जानलेवा साबित होता अवैध खनन, माफिया लगा रहे सरकारी खजाने को चूना, पर्यावरण से भी खिलवाड़
अमरिंदर सिंह सरकार लाख दावे करे कि राज्य में खड्डों एवं नदियों से अवैध खनन बंद हो गया है परंतु जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल विपरीत है।
जेएनएन, जालंधर। बेशक पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार लाख दावे करे कि राज्य में खड्डों एवं नदियों की रेत-बजरी निकालने के लिए नीलामी कर दिए जाने के बाद अवैध खनन बंद हो गया है, परंतु जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल विपरीत है। पंजाब में खासकर हिमाचल के साथ लगते सीमावर्ती इलाकों में अवैध खनन का खेल पहले की तरह बदस्तूर जारी है। प्रतिदिन गैरकानूनी और अवैज्ञानिक तरीके से हजारों टन रेत मशीनों की मदद से निकालकर खनन माफिया न सिर्फ सरकारी खजाने को चूना लगा रहे हैं, अपितु पर्यावरण से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। यही वजह है कि पहाड़ों पर जब बादल बरसते हैं तो राज्य में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं।
नदियों के किनारे पानी की मार नहीं ङोल पाते और बहुत से इलाके जलमग्न हो जाते हैं। इस अवैध खनन की वजह से सरकार को राजस्व हानि के साथ ही प्राकृति को दैवीय खनिज की क्षति हो रही है। इसका असर मानव जीवन पर भी पड़ रहा है। नदियों एवं खड्डों से खनन करके लाई गई रेत का परिवहन खुले वाहनों में किया जाता है। जो हवा के साथ उड़कर पर्यावरण को दूषित करती है।
रेत के सूक्ष्म कण हवा में फैलने से वे सांस लेने पर हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं और हमारे फेफड़ों में एकत्र हो जाते हैं। इससे हमारे शरीर में नई-नई बीमारियां होने लगती हैं। इतना ही नहीं कई बार तो ये वाहन ओवरलोड होने की वजह से सड़क किनारे पलट जाते हैं, जिससे दबकर मजदूरों की मौत तक हो जाती है, लेकिन इसके बाद भी खनन के इस अवैध कारोबार को शासन एवं प्रशासन बंद कराने में असमर्थ हैं।
अब तो यह अवैध खनन जानलेवा भी साबित होने लगा है। बुधवार को जिला रूपनगर के तहत आते पड़ोसी राज्य हिमाचल से सटे आनंदपुर साहिब में अवैध खनन करते हुए दो लोगों की जान चली गई। यह दोनों सतलुज नदी से अवैध रूप से निकाली जा रही रेत टिप्पर में भरकर लौट रहे थे। अचानक यह अनियंत्रित होकर नदी में गिर गया। टिप्पर चालक एवं उसका सहयोगी दोनों ही टिप्पर समेत नदी में डूब गए। दोनों के शव प्रशासन ने जेसीबी मशीन की मदद से बाहर निकलवाए। यह ऐसा कोई पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व भी ऐसे कई हादसे हो चुके हैं और कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
हैरानी इस बात की है कि राज्य में रूपनगर से लेकर फिरोजपुर, पठानकोट में इतने बड़े स्तर पर अवैध खनन का खेल चल रहा है और सत्ताधारी दल के विधायक-नेता भी इस पर सवाल उठा चुके हैं, इसके बावजूद सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है। लोग मर रहे हैं या फिर खनन माफिया द्वारा उनकी तरफ अंगुली उठाने वाले लोगों को मारा जा रहा है, पर हैरत की बात है कि अफसरशाही हाथ पर हाथ धरे तमाशबीन बनी बैठी है। सरकार को राज्य में रेत के लिए अवैज्ञानिक और अवैध खनन के खेल को रोकने के लिए गंभीरता से प्रयास करने चाहिए और इन पर शिकंजा कसना चाहिए, ताकि पर्यावरण के साथ-साथ जानें भी बचाई जा सकें।
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