Move to Jagran APP

वाह रे निगम! एक साल से खराब पड़े जेसीबी और टिप्परों को कागजों में ही चलाते रहे

एक साल से अधिकारी लंबे समय से खराब पड़ी जेसीबी मशीनों और टिप्परों को कागजों में चलता दिखाकर बड़ा घोटाला करते रहे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 01:44 PM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 01:44 PM (IST)
वाह रे निगम! एक साल से खराब पड़े जेसीबी और टिप्परों को कागजों में ही चलाते रहे
वाह रे निगम! एक साल से खराब पड़े जेसीबी और टिप्परों को कागजों में ही चलाते रहे

जागरण संवाददाता, जालंधर : फाइनांस एंड कांट्रेक्ट कमेटी (एफएंडसीसी) की बैठक में नगर निगम में भ्रष्टाचार के कई बड़े मामले उजागर हो गए। एक साल से अधिकारी लंबे समय से खराब पड़ी जेसीबी मशीनों और टिप्परों को कागजों में चलता दिखाकर बड़ा घोटाला करते रहे। आउटसोर्स मुलाजिमों के नाम पर हर महीने भुगतान होता रहा। मेयर ने जब आउटसोर्स मुलाजिमों की संख्या पूछी तो अफसर एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। उसके बाद जब मेयर जगदीश राजा ने जब ओएंडएम (वाटर एंड सीवरेज) विभाग के स्टोर का रजिस्टर मंगाकर ब्योरा चेक किया तो अफसर एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए भिड़ गए। मेयर ने अफसरों से दो दिन में पूरा हिसाब देने अन्यथा जांच विजिलेंस को सौंपने की चेतावनी दी है। ढाई घंटे चली बैठक में 5.70 करोड़ रुपये के विकास कार्यों के प्रस्तावों को मंजूरी भी दी गई।

loksabha election banner

इसके अलावा बैठक के दौरान नए ट्यूबवेल लगाने के 11 लाख रुपये से ज्यादा के प्रस्ताव में गड़बड़ी की आशंका के चलते उसे रोक दिया गया। वहीं, बिजली के सामान की खरीद पर 50 फीसद कटौती कर दी गई।

भ्रष्टाचार के तीन मामले

1. मुलाजिमों की संख्या पता नहीं, फिर भी होता रहा भुगतान

अफसरों ने अगली अवधि के लिए मैनपावर की आउटसोर्सिग के लिए 25 प्रतिशत राशि की बढ़ोतरी का प्रस्ताव एफएंडसीसी के सामने पेश कर दिया। मेयर राजा ने कर्मचारियों की कुल संख्या पूछी तो अधिकारियों के पसीने छूट गए। आउटसोर्स मुलाजिमों की संख्या बताने के लिए अधिकारियों ने मेयर से दो दिन का समय मांगा है। बड़ा सवाल है कि जब अधिकारियों को आउटसोर्स मुलाजिमों की संख्या ही नहीं पता है तो वेतन वे वेतन का भुगतान किसे करते रहे हैं। 2. एक करोड़ का सामान मंगाया, रजिस्टर में डेढ़ साल से एंट्री नहीं

नगर निगम के 27 वर्षो के इतिहास में पहली बार किसी मेयर ने एफएंडसीसी की बैठक में स्टोर का रजिस्टर चेक किया। रजिस्टर में पिछले डेढ़ साल के दौरान मंगाए गए एक भी सामान की एंट्री नहीं है, जबकि मेंटीनेंस के नाम पर डेढ़ साल में 25-25 हजार रुपये का सामान मंगाने के एक करोड़ के लगभग बिल पास कर उनके भुगतान भी किए जा चुके हैं। सामान मंगाया भी गया या नहीं, इसका रजिस्टर में कोई हिसाब नहीं है। 3. सामान पर 18 के बजाय 28 फीसद जीएसटी लगाया

बैठक दौरान जिन सामानों पर जीएसटी 28 से घटकर 18 फीसद हो गया है, उन पर प्रस्तावित बजट में जीएसटी की दर 28 प्रतिशत ही प्रस्तावित की गई थी। हालांकि मंजूरी 18 प्रतिशत को दी गई।

-------------------------------- यूं मेयर और डिप्टी मेयर के सवालों के आगे ढीले पड़े अफसरों के तेवर

बैठक के एजेंडे में निगम के ओएंडएम विभाग के एसई और एक्सईएन ने प्रस्ताव संख्या-128 रखा था। इसमें नगर निगम की गाड़ियों को चलाने के लिए आउटसोर्सिंग के जरिए मैनपावर के रूप में ऑपरेटर, ड्राइवर और हेल्पर रखे गए थे। वर्कशॉप शाखा ने 1,35,82,220 का प्रस्ताव 1 फरवरी 2016 में पारित किया था। इसमें नगर निगम गाड़ियां नहीं खरीद सका था। 21 अलग-अलग गाड़ियों के संचालन के लिए मैनपावर के लिए नगर निगम ने 66.88 लाख रुपये का टेंडर निकाला था। ये टेंडर ठेकेदार गौरव गुप्ता के पक्ष में 63.33 लाख रुपये में मंजूर किया गया था। ठेके की अवधि अब खत्म होने वाली है। निगम अफसरों ने नए सिरे से 25 फीसद राशि बढ़ाते हुए इस बार 83.58 लाख रुपये में मैनपावर सप्लाई करने के कांट्रेक्ट का एस्टीमेट तैयार किया था। मेयर और डिप्टी मेयर आशंका हुई क्योंकि जिन 21 गाड़ियों के लिए मैनपावर हायर करने का प्रस्ताव था, उनमें से कई गाड़ियां 1 साल से खराब पड़ी हैं। इनसे संबंधित मैनपावर की राशि किसे दी गई, आगे किसे दी जानी है, ये सवाल पूछे जाने पर अधिकारियों की होश उड़ गए। मेयर ने जब मैनपावर और उन्हें भुगतान करने वाला रजिस्टर मांगा तो अधिकारी टालमटोल करने लगे। काफी देर बाद बताया गया कि रजिस्टर मिल नहीं रहा है। नगर निगम के एसई (ओएंडएम) किशोर बांसल ने जो स्टॉक रजिस्टर कमेटी को सौंपा, उसमें मेंटीनेंस का सामान मंगाने का डेढ़ साल से कोई लेखा-जोखा दर्ज ही नहीं था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.