खादी बोर्ड डायरेक्टर ने डीजीपी को दी लॉटरी माफिया की शिकायत, एएसपी ने समन भेज कहा गवाह समेत हाजिर हों
मेजर सिंह ने डीजीपी दिनकर गुप्ता से शिकायत की कि लॉटरी की आड़ में दड़े-सट्टे का खुलकर गोरखधंधा चल रहा है।
मनीष शर्मा, जालंधर
खादी बोर्ड के डायरेक्टर मेजर सिंह ने डीजीपी दिनकर गुप्ता से शिकायत की कि जालंधर शहर और देहात एरिया में लॉटरी की आड़ में दड़े-सट्टे का खुलकर गोरखधंधा चल रहा है। दिन भर दिहाड़ी कर रोजी-रोटी कमाने वाले लूटे जा रहे हैं। जरूरतें पूरी नहीं होती तो इसके लिए वे अपराधी बन रहे हैं। इस पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।
डीजीपी ऑफिस से शिकायत देहात पुलिस के एएसपी आदमपुर अंकुर गुप्ता के पास जांच के लिए आई तो उनकी तरफ से डायरेक्टर मेजर सिंह को ही समन भेज दिया। समन में कहा गया कि वे तय तिथि को सुबह 11 बजे गवाह समेत उनके दफ्तर में हाजिर हों। समन मिला तो डायरेक्टर मेजर सिंह भी पुलिस के रवैये पर हैरान रह गए। हालांकि उन्होंने अपने बयान दिए कि उन्होंने एक खबर के आधार पर यह शिकायत दी थी। पुलिस इसकी जांच करे और लॉटरी माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
यह मामला इस लिहाज से भी ज्यादा गंभीर है क्योंकि पंजाब में सत्ता में बैठी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से लेकर विधायक व अन्य चुने हुए नुमाइंदे अक्सर आरोप लगाते रहे हैं कि राज्य में अफसरशाही उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही। कुछ दिन पहले जब पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ जालंधर आए तो भी जोर-शोर से यह मामला उठा।
वहीं, एएसपी अंकुर गुप्ता ने कहा कि वो एएसपी हैं और आइपीएस अधिकारी हैं। वो शिकायत को खुद डील कर रहे हैं, इसलिए उन्हें बुलाया गया था। फोटो- 501
- मेरे साथ ये रवैया तो आम लोगों का क्या होगा : मेजर सिंह
पंजाब खादी बोर्ड के डायरेक्टर मेजर सिंह ने कहा कि वो चंडीगढ़ गए थे। वहां उनकी डीजीपी से मुलाकात हुई। मुझे पता चला कि जालंधर में शहर के साथ देहात लॉटरी माफिया सक्रिय है। शहर में थाना एक, दो, आठ और देहात में आदमपुर, पतारा एरिया में लॉटरी माफिया लोगों को लूट रहा है।
मैंने वहां डीजीपी दिनकर गुप्ता को शिकायत दी कि ऐसी लूट नहीं होनी चाहिए, इस पर वो तुरंत रोक लगाएं। 25 अक्टूबर को शिकायत देने के बाद 15 नवंबर को उन्हें एएसपी अंकुर गुप्ता की तरफ से समन आ गया कि उनकी शिकायत के संबंध में 20 नवंबर को वो सुबह 11 बजे गवाह समेत हाजिर हों। मैं यह देखकर हैरान रह गया, मैंने तो जनप्रतिनिधि होने के नाते पुलिस के आगे लोगों की लूट को उजागर किया था। मुझे ही गवाह लाने के लिए कहा जा रहा है। मैं तो चला भी गया और पूरी बात बताई कि जब पुलिस थानों में ही लॉटरी माफिया के लूट के पर्चे खुद पुलिस ही दर्ज कर रही है तो इससे बड़ा और क्या सबूत चाहिए? मैं तो यह सोचकर हैरान हूं कि अगर आम आदमी शिकायत करेगा तो उसके साथ पुलिस क्या करेगी? शायद पुलिस के इसी रवैये की वजह से लोग अन्याय व अपराध के खिलाफ सामने नहीं आते क्योंकि पुलिस तो उलटा उनसे ही सवाल-जवाब करने लगेगी। मैं इस संबंध में डीजीपी को बताउंगा कि पुलिस का अपराध की सूचना देने का रवैया क्या है। फोटो- 502
- जनरल शिकायत थी, मैंने गंभीरता से लिया : एएसपी
आदमपुर के एएसपी अंकुर गुप्ता ने कहा कि डीजीपी दफ्तर से उन्हें जांच के लिए जनरल शिकायत आई थी। जो देहात के साथ शहर के कुछ थाने के इलाकों की भी थी। शिकायत मिली तो उसके बाद शिकायतकर्ता को बुलाया गया कि अगर कहीं लॉटरी या दड़े-सट्टे के काम का कोई खास एरिया है तो उसके बारे में बता दें ताकि वहां पर जांच के बाद कार्रवाई की जा सके। हम उनसे खुफिया तौर पर जानना चाहते थे और नाम भी गुप्त ही रखना था। शिकायत आती है तो शिकायतकर्ता को इसी प्रक्रिया से बुलाते हैं। फोन पर भी सूचित करने को कहा गया था। मैंने तो खुद इस शिकायत को काफी गंभीरता से लिया और खुद इसकी जांच शुरू की। जब उनसे डायरेक्टर को समन भेजकर बुलाने की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि आइपीएस व एएसपी होने के नाते वो शिकायत को खुद डील कर रहे थे। इसमें दूसरी कोई बात नहीं है।