पादरी एंथनी के गायब कैश मामले में एएसआइ और मुखबिर विदेश नहीं भाग पाएंगे, एसआइटी ने उठाया ये कदम
पंजाब पुलिस ने फादर एंथनी के गायब कैश मामले में आरोपित दोनों एएसआइ और एक मुखबिर पर शिकंजा कसने के तैयारी कर ली है।
जागरण संवाददाता, जालंधर। फादर एंथनी के घर से 6 करोड़ से ज्यादा का कैश गायब करने के आरोपित एएसआइ राजप्रीत सिंह, एएसआइ जोगिंदर सिंह और मुखबिर सुरिंदर सिंह विदेश न भाग सकें, इसके लिए पुलिस ने लुक आउट सर्कुलर जारी कर दिया है। इसके बाद सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर पुलिस को अलर्ट कर दिया गया है।
इससे पहले पटियाला के एसएसपी मनदीप सिंह ने दोनों एएसआइ के खिलाफ मोहाली क्राइम पुलिस थाने में धोखाधड़ी व एंटी करप्शन एक्ट का केस दर्ज होने के बाद शनिवार को ही सस्पेंड कर दिया था। हालांकि इस मामले में अभी तक इन तीनों का कोई पता नहीं चल सका है। केस दर्ज करने के बाद डीजीपी दिनकर गुप्ता की बनाई नई एसआइटी ने शनिवार देर शाम मीटिंग की, इसमें आइजी क्राइम प्रवीन सिन्हा के साथ जालंधर पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर, पटियाला के एसएसपी मनदीप सिंह व एआइजी क्राइम राकेश कौशल भी शामिल हुए। अफसरों ने तीनों आरोपितों की गिरफ्तारी और कैश रिकवर करने पर माथापच्ची की।
आईजी सिन्हा की जांच पर भी उठे सवाल
पुलिस कर्मचारियों के कैश गायब करने के आरोपों वाले अहम मामले में आइजी क्राइम प्रवीन सिन्हा की जांच टीम पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। आइजी सिन्हा की टीम ने जांच पूरी करने में लगभग डेढ़ हफ्ते लगा दिए। जांच टीम ने बैंक कर्मचारियों के बयान दर्ज करने में भी देरी की। उनके बयान से स्पष्ट था कि उनका गिना हुआ कैश गायब किया गया है। वहीं, बड़ा सवाल यह है कि जब आइजी क्राइम व जांच टीम के सदस्यों के आगे साफ था कि रेड करने गई टीम में से ही किसी ने कैश गायब किया है तो फिर उन्हें अंडरग्राउंड होने का मौका क्यों दिया गया? जांच टीम ने उन्हें सिर्फ मौखिक बयान लेकर ही क्यों जाने दिया? आरोपितों समेत दूसरे पुलिस कर्मचारियों पर किसी तरह की बंदिश क्यों नहीं लगाई गई कि जांच पूरी होने तक वो जांच टीम की निगरानी से बाहर न हों। इस बारे में आइजी क्राइम प्रवीन सिन्हा को कई बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल अटैंड नहीं की।
बॉस बनकर रहता था मुखबिर, चलाता था हुक्म
इस मामले में एक और अहम बात सामने आई है कि मुखबिर पठानकोट के नौशेहरा खुर्द का रहने वाला सुरिंदर खन्ना में बॉस बनकर रहता था। पुलिस के दूसरे दफ्तरों से लेकर एसएसपी ऑफिस में उसकी बेरोकटोक आवाजाही थी। वो सीनियर अफसरों से मीटिंग और छोटे मुलाजिमों को आदेश तक देता था। एक मुखबिर को वीआइपी ट्रीटमेंट देने से अब खन्ना पुलिस के आला अफसरों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सुरिंदर के अलावा एक और मुखबिर हरिंदर बब्बू का नाम भी सामने आ रहा है। हालांकि वो इस रेड टीम के साथ जालंधर नहीं आया था।
मुखबिरों की सिफारिश पर पटियाला से खन्ना आए
सूत्रों के अनुसार इंस्पेक्टर अमनपाल सिंह, एएसआइ जोगिंदर सिंह और एएसआइ राजप्रीत सिंह को पटियाला से खन्ना भी इन्हीं मुखबिरों की सिफारिश पर ट्रांसफर किया गया था। इन्होंने खन्ना पुलिस को बड़े गैंगस्टरों व दूसरे अपराधियों को पकड़वाने का भरोसा दिया था। यही वजह है कि खन्ना के एसएसपी दफ्तर से सिफारिश गई और चुनाव आचार संहिता लागू होने के बावजूद चुनाव आयोग से मंजूरी लिए बगैर डीजीपी ऑफिस से उन्हें अस्थायी तौर पर खन्ना ट्रांसफर कर दिया गया। आधिकारिक तौर पर कोई भी इस बारे में खुलकर नहीं बोल रहा, लेकिन इससे खन्ना पुलिस के एसएसपी ध्रुव दहिया समेत आला अफसरों पर भी जांच की सुई घूम गई है।
कागजों में नहीं थी रेड टीम, इसलिए मिला बड़ा मौका
एएसआइ राजप्रीत व जोगिंदर और मुखबिर सुरिंदर जानते थे कि यह रेड टीम खन्ना पुलिस ने कागजों में नहीं डाली है। रेड की जगह यह कैश बरामदगी खन्ना में नाकाबंदी के दौरान दिखाई जानी थी, जिसके लिए डीएसपी हंसराज, एसएचओ दोराहा इंस्पेक्टर करनैल सिंह और एएसआइ मोहिंदरपाल सिंह की टीम बनाई गई थी। खुद पुलिस वाले होने की वजह से वो इन हालात से वाकिफ थे, इसी वजह से पहले उन्होंने कैश गायब किया और आइजी क्राइम की जांच का अंदाजा लगा भाग भी निकले।
बठिंडा भी बिना बताए रेड करने गए एसएसपी!
खन्ना पुलिस बिना सूचना के दूसरे के अधिकार क्षेत्र में रेड करने सिर्फ जालंधर में ही नहीं आई थी, बल्कि उसी दिन खन्ना पुलिस की एक टीम बठिंडा भी वहां की पुलिस को सूचित किए बिना किसी गैंगस्टर को पकडऩे गई थी। बताया जाता है कि तब उनके साथ हरिंदर नाम का मुखबिर था और खुद एसएसपी खन्ना ध्रुव दहिया टीम के साथ थे।