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Dussehra 2022: भगवान ब्रह्मा के परपोते थे रावण, यहां जानिए दशानन से जुड़ी कुछ खास बातें

Dussehra 2022 देशभर में दशहरा का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। क्या आप जानते हैं कि रावण एक ब्राह्मण के पुत्र व भगवान ब्रह्मा के परपोता थे। आज हम आपको दशानन के बारे में ऐसे कई फैक्ट्स बताएंगे।

By Vinay KumarEdited By: Published: Tue, 04 Oct 2022 12:35 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 12:35 PM (IST)
Dussehra 2022: भगवान ब्रह्मा के परपोते थे रावण, यहां जानिए दशानन से जुड़ी कुछ खास बातें
Dussehra 2022: दशानन से जुड़ी कुछ खास बातें यहां जानिए।

आनलाइन डेस्क, जालंधर। Dussehra 2022: देशभर में दशहरे का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जगह-जगह पर रावण के पुतले जलाएं जाते हैं। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि रावण एक ब्राह्मण के पुत्र व भगवान ब्रह्मा के परपोता थे। उन्होंने कई सिद्धियां प्राप्त की थी इसलिए उन्होंने नवग्रहों को भी अपने कब्जे में कर लिया था। रावण कैलाश पर्वत को हिलाने की शक्ति रखता था और उसे शिव का वरदान प्राप्त था। रावण जिसे हम पौराणिक कथाओं का सबसे बड़ा विलेन मानते हैं उसे इतना सुख मिला था कि उसकी मृत्यु स्वयं श्रीराम के हाथों हुई थी। रावण को लेकर कई भ्रांतियां भी हैं और ऐसे कई फैक्ट्स हैं जिनके बारे में लोगों को नहीं पता है।

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रावण ब्रह्मा के पोते थे

शायद आपको पता ना हो लेकिन रावण भगवान ब्रह्मा के पोते थे। असल में, ब्रह्मा जी के 10 बेटे माने गए थे जिन्हें उन्होंने अपने मन की शक्ति से पैदा किए थे। ब्रह्मा जी के एक बेटे प्रजापति पुलस्त्य के बेटे विश्रवा एक ब्राह्मण थे, जिन्होंने रावण को जन्म दिया। ऐसे में वह ब्रह्मा जी के परपोते हुए।

न के देवता कुबेर के भाई थे रावण

आपने रावण के भाइयों के तौर पर विभीषण और कुंभकरण का नाम सुना होगा। मगर धन के देवता कुबेर भी रावण के भाई थे। दरअसल, विश्रवा की दो पत्नियां थीं। इनमें से एक इडविडा थीं। वे सम्राट तृणबिन्दु और एक अप्सरा की बेटी थी। दूसरी राक्षस सुमाली एवं राक्षसी ताड़का की पुत्री कैकसी थी। कुबेर जी विश्रवा और इडविडा के पुत्र थे। ऐसे में वे रावण के सौतेले भाई हुए।

प्रभु राम से पहले इन दो लोगों से हारा था रावण

हर कोई समझता है कि शक्तिशाली रावण को पहली व आखिरी बार हार श्रीराम से ही मिली थी। मगर ,धार्मिक ग्रंथ रामायण के अनुसार रावण को पहले भी दो लोगों को हार का मुंह दिखाया था। वह वानर राज बाली और माहिष्मति के राजा कार्तवीर्य अर्जुन (महाभारत वाले अर्जुन नहीं) से भी हार पा चुके थे। वैसे तो वह काफी ज्ञानी थे लेकिन उन्होंने अपने जीवन में एक गलती (सीता माता का अपहरण) कर दी, जिसके कारण उनका अंत हुआ।

विभीषण-रावण भी सौतेले भाई

रावण के भाइयों में विभीषण धर्म को मानने वाला था। उन्होंने ही रावण को मारने का तरीका प्रभु श्रीराम को बताया था। वे असल में, रावण के सौतेले व कुबेर के सगे भाई थे।

ग्रहों की चाल बदलने में माहिर

रावण ने अपने बेटे मेघनाद के जन्म के समय ग्रहों को आदेश दिया था कि वे बच्चे के 11वें भाव में रहें, ताकि वह अमर हो सके। मगर, शनिदेव ने ऐसा करने से मना किया और वे बच्चे के 12वें भाव में रहें। इसी कारण मेघनाद अमर नहीं हो पाया था। इसपर रावण को गुस्सा आया और उन्होंने शनिदेव को बंदी बना लिया। तब देवताओं के आग्रह पर उन्होंने शनिदेव को बंदीमुक्त किया।

यहां दशहरे के दिन मनाया जाता है शोक

देशभर में दशहरे के दिन रावण दहन मनाया जाता है। इसके मगर मध्यप्रदेश के विदिशा के पास नटेरन नामक गांव में रावण दहन पर शोक मनाया जाता है। इस दिन यहां के लोग रावण की बरसी मनाते हैं और पूजा करते हैं। कहा जाता है कि नटेरन असल में मंदोदरी का गांव था। ऐसे में रावण इस गांव का दामाद माना जाता है। इसलिए यहां पर रावण दहन के दिन रावण झांकी सजाई जाती है।


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