बीबीएमबी से लेनी पड़ सकती है जमीन
जालंधर छावनी-पठानकोट रेल खंड पर स्थित लद्देवाली आरओबी (रेलवे ओवर ब्रिज) के निर्माण के लिए बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) से कुछ जमीन का अधिग्रहण करना पड़ सकता है। चौगिट्टी चौक से लेकर रेलवे क्रॉ¨सग तक जगह कम होने के चलते जमीन अधिग्रहण की जरूरत पड़ेगी।
मनुपाल शर्मा, जालंधर
लद्देवाली रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) के निर्माण के लिए बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) से कुछ जमीन का अधिग्रहण करना पड़ सकता है। चौगिट्टी चौक से लेकर रेलवे क्रॉ¨सग तक जगह कम होने के कारण इसकी जरूरत पड़ेगी। अगस्त में ही पीडब्ल्यूडी ने आरओबी के निर्माण को लेकर सर्वे किया था, जिसमें चौगिट्टी चौक की तरफ उतरने वाले अप्रोच रोड को बाई तरफ घुमाव देकर नेशनल हाईवे के साथ सटी सर्विस लेन पर उतारा जाना संभव बताया गया है। आरओबी पिलर्स के ऊपर ही खड़ा किया जाएगा और सड़क को घुमाव देने की प्रक्रिया के दौरान बीबीएमबी की जमीन की जरूरत होगी।
अप्रोच रोड के लिए चाहिए 320 मीटर जगह
अनुमान के मुताबिक लद्देवाली आरओबी की ऊंचाई आठ मीटर के लगभग होगी क्योंकि लगभग साढ़े 6 मीटर की ऊंचाई पर रेलवे की ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर निकलती है। सिविल इंजीनिय¨रग के मुताबिक ब्रिज की अप्रोच रोड को प्रत्येक 40 मीटर में एक मीटर उठाया जाता है ताकि बिना इंजन वाले दोपहिया या चौपहिया (साइकिल, रेहड़ी आदि) भी आराम से पुल पार कर सकें। इसकी अप्रोच रोड बनाने के लिए 320 मीटर जगह की जरूरत होगी। चौगिट्टी फ्लाईओवर से रेलवे क्रॉ¨सग तक लगभग 180 मीटर जगह उपलब्ध है। इसी कारण अप्रोच रोड को घुमावदार बना कर इसे सर्विस लेन पर उतारने की योजना तैयार की गई है। अप्रोच रोड को नेशनल हाइवे की सर्विस लेन पर उतारने की योजना है। इस कारण नेशनल हाईवे अथॉरिटी से भी अनुमति लेनी होगी। पीडबल्यूडी के सर्वे के बाद अब रेलवे की ड्राइंग का इंतजार किया जा रहा है। रेलवे ट्रैक के ऊपर स्लैब डालने की ड्राइंग रेलवे की तरफ से ही तैयार किया जाना है।
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बीबीएमबी और नेशनल हाइवे से तुरंत अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। आरओबी का काम शुरू करने में कई देरी नहीं होने दी जाएगी।
-रा¨जदर बेरी, जालंधर केंद्रीय।
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भारी जाम है आरओबी बनाने की वजह
लद्देवाली रेलवे क्रॉ¨सग से 24 घंटे में लगभग 80 ट्रेनों के गुजरने के चलते फाटक दिन में कई घंटे बंद रहता है। इस कारण बार-बार लंबा जाम लगता है। रेलवे फाटक के अगले हिस्से में एक बड़ा रिहायशी क्षेत्र है। इसके अलावा स्कूल और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी का रीजनल सेटर भी है। यह रोड होशियारपुर के लिए वैकल्पिक मार्ग के तौर पर प्रयोग किया जाता है। गांव नंगलशामा, ढड्डा, पतारा आदि के बा¨शदे भी यहीं से गुजरते हैं। कई बार मरीज ला रही एंबुलेंस भी जाम में फंसी हुई नजर आती हैं। स्कूली बच्चों और ऑफिस जा रहे मुलाजिमों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है।