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एनआरआइ की बच्चेदानी से निकालीं 14 रसौलियां

ब'चेदानी के अंदर और बाहर रसौलियों की वजह से आस्ट्रेलिया की 31 वर्षीय एनआरआइ सात साल से संतान सुख से वंचित थी। महिला का लैप्रोस्कोप से ऑपरेशन कर उसकी संतान सुख में आने वाली बाधाओं को दूर किया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 07:41 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 07:41 PM (IST)
एनआरआइ की बच्चेदानी से निकालीं 14 रसौलियां
एनआरआइ की बच्चेदानी से निकालीं 14 रसौलियां

जागरण संवाददाता, जालंधर (वि) : बच्चेदानी के अंदर और बाहर रसौलियों की वजह से आस्ट्रेलिया की 31 वर्षीय एनआरआइ सात साल से संतान सुख से वंचित थी। महिला का लैप्रोस्कोप से ऑपरेशन कर उसकी संतान सुख में आने वाली बाधाओं को दूर किया।

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जेनेसिस अस्पताल में लैप्रोस्कोपिक सजर्न डॉ. लख¨वदर ¨सह और फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. सोनिया कंबोज ने बताया कि महिला की बच्चेदानी में कई रसौलियां अंदर और बाहर बनीं थी। रसौलियों के कारण बच्चेदानी का साइज छह माह के गर्भ जैसा लग रहा था। स्कैन से पता चला कि महिला के पित्ते में भी पत्थरी है। डॉक्टरों की टीम ने दूरबीन से ऑपरेशन करने का फैसला लिया। दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पहले महिला के पत्थरियों से भरे पित्ते को निकाला और फिर उसी रास्ते से एक-एक करके महिला की बच्चेदानी के आसपास बनी 14 रसौलियों को निकाला गया। डॉ. लखविंदर ¨सह ने बताया कि महिला की हालत ठीक है। सभी रसौलियों का साइज 3 से 10 सेंटीमीटर था। बच्चेदानी में इनती सारी रसौलियां होने से गर्भ धारण करना मुश्किल हो जाता है। इसके बाद वह दोबारा प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण कर सकती हैं।

डॉ. सोनिया ने बताया कि महिला की शादी सात साल पहले हुई थी। इन्हीं रसौलियों के कारण वह मां बन पाने में सफल नहीं हो पा रही थी। महावारी ज्यादा आने की वजह से पेट में दर्द रहता था। उसका उठना बैठना भी मुश्किल हो चुका था। सजर्री के तीसरे दिन बाद उसे छुट्टी दे दी गई है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में चल रहे कैंप में 100 के करीब मरीजों की जांच की गई थी।


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