कंबोज बिरादरी बना या बिगाड़ सकती है समीकरण
शाहकोट विधानसभा उपचुनाव में कंबोज बिरादरी के 50 हजार वोट निर्णायक भूमिका अदा सकते हैं। विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी की टिकट लड़कर करीब 45 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे कंबोज बिरादरी के डॉ. अमरजीत ¨सह ¨थद को अकाली दल में शामिल करवाकर सुखबीर बादल भी यह स्पष्ट संदेश दे चुके हैं कि स्व. अजीत ¨सह कोहाड़ के किले को सेंधमारी से बचाने के लिए उन्हें भी कंबोज बिरादरी का साथ लेना ही पड़ेगा।
कुसुम अग्निहोत्री, जालंधर
शाहकोट विधानसभा उपचुनाव में कंबोज बिरादरी के 50 हजार वोट निर्णायक भूमिका अदा सकते हैं। विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी की टिकट लड़कर करीब 45 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे कंबोज बिरादरी के डॉ. अमरजीत ¨सह ¨थद को अकाली दल में शामिल करवाकर सुखबीर बादल भी यह स्पष्ट संदेश दे चुके हैं कि स्व. अजीत ¨सह कोहाड़ के किले को सेंधमारी से बचाने के लिए उन्हें भी कंबोज बिरादरी का साथ लेना ही पड़ेगा। ऐसे में अब कांग्रेस के लिए सत्ताधारी पार्टी होने के बावजूद उम्मीदवार ढूंढ़ना टेड़ी खीर साबित होगा। फिलहाल, सीट के लिए कांग्रेस में एक अनार सौ बीमार जैसे हालात हैं। स्थानीय के साथ-साथ कई बाहरी दिग्गज भी इस सीट पर अपना हाथ अजमाने में जुटे हुए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस इस सीट को किसी भी सूरत में हारना नहीं चाहती है। पार्टी ने अलग-अलग सर्वे टीमें भेजकर उम्मीदवारों की स्थिति का जायजा लेना शुरू कर दिया है।
कंबोज बिरादरी भले ही यहां की सीट के हार-जीत के फैसले के लिए काफी अहम होगी इसके बावजूद बड़ी पार्टियां से यहां से कंबोज बिरादरी का उम्मीदवार उतारने के लिए तैयार नहीं है। कारण, अकाली दल ने पहले ही अजीत ¨सह कोहाड़ के बेटे नायब ¨सह कोहाड़ को यहां से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इस कारण कांग्रेस की भी यहां से किसी कंबोज बिरादरी के उम्मीदवार को उतारने की संभावना कम ही लग रही है। वैसे भी आज तक कोई बाहरी प्रत्याशी शाहकोट से नहीं जीता है।
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
स्थानीय बनाम बाहरी
कांग्रेस से टिकट के लिए स्थानीय के साथ-साथ बाहरी नेता भी जोर लगा रहे हैं। स्थानीय नेताओं में विधानसभा चुनाव में अकाली नेता स्व. अजीत ¨सह कोहाड़ से मात्र 4905 वोटों से हारने वाले लाडी शेरेवालिया के अलावा बृज भूपिंदर लाली, डॉ. नवजोत दहिया, कैप्टन हरमिंदर ¨सह और एड. जसप्रीत ¨सह हैं। प्रमुख बाहरी नेताओं में पूर्व सीएम राजिंदर कौर भट्ठल, लाल ¨सह व पूर्व मंत्री अवतार हैनरी के नाम सबसे आगे हैं।
किसमें है कितना दम
1. लाडी शेरोवालिया
पिछली बार यहां से लाडी शेरेवालिया कांग्रेस की लहर के बावजूद जीत नहीं पाए थे। बड़ा सवाल है कि क्या पार्टी दोबारा अपने हारे हुए उम्मीदवार पर दांव खेलना चाहेगी।
2. बृज भूपिंदर लाली
बृज भूपिंदर लाली पुराने नेता हैं लेकिन वह भी 1985 में अकाली दल के बलबंत ¨सह से 6414 वोटों से हार चुके हैं।
3. डॉ. नवजोत दहिया
डॉ. दहिया की लोकल वोटरों पर अच्छी पकड़ है, लेकिन वह हमेशा शहरी व देहाती की मझधार में फंसे रहते हैं।
4. एड. जसप्रीत सिंह
युवा नेता एडवोकेट जसप्रीत ¨सह एक तरफ जहां टकसाली कांग्रेस परिवार से हैं तो दूसरी तरफ उनकी युवाओं पर अच्छी पकड़ है। हालांकि वह अभी राजनीति में करियर शुरू कर रहे हैं। नए खिलाड़ी पर पार्टी कितना विश्वास जताती है यह तो समय ही बताएगा।
5. कैप्टन हरमिंदर सिंह
दावेदारों में जिला कांग्रेस देहाती के प्रधान कैप्टन हर¨मदर ¨सह का नाम भी शामिल है। एक तो वह कंबोज विरादरी से हैं दूसरा सीएम के नजदीकियों में उनका नाम प्रमुखता से लिया जाता है। हालांकि बीते एक साल से जिला प्रधानगी के विवाद से बाहर नहीं निकल पाना उनकी राह का रोड़ा बन सकता है।
6. अवतार हैनरी
पूर्व कैबिनेट मंत्री अवतार हैनरी की ओर से शाहकोट में की गई कई बैठकों के बाद उनकी भी टिकट की दावेदारी बताई जा रही थी। हालांकि कैप्टन का एक परिवार एक टिकट का फार्मूले उनके लिए सबसे बड़ी मुश्किल है। उनके पुत्र पहले ही जालंधर नॉर्थ से विधायक हैं।
------------------------
पूर्व सीएम राजिंदर कौर भट्ठल की राह आसान नहीं
रा¨जदर कौर भट्टल व लाल ¨सह का बाहरी होने के बावजूद यहां से टिकट की दावेदारी करना कितना सही होगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन एक बात तय है, उनकी राह आसान नहीं होगी। सीडी कंबोज सहित किसी भी बाहरी उम्मीदवार को शाहकोट की जनता ने आज तक नहीं कबूला है। यहां तक कि लोगों ने बाहरी उम्मीदवार को टिकट देने की चर्चाएं होने पर बीते सप्ताह रोष प्रदर्शन किया था।
सीटी पर वोटों का गणित
1,72,081 वोटर इस बार उप-चुनाव में वोट डालेंगे
50,000 के करीब सबसे अधिक वोट हैं कंबोज बिरादरी के
45 हजार के करीब वोट हैं जंट्टों के
35 से 40 के बीच वोट हैं वाल्मीकि समाज के
12 हजार के करीब वोट राय सिख समाज के हैं।
6 हजार वोट रविदासिया समुदाय
20 हजार करीब वोटरामगाड़िया, ¨हदू व अन्य समुदाय के वोटर हैं।