नगर निगम में करोड़ों रुपये के घोटाले की आशंका, स्थानीय निकाय विभाग ने उठाए सवाल Jalandhar News
निकाय विभाग ने पूछा है कि नगर निगम इसके लिए अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां क्यों नहीं खरीद रहा है। इतनी धनराशि में नगर निगम 30 से ज्यादा ट्रैक्टर ट्रॉलियां अपनी खरीद सकता है।
जालंधर, [जगजीत सिंह सुशांत]। स्थानीय निकाय विभाग ने नगर निगम में करोड़ों रुपये का ट्रैक्टर-ट्रॉली किराये का घोटाला पकड़ा है। उक्त ट्रैक्टर-ट्रॉलियां कूड़ा उठाने के लिए हर साल किराये पर ली जाती हैं और इन पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इस बार भी निगम ने 3.25 करोड़ के पांच टेंडर निकाले तो निकाय विभाग ने इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नगर निगम के हाउस में पास किए गए प्रस्ताव पर स्थानीय निकाय विभाग ने निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। निकाय विभाग ने पूछा है कि नगर निगम इसके लिए अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां क्यों नहीं खरीद रहा है। इतनी धनराशि में नगर निगम 30 से ज्यादा ट्रैक्टर ट्रॉलियां अपनी खरीद सकता है। विभाग ने कहा है कि टेंडर सिर्फ एक साल के लिए है, लेकिन यदि इन पैसे से वह खुद उक्त वाहन खरीद ले तो कई साल काम किया जा सकता है और निगम का करोड़ों रुपया बच सकता है।
कुत्तों के आपरेशन का टेंडर दोबार लगाने की बजाय एक्सटेंड करने पर भी सवाल
विभाग ने एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोजेक्ट का टेंडर एक्सटेंड करने पर भी सवाल खड़े किए हैं। निगम से पूछा है कि एक साल का टेंडर खत्म होने पर दोबारा टेंडर क्यों नहीं लगाया गया। एक साल में 9600 कुत्तों के आपरेशन किए गए और एक साल खतम होने पर नया टेंडर लागने की बजाये पुराना टेंडर ही एक्सटेंड कर दिया।
पशुओं को गोशाला भेजने में भी घालमेल
निकाय विभाग ने नगर निगम की ओर से पशुओं को गोशाला भेजने लिए दिए जा रहे ठेके पर भी सवाल खड़े किए हैं। नगर निगम शहर में बेसहारा घूमने वाले पशुओं को गोशालाओं में भेजने के लिए भी गाड़ियां किराए पर ले रही है। शाहकोट की गोशाला में पशु भेजने के लिए प्रति चक्कर गाड़ी का किराया करीब 4200 प्रतिदिन के हिसाब से सालाना 15.23 लाख रुपये और फरीदकोट में प्रति चक्कर के लिए करीब छह हजार के हिसाब से सालाना 21.80 लाख रुपये खर्च किए जाने हैं। निकाय विभाग ने इस केस भी पूछा है कि करीब 37 लाख रुपये दो गाड़ियों के लिए खर्च किए जा रहे हैं तो निगम अपनी दो गाड़ियां क्यों नहीं खरीद लेता। एक गाड़ी की कीमत करीब नौ लाख रुपये है। जबकि निगम एक साल के लिए सिर्फ गाड़ियों का किराया ही 37 लाख रुपये दे रहा है। अगर ड्राइवर का खर्च निकाल भी दिया जाए तो भी निगम के लाखों रुपये बच सकते हैं।
दो महीने से पेंडिंग टेंडर पर अब दोबारा फैसला ले सकता है निगम
नगर निगम ने अगले साल के लिए दो महीने पहले टेंडर निकाले थे लेकिन अभी तक ठेकेदारों के लेस को लेकर पेच फंसा हुआ है। इस कारण पुराना ठेका ही एक्स्टेंड कर कूड़ा उठाने का काम चलाया जा रहा है। नियमों के तहत एक तरह के काम के लिए सबसे ज्यादा लेस पर ही दूसरे ठेके दिए जाते हैं। नगर निगम के चार विधानसभा हलकों के टेंडरों के लिए विशाल कांट्रेक्टर ने दो हलकों के लिए टेंडर भरा है। इनमें वेस्ट हलके के लिए 35.35 प्रतिशत और कैंट हलके के लिए टेंडर अमाउंट से 37.11 प्रतिशत काम करने का प्रस्ताव रखा है। इसी तरह सेंट्रल हलके के लिए गौरव गुप्ता ने 16.13 और नॉर्थ हलके के लिए 15.13 प्रतिशत लेस दिया है। इसके अलावा गौरव गुप्ता ने निगम अफसरों को 37.11 प्रतिशत लेस देने से मना कर दिया है। गौरव गुप्ता का कहना है कि इतने लैस पर काम संभव ही नहीं है।
शहर में कहां कितना पैसा खर्च होगा
वेस्ट हलका 42.41 लाख
कैंट 34.71 लाख
नॉर्थ 50.74 लाख
सेंट्रल 59.70 लाख
सड़कों के टेंडर में 25 से ज्यादा प्रतिशत लेस पर सवाल
सरकार का नियम है कि अगर सड़कों के काम के लिए 25 प्रतिशत से ज्यादा लेस आए तो ठेकेदार से स्पष्टीकरण लिया जाए कि वह किस तरह काम करेगा। एस्टीमेट से 25 प्रतिशत कम राशि पर काम कैसे संभव है। ट्रैक्टर-ट्रालियों के मामले में निगम 37 प्रतिशत लैस पर ही काम करवाना चाहता है। यहां भी यही सवाल है कि या तो काम में पूरी गड़बड़ी होगी या फिर काम ही नहीं होगा। नगर निगम ने मेजर सिंह कॉलोनी, कबीर एवेन्यू, कोहिनूर एन्क्लेव, मोती बाग, बाबा बुड्डा जी नगर एक्सटेंशन, बाबा दीप सिंह नगर, मधुबन कॉलोनी, बाबा बुड्डा जी पुली, टावर एन्क्लेव की सड़कें बनाने के 25 प्रतिशत से ज्यादा लेस पर काम दिया है। इसमें ठेकेदारों से पांच प्रतिशत की बैंक गारंटी मांगी गई है लेकिन ठेकेदार ने अब तक बैंक गारंटी नहीं दी है।
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