दिए हैं। अगर पानी और सीवरेज का पूरा बिल तीन महीने में जमा करवा दिया जाता है तो डिफॉल्टर को सिर्फ मूल राशि देनी होगी। उसका ब्याज और जुर्माना दोनों माफ हो जाएगा। अगर डिफॉल्टर पहले तीन महीने में पेमेंट नहीं करता है तो अगले तीन महीने में भुगतान पर सिर्फ जुर्माना माफ होगा और उसे ब्याज देना ही होगा। अगर छह माह में डिफॉल्टर भुगतान नहीं करता है तो मूल राशि के साथ जुर्माना और ब्याज भी लिया जाएगा। यही नहीं डिफॉल्टर का पानी-सीवरेज का कनेक्शन भी काट दिया जाएगा।

उधर, जालंधर में स्कीम का पहला ऑप्शन ही रह सकता है। इसका कारण ये है कि जालंधर में बिल ना देने पर सिर्फ 10 फीसद सेस लगता है। यहां ब्याज और जुर्माने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में निगम इस योजना की पहली ऑप्शन के तहत की डिफॉल्टरों को तीन माह में बिल देने को कह रहा है। शहर में पानी के बिलों के करीब 40 हजार डिफॉल्टर हैं। इनसे निगम ने 46 करोड़ रुपये वसूलना है। लोगों पर यह बकाया काफी सालों से है और इसकी रकम बढ़ती जा रही है।

सिर्फ एक साल का बिल ही लिया जाए : मेयर

मेयर जगदीश राज राजा ने कहा कि उन्होंने विधायकों के साथ मिलकर प्रपोजल तैयार की है कि डिफॉल्टरों से मौजूदा और पिछले साल का बिल ही लिया जाए, तभी योजना का फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि वे विधायकों को लेकर मुख्यमंत्री और स्थानीय निकाय मंत्री से मिलेंगे। वाटर मीटर पॉलिसी को सफल करने की लिए जरूरी है कि पुराने हिसाब-किताब को जल्द खत्म किया जाए।

अफसरों ने बनाई थी ये योजना

वहीं, अफसरों ने वाटर मीटर पॉलिसी से पहले वन टाइम सेटलमेंट के तहत 50 प्रतिशत तक की माफी की प्रपोजल दी है। एक बार में पैसे चुकाने पर 50 प्रतिशत बकाया माफ और दो किश्तों में बकाया देने पर 25 प्रतिशत बकाया माफी करने की प्रपोजल तैयार की थी लेकिन पंजाब सरकार की योजना पहले ही आ गई। 

बिल ना देने पर कटेगा कनेक्शन

पंजाब सरकार की स्कीम के तहत अगर छह महीने की दो आप्शन में बकाया बिल जमा नहीं करवाए जाते हैं तो निगम डिफॉल्टरों के पानी-सीवरेज के कनेक्शन काट देगा। यह कनेक्शन फिर पानी का पूरा बकाया बिल जमा करवाने के बाद ही जोड़ा जाएगा। इसके लिए अलग से चार्जिस भी देने पड़ सकते हैं। नगर निगम पहले ही बकायदारों से वसूली के लिए अभियान चलाए हुए है। इसके तहत कनेक्शन भी काटे जा रहे हैं।

सीएफसी सेंटरों और निगम में जमा करवाएं बिल

नगर निगम अगर इसी वन टाइम सेटलमेंट स्कीम को लागू कर देता है तो डिफॉल्टरों से बकाया लेने के लिए भी इंतजाम करना होगा। निगम के सात जोन ऑफिस हैं और सभी में बिल का भुगतान किया जा सकता है। यह ऑफिस प्रताप बाग, बीर बबरीक चौक, दादा कालोनी, प्रताप बाग नंबर 2, मॉडल टाउन, रामामंडी के साथ ही निगम के मेन ऑफिस कंपनी बाग में भी बिल के काउंटर हैं। जररूत पडऩे पर यह सेंटर बढ़ाए जा सकते हैं। नगर निगम की वेबसाइट पर जाकर भी ऑनलाइन पेमेंट भी दी जा सकती है।

वाटर मीटर पॉलिसी पर काम जारी

नगर निगम शहर में वाटर मीटर पॉलिसी लागू करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए पानी की दर, छूट तय करने के लिए कमेटी बनाई हुई है। इसके सुझाव अंतिम चरण में हैं। जमीन के नीचे का पानी बचाने के लिए ही यह पॉलिसी लागू की जा रही है। सभी को पानी का बिल देना होगा। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि निगम की आय भी इससे बढ़ेगी और शहर के विकास के लिए पैसा जमा होगा।

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