स्मृतिः पर्रिकर ने मात्र 25 मिनट में लिया था 15 लाख सैनिकों के जीवन से जुड़ा बड़ा फैसला
ले. कर्नल संधू बताते हैं कि रक्षा मंत्री रहते हुए पर्रिकर ने मात्र आधे घंटे में प्रीमियम बढ़ाए बिना ही सैनिकों का इंश्योरेंस कवर बढ़ाने का फैसला लेकर चौंका दिया था।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। गोवा के मुख्यमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का गत दिवस अग्नाशय के कैंसर से निधन हो गया। पर्रिकर ने रक्षा मंत्री रहते हुए जनमानस पर अमिट छाप छोड़ी थी। वह बहुत सरल और सहज व्यक्ति थे और लोगों से दिल खोलकर मिलते थे। उनसे जुड़ी कुछ ऐसी ही यादें साझ की रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस संधू ने। ले. कर्नल संधू बताते हैं कि रक्षा मंत्री रहते हुए पर्रिकर ने मात्र आधे घंटे में सैनिकों के आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड (एजीआईएफ) में प्रीमियम बढ़ाए बिना ही इंश्योरेंस कवर बढ़ाने का फैसला लेकर अपनी प्राशसनिक क्षमता का परिचय दिया था।
पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की त्वरित प्रशासनिक निर्णय लेने की क्षमता के बारे में बताते हुए ले. कर्नल जेएस संधू।
ले. कर्नल संधू बताते हैं कि इसे लेकर तमाम सैन्य कमांडरों से लेकर कई रक्षा मंत्रियों और प्रधानमंत्रियों तक गुहार लगाई जा चुकी थी, लेकिन किसी ने फैसला लेना तो दूर, बात करना भी जरूरी नहीं समझा था। सेना में कार्यरत लगभग 15 लाख सैनिकों (अधिकारी एवं जवान) को सिविल के बराबर इंश्योरेंस कवर दिलाने की लड़ाई लड़ रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस संधू ने मनोहर पर्रिकर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। वह कहते हैं पर्रिकर सेना और सैनिकों के प्रति सकारात्मक रवैया रखते थे।
17 पूना हॉर्स से संबंधित लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस संधू ने स्व. मनोहर पर्रिकर के साथ मई 2016 में हुई अपनी बैठक के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वह सैनिकों के मुद्दे पर लगातार विभिन्न स्तरों पर पत्राचार कर रहे थे, जैसे ही उन्होंने तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को पत्र लिखा तो उन्होंने उनके साथ मुलाकात की इच्छा जाहिर की। इसके बाद उन्होंने रक्षा मंत्रालय (दिल्ली) में हुई एक बैठक में सेवारत सैनिकों का इंश्योरेंस कवर सिविल की ही भांति बढ़ाए जाने और मात्र 40 साल की उम्र में रिटायर हो जाने वाले जवानों को ताउम्र बीमा कवर मुहैया करवाने ए जाने का मसला उठाया था। लगभग 25 मिनट तक चली इस बैठक के दौरान मनोहर पर्रिकर ने तत्काल सारे मामला समझा और तुरंत सेना के एक जनरल के नेतृत्व में कमेटी बनाकर रक्षा मंत्रालय को रिपोर्ट करने को कहा।
लगभग 4 माह में ही मनोहर पर्रिकर ने सेवारत अधिकारियों का बीमा कवर 60 लाख से बढ़ाकर 75 लाख रुपये करने और जूनियर कमीशन ऑफिसर (जेसीओ) एवं अन्य रैंक, जिसमें डिफेंस सर्विस कोर एवं एपीएस भी शामिल थे, का बीमा कवर 30 लाख से बढ़ाकर साढ़े 37 लाख करने का आदेश जारी कर दिया था। 12 अक्टूबर 2016 से बढ़ाए गए इंश्योरेंस कवर संबंधी आदेश भी लागू हो गया था। इस संबंध में एजीआईएफ की तरफ से तमाम आर्मी कमांड को पत्र लिखकर सूचित भी कर दिया गया था।
तुरंत लेते थे फैसला
ले. कर्नल संधू ने बताया कि रक्षा मंत्री को बताया था कि सिविलियंस को बीमा कंपनियां बेहद कम प्रीमियम में काफी बड़ा बीमा कवर उपलब्ध करवा रही हैं लेकिन लेकिन एजीआईएफ के तहत सैनिकों को उससे वंचित रखा जा रहा था। सिविल की बीमा कंपनियों की तुलना में बेहद कम बीमा कवर दिया जा रहा था। ले. कर्नल की बात सुनने के बाद उन्होंने मामले में तुरंत फैसला लिया।
उनके पद छोड़ने के बाद आजीवन बीमा का मामला लटका
लेफ्टिनेंट कर्नल संधू ने कहा कि मनोहर पर्रिकर ने इंश्योरेंस कवर बढ़ाए जाने का फैसला तो तुरंत ले लिया था, लेकिन इससे पहले कि जवानों को ताउम्र बीमा कवर दिए जाने संबंधी में फैसला ले पाते, उन्होंने रक्षा मंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया था और वह गोवा के मुख्यमंत्री बना दिए गए थे।
कर्नल संधू ने कहा कि मनोहर पर्रिकर का सेना एवं सैनिकों के प्रति सकारात्मक रवैया का इससे ज्वलंत उदाहरण कोई नहीं हो सकता कि उनके जाने के बाद अभी तक जवानों को ताउम्र बीमा दिए जाने संबंधी कोई फैसला नहीं लिया जा सका। कर्नल संधू ने कहा कि अगर मनोहर पर्रिकर जैसे रक्षा मंत्री आजादी के बाद देश को मिले होते तो भारतीय फौज के सैनिक एक अलग स्तर पर होते। उनके निधन से सेवारत और सेवानिवृत्त सैनिकों में गहरा शोक है।