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शिव भक्तों की सेवा नहीं कर सके तो की समाज सेवा

कोरोना वायरस महामारी के चलते इस बार श्री अमरनाथ यात्रा करवा पाना संभव नहीं था।

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 07:28 AM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 07:28 AM (IST)
शिव भक्तों की सेवा नहीं कर सके तो की समाज सेवा
शिव भक्तों की सेवा नहीं कर सके तो की समाज सेवा

शाम सहगल, जालंधर: कोरोना वायरस महामारी के चलते इस बार श्री अमरनाथ यात्रा करवा पाना संभव नहीं था। इसके साथ ही श्री अमरनाथ यात्रा के दौरान हर वर्ष सेवाएं देने वाली पंजाब के पहले श्री अमरनाथ 'बी' ट्रस्ट के संचालकों को भोले बाबा के दर्शनों से वंचित रहने के साथ-साथ शिव भक्तों की सेवा भी न कर पाने का मलाल था। ऐसे में संस्था के संचालक व मकसूदां सब्जी मंडी के कारोबारी कुलभूषण अग्रवाल ने इस बार गरीबों व जरूरतमंदों की सेवा की। उन्होंने बेरोजगार हो चुकी लेबर तथा दिहाड़ीदारों को राशन देने के साथ सेवा की शुरुआत की। इसके बाद मंडी में लगातार बढ़ रही भीड़ तथा खतरे के बीच पहुंचे कारोबारियों से लेकर उनके मुलाजिमों, पल्लेदारों तथा रेहड़ी संचालकों को मास्क व सैनिटाइजर भेंट किए। हालांकि इस दौर में बाहर निकलकर सेवाएं देना आसान काम नहीं था, लेकिन खुद की सुरक्षा का व्यापक इंतजाम करके खुद को संक्रमण से बचाए रखा।

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शिव भक्तों की तरह देते रहे सेवाएं

कुलभूषण अग्रवाल बताते हैं कि श्री अमरनाथ यात्रा के दौरान हर साल शिव भक्तों को खाने से लेकर दवाइयां व विश्राम के लिए टेंट मुहैया करवाने के साथ ही ड्राईफ्रूट व अन्य जरूरत का सामान भेंट किया जाता था। इस बार ऐसा संभव नहीं था, जिसके चलते यह सेवाएं इस बार शहर के जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाई। मकसूदां के आसपास लगते स्लम इलाकों से लेकर मंडी में रहने वाले गरीब परिवारों को हर 15 दिनों के बाद राशन के पैकेट उपलब्ध करवाए जाते रहे। स्लम इलाकों में जाकर सेवाएं देने के साथ कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण से खुद की रक्षा करना भी किसी चुनौती से कम न था। ऐसे में चरणजीतपुरा स्थित निवास स्थान से ही सुबह से ही पैक होकर निकलते रहे। जिसके तहत हाथों में गलव्स, सिर पर कैप, फेस कवर सहित तमाम तरह के सुरक्षा नियमों की पालना की जाती रही।

पिता ने दी सेवा की प्रेरणा

पिता स्व. रवि भूषण शिव भक्तों के परम भक्त थे। इसके चलते शिव भक्तों की सेवा करने के लिए श्री अमरनाथ 'बी' ट्रस्ट की शुरूआत की। उनसे मिली सेवा की प्रेरणा के चलते ही यह परंपरा जारी रखी। हालांकि इस बार ये सेवाएं शहर में दी गई है।


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