जालंधर में Sports Trophy तैयार करने वालों का कारोबार चौपट, खेल टूर्नामेंट ना होने से तालाबंदी की कगार पर पहुंचे
Jalandhar Trophy Industry महानगर में कुल 30 ट्राफियां तैयार करने वाले यूनिटें हैं। ये प्रति महीना एक से दो लाख रुपये के बीच कारोबार करती हैं। इनका महीने का कारोबार दस से पंद्रह हजार रुपये के बीच रह गया है।
जालंधर [कमल किशोर]। जिले की चमड़ा, आटो पार्ट्स, हैंड टूल्स, चप्पल इंडस्ट्री का कारोबार पटरी पर आना शुरू हो गया है। बावजूद इसके स्पोर्ट्स ट्राफी तैयार करने वाली यूनिटों का कारोबार खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। अब तक खेल टूर्नामेंट शुरू ना होने के कारण ट्राफियां तैयार करने वाले यूनिट खुले जरूर लेकिन उनके पास ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं। पंजाब के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान में होने वाले खेल टूर्नामेंट करवाने वाले आयोजक जालंधर खेल इंडस्ट्री से खरीदारी करते थे। वर्तमान में ट्राफियों की खरीदारी ना के बराबर है।
आम दिनों में ट्राफियां बनाने वाली हर यूनिट प्रति महीना एक से दो लाख रुपये के बीच कारोबार करती थी। लाॅकडाउन में यूनिट बंद रहने से कारोबार ना करे बराबर हुआ। ट्राफियां के कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि जब तक खेल टूर्नामेंट शुरू नहीं होते, तब तक कारोबार चौपट रहेगा। बता दें कि जिले में कुल 30 ट्राफियां तैयार करने वाले यूनिटें हैं। ये प्रति महीना एक से दो लाख रुपये के बीच कारोबार करती हैं। इनका महीने का कारोबार दस से पंद्रह हजार रुपये के बीच रह गया है।
नहीं हुए सेवानिवृत्त समारोह
स्कूलों व कालेजों में शिक्षकों की सेवानिवृत्त पार्टियां होती थी। प्रबंधन शिक्षकों को यादगारी के तौर पर ट्राफी तैयार करके स्मृति चिन्ह के रूप में देता था। स्कूल व कालेज बंद होने से सेवानिवृत्त पार्टियां भी नहीं हो रही हैं। इससे भी कारोबार को भारी नुकसान हुआ है।
इन टूर्नामेंट की तैयार होती थी ट्राफियां
छोटे-बड़े खेल टूर्नामेंट की ट्राफियां जालंधर खेल इंडस्ट्री बस्ती नौ से तैयार होती थी। जालंधर में होने वाले ओलंपियन सुरजीत हॉकी टूर्नामेंट, पंजाब स्कूल गेम्स, जिला व राज्य स्तरीय गेम्स, कालेज व यूनिवर्सिटी दीक्षांत समारोह, जिला व राज्य स्तरीय क्रिकेट टूर्नामेंट, पिछले वर्ष हुई सीनियर नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता की ट्राफियां जालंधर में ही बनी थी।
खेल टूर्नामेंट व स्कूल-कालेज बंद होने की वजह से कारोबार चौपट
पैराडाइज ट्राफी कंपनी के मालिक सतपाल ने कहा कि आम दिनों में प्रत्येक यूनिट प्रति महीना एक से दो लाख रुपये के बीच कारोबार करता था। खेल टूर्नामेंट व स्कूल-कालेज बंद होने की वजह से कारोबार चौपट हो चुका है। जब तक टूर्नामेंट शुरु नहीं होते हैं, तब तक कारोबार पटरी पर नहीं आएगा।