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खुद को मिली कामयाबी तो दूसरों के लिए खोल दिए मदद के द्वार, जुड़े 200 से ज्यादा परिवार

बरसों पहले पंजाब आए और हुनर व मेहनत से कामयाबी पाई। तब लगा कि अब वक्त आ गया है कि हमें दूसरों की मदद के लिए आगे आना होगा।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 01:04 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 09:13 AM (IST)
खुद को मिली कामयाबी तो दूसरों के लिए खोल दिए मदद के द्वार, जुड़े 200 से ज्यादा परिवार
खुद को मिली कामयाबी तो दूसरों के लिए खोल दिए मदद के द्वार, जुड़े 200 से ज्यादा परिवार

मनीष शर्मा, जालंधर। बरसों पहले पंजाब आए और हुनर व मेहनत से कामयाबी पाई। तब लगा कि अब वक्त आ गया है कि हमें दूसरों की मदद के लिए आगे आना होगा। यही सोच लेकर उत्तराखंड के नैन सिंह नेगी, खिमानंद नैलवाल, अंबादत्त रिखाड़ी, कुंवर सिंह नेगी, गोपाल सिंह रावत, बालम सिंह रावत, चंदन सिंह मेहरा, ओमप्रकाश पांडे, पंडित अमरीक चंद तिवाड़ी, दौलत सिंह रावत व राधे सिंह रावत ने कुछ और साथियों के साथ मीटिंग की और फैसला किया कि अब एक संस्था बनाई जाएगी, जिसके जरिए उत्तराखंड से आए लोगों के सुख-दुख में शामिल होंगे। इसके बाद 25 अक्टूबर 1998 को बनी कुमाऊं विकास मंडल। जिसके जरिए न केवल आपसी दुख-सुख सांङो हुए बल्कि अपनापन भी बढ़ा।

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संस्था से लोग जुड़ते गए और फिर साल 2006-07 में मान सिंह नगर में जीएनडीयू कैंपस के पास कुमाऊं भवन बना। इस वक्त संस्था में लगभग 200 परिवार जुड़े हुए हैं और हर साल जनवरी में वो वार्षिक समारोह कर उत्तराखंड की संस्कृति से युवा पीढ़ी को रूबरू कराते हैं। वहीं, उत्तराखंड के लोगों को कोई दिक्कत हो तो फिर पंजाब सरकार से लेकर उत्तराखंड सरकार व केंद्र सरकार तक से संपर्क कर उसे दूर कराने में जुटे रहते हैं। मौजूदा प्रधान अंबादत्त रिखाड़ी कहते हैं कि संस्था के जरिए हमारा मकसद आपसी मेल-मिलाप व भाईचारा बढ़ाना है। कहीं किसी को कोई जरूरत पड़ती है तो संस्था तुरंत वहां उपलब्ध रहती है। अब तो कई लोग मिलकर संस्था को कामयाबी से आगे बढ़ा रहे हैं।

सरकारों से भी जारी है संघर्ष : उत्तराखंड व वहां के लोगों की जरूरत को लेकर भी कुमाऊं विकास मंडल का संघर्ष लगातार जारी है। उत्तरप्रदेश के नजीबाबाद से उत्तराखंड के काशीपुर व रामनगर तक जिला नैनीताल व अल्मोड़ा बार्डर नेशनल कार्बेट पार्क मोहान तक रेल लाइन जोड़कर रेल सेवा उपलब्ध कराने, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा व उत्तर प्रदेश में रहते उत्तराखंडी परिवारों, सैनिकों व अर्धसैनिक बलों के लिए पर्याप्त रेल सेवा उपलब्ध कराने, जम्मू से काठगोदाम चलने वाले गरीब रथ को जम्मू से वाया जालंधर चलाने, अमृतसर वाया चंडीगढ़ से काशीपुर व लालकुआं तक चलने वाली काठगोदाम तक बढ़ाने, रामगंगा के किनारे मोटर मार्ग बनाने व राष्ट्रीय राजमार्ग रामनगर से गढ़वाल मंडल व कुमाऊं मंडल का सड़क मार्ग धनगड़ी से मोहान के अधीन आती नदी पर पुल बनाने के लिए भी उन्होंने सरकारों से संघर्ष जारी रखा हुआ है। इसके लिए पत्र भेजकर लगातार सरकार को अवगत कराते रहते हैं।

लोकतांत्रिक तरीके से होता है चुनाव

कुमाऊं विकास मंडल का संचालन सदस्यों के माध्यम से चुनी कार्यकारिणी व संरक्षक मंडल से होता है। कार्यकाल दो साल का होता है। इस बार 14 अप्रैल को चुनाव होने हैं। चुनाव के लिए जनरल अधिवेशन बुलाकर से पदाधिकारी चुने जाते हैं। मंडल हर वित्तीय वर्ष में आय-व्यय का विवरण व सामाजिक कामकाज का ब्यौरा तैयार कर सभा के हर सदस्य को वितरित करती है।

नशे के सख्त खिलाफ हैं संस्था के सदस्य

कुमाऊं विकास मंडल नशे के सख्त खिलाफ है। इसके लिए बकायदा नियम है कि संस्था के सामाजिक या सांस्कृतिक कार्यक्रमों या सभा की बैठक में कोई भी शराब पीकर या अन्य कोई नशा करके नहीं आएगा। अगर ऐसा हुआ तो उसे संस्था से निलंबित कर दिया जाएगा।

देशहित में देते हैं सहयोग

देश में कभी आपदा आई तो कुमाऊं विकास मंडल हरसंभव योगदान देता है। 1999 में उत्तराखंड में आए भूकंप पीड़ितों, कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों के परिवारों, गुजरात के विनाशकारी भूकंप पीड़ितों, साल 2004-05 में सुनामी लहर पीड़ितों, उत्तराखंड के केदारनाथ में आई त्रसदी पीड़ितों, जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ के पीड़ितों के लिए संस्था ने हजारों रुपये की आर्थिक मदद की।


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