सूखे पत्तों, फूलों और लकड़ियों में जान डाल देती हैं जालंधर की वुड आर्टिस्ट सुप्रिया, आप भी देखें शानदार कलाकृतियां
जालंधर की सुप्रिया शर्मा ने सूखे पत्तों फूलों और छोटी-छोटी लकड़ियों को इकट्ठा कर उन्हें आर्ट का ऐसा रूप दिया कि देखने वाला वाह-वाह कहते नहीं थकता। उन्होंने सूखे पत्तों और लकड़ियों में जान डालने के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी कार्य किया है।
प्रियंका सिंह, जालंधर। अक्सर लोग पार्कों और सड़कों के किनारे सूखे पत्तों और लकड़ियों के ढेर को जला देते हैं। इससे वायु प्रदूषण फैलता है, यह तो सबको पता है लेकिन इसे रोका कैसे जाए, इस बारे में बहुत कम लोग सोचते हैं। इन्हीं में से एक हैं 'वुडन मेकर्स' की फाउंडर सुप्रिया शर्मा। उन्होंने सूखे पत्तों, फूलों और छोटी-छोटी लकड़ियों को इकट्ठा कर उन्हें आर्ट का ऐसा रूप दिया कि देखने वाला वाह-वाह कहते नहीं थकता। उन्होंने सूखे पत्तों और लकड़ियों में जान डालने के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी कार्य किया है।
सुप्रिया बचपन से ही आर्ट एंड क्राफ्ट के लिए पत्ते और लकड़ियां इकट्ठी कर रही हैं। उनकी डिजाइनिंग करके वे घर की सजावट में इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं तैयार करती हैं। लोगों को उनका काम काफी पसंद आ रहा है। इस काम में उनके पति राजीव शर्मा सहित पूरा परिवार सहयोग कर रहा है। आर्ट के शौक ने आज उन्हें प्रसिद्ध आर्ट एंड क्राफ्ट आर्टिस्ट बना दिया है।
घर से शुरू हुआ काम स्टूडियो में तब्दील
सुप्रिया ने डेविएट कालेज से कंप्यूटर एप्लीकेशन की पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने पिता स्व. शाम लाल से प्रेरित होकर इस आर्ट को चुना। पिता बहुत अच्छा टेलीग्राफी करते थे। सुप्रिया बचपन से ही यह घर में पड़े व्यर्थ सामान का उपयोग कर पेंटिंग्स बनाती रहती थी। जब उन्हें जयपुर जाने का मौका मिला तो वहां के आर्ट से भी वह काफी प्रेरित हुईं और अपना एक यूनीक स्टाइल विकसित किया। घर से शुरू हुआ काम अब एक स्टूडियो में तब्दील हो गया है। रेसिंग आर्ट से शुरुआत की और अब वह वुडन के विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने लगी हैं। इसके लिए वह शहर के विभिन्न पार्कों, सड़क के किनारों और खुले स्थानों से सूखे पत्तों के ढेर, बिखरे हुए फूल, सूखी लकड़ियां एकत्रित करती हैं। उनका कहना है कि बचपन से ही हो लोगों को खुले में सूखे पत्ते के ढेर और लकड़ियों को फेंकते और जलाते हुए देखा। उनके मन में यह आइडिया आया कि क्यों ना इनका इस्तेमाल आर्ट एंड क्राफ्ट में किया जाए और पर्यावरण को भी प्रदूषित होने से बचाया जाए।
रास्ते में चलते समय उन्हें कुछ भी बिखरा हुआ मिलता है तो वह उसे उठा लेती हैं और उसका उपयोग बेहतरीन डिजाइन बनाने में उपयोग करती हैं। तब से ही वह इनका इस्तेमाल थ्री डी आर्ट, डिजाइनर थीम पेंटिंग्स, कोचर, ट्रेस, फोटो फ्रेम जैसी अन्य कई चीजें बनाने के लिए करने लगी। फैक्ट्री या फिर आरे पर भी जो लकड़ियां उनके लिए फालतू होती हैं, उन्हें वह खरीद लाती हैं। फिर उन्हें डिजाइन करके एक अलग रूप देती हैं। एक नया आर्ट बनाती हैं।
कोई भी चीज व्यर्थ नहीं होती
सूखी लकड़ियों में जान डाल देने वाली सुप्रिया ने बताया कि उनके डिजाइन की हुई वस्तुएं सबसे हटकर हैं। प्रकृति की कोई भी चीज फालतू या खराब नहीं होती, मेरे लिए हर एक चीज काम की है। मेरे काम को ही देखकर लोग मेरे पास आते हैं और अपनी पसंदीदा होम डेकोर की वस्तुएं, रेसिंग आर्ट, जिस की डिमांड अभी बहुत ज्यादा है, थीम पेंटिंग्स बनवाते हैं। यह काम करके मुझे बहुत सुकून मिलता है।
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