शराब की तस्करी के लिए जाली आइडी प्रूफ देकर किराए पर लेता था गाडिय़ां
वाहनों पर जाली नंबर प्लेट लगाकर शराब की तस्करी करने के आरोप में पुलिस ने अमन नगर निवासी इंद्रजीत सिंह को गिरफ्तार किया है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : थाना तीन की पुलिस ने चोरी की कार और 5 पेटी शराब के साथ अमन नगर निवासी इंदरजीत सिंह को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के दौरान पुलिस ने उससे चोरी का टेंपो ट्रेवलर और एक अर्टिगा कार बरामद की। आरोपित ने इन दो वाहनों पर भी जाली नंबर प्लेट लगा रखी थी। उसके पास इन जाली नंबरों की आरसी तो थी लेकिन दोनों वाहनों का चेसी नंबर इससे मेल नहीं खाता था। नई दिल्ली और गुरुग्राम के इलाकों में ठगी और जालसाजी की वारदातों को अंजाम दे चुका आरोपित खुद को टैक्सी ड्राइवर बता किराए पर गाड़ी लेता था, इसके बाद जाली नंबर प्लेट लगा और उसी नंबर की जाली आरसी बनाकर दिल्ली से अवैध शराब की तस्करी पंजाब के विभन्न इलाकों में करता था।
हत्या केस में जमानत पर बाहर आया था आरोपित
एडीसीपी परमिंदर सिंह भंडाल ने बताया कि आरोपित इंदरजीत सिंह ने अपनी दो महिला मित्रों के साथ लुधियाना के संत इसर सिंह नगर फ्लैट्स के रहने वाले राजिंदर सिंह चीमा का अपहरण किया था। राजिंदर साल 2007 में यूएसए से भारत लौटा था। इसके बाद से वह वापस लुधियाना स्थित अपने फ्लैट में रहने लगा था। आरोपितों ने 14 जनवरी 2016 को राजिंदर का अपहरण किया और उसे खांबड़ा में ले आए। यहां राजिंदर की हत्या कर दी। मामले में पुलिस ने आरोपित इंदरजीत सहित लुधियाना की रहने वाली मालती मिन्हास को गिरफ्तार किया था। इसी तरह मामले में नामजद तीसरी आरोपित परमजीत कौर वासी लुधियाना फरार चल रही है। जबकि आरोपी इंदरजीत जेल से जमानत पर बाहर आया था।
दिल्ली और गुरुग्राम में जालसाजी के तीन केस
आरोपित इंदरजीत सिंह के खिलाफ दिल्ली के थाना मोरिया एंक्लेव में युवक के साथ धोखाधड़ी कर उसकी प्रॉपर्टी का गलत तरीके से सौदा करवाने के आरोप में, दिल्ली के थाना बसंत विहार में साल 2010 में एक अन्य धोखाधड़ी के आरोप में केस दर्ज हुआ था। इसी तरह साल 2017 में गुरुग्राम के थाना उद्योग विहार में भी आरोपी इंदरजीत के खिलाफ आईटी एक्ट व आईपीसी की विभन्न धाराओं के तहत केस दर्ज है। सभी मामलों में आरोपित ने जमानत ले रखी है।
आरोपित ने बना रखा है जाली आइडी प्रूफ
इंद्रजीत ने बताया कि 3 साल पहले दिल्ली में रहते योगेश के साथ उसने लोगों के साथ ठगी की वारदातों को अंजाम देने शुरू किया था। दोनों ने अपने जाली आईडी प्रूफ जाली बनवाए। वह दोनों अपने आपको ड्राइवर बताकर काम करने के लिए रेंट पर गाडिय़ां लेते। वह पहले अपना भरोसा गाड़ी देने वाले पर बनाते। इसके बाद 20 से 25 हजार रुपये एडवांस देकर रेंट पर गाड़ी ले जाते। कुछ दिन बाद उन गाडिय़ों पर जाली नंबर लगाकर दिल्ली से पंजाब ले आते थे।