Jalandhar Sanskarshala: डांटकर नहीं बल्कि प्यार से बच्चों के साथ समय बिताते हुए आदतों में बदलाव लाएं
Jalandhar Sanskarshala जालंधर में प्रधानाचार्य अबकार सिंह और प्रिंसिपल गुरिंदरजीत कौर ने कहा कि परिजनों को बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए। प्यार मिलने पर उनकी आदतों में बदलाव आएगा। इसके साथ ही उन्हें गेम्स खेलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
जागरण संवाददाता, जालंधर। डिजिटल युग में बढ़ रहे विद्यार्थियों के जीवन का हिस्सा इंटरनेट मीडिया और मोबाइल बन चुके हैं। वे इसे ही अपना सबकुछ मान चुके हैं और इसकी उन्हें आदत भी लग चुकी है। तभी तो चाहे कुछ भी हो आज का युवा हर समय इंटरनेट मीडिया का प्रयोग करते हुए या सेल्फी लेते हुए दिखाई देता है।
कोविड-19 काल में शिक्षा को जारी रखने के लिए इंटरनेट बहुत बड़ा और उपयोगी साधन बना था। लोगों ने इससे सीखा, समझा और अपनी सुविधानुसार इंटरनेट मीडिया का उपयोग किया। इस दौरान युवाओं की तरफ से हद से ज्यादा भी इसका उपयोग किया गया, जो गलत था और है।
अब उन्हें इसके खिलाफ जागरूक करना होगा, क्योंकि डरा-धमका कर कोई भी चीजें नहीं हटवाई जा सकती हैं। अध्यापकों और अभिभावकों का ये फर्ज बनता है कि वे विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा समझें और जागृत करें। डांट और फटकार कर नहीं प्यार से समझाना पड़ेगा।
घर पर अभिभावक किसी न किसी बहाने से अपनी नजदीकियों को बढ़ाते हुए उनके साथ समय बिताएं। धीरे-धीरे उन्हें माता-पिता का साथ अच्छा लगने लगेगा और इंटरनेट मीडिया या मोबाइल फोन से बच्चे दूर होते जाएंगे। -अबकार सिंह, प्रधानाचार्य, आरकेएम गीता मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल माडल टाउन, जालंधर।
कोरोना काल के दो वर्षों तक विद्यार्थियों ने मोबाइल का खुलकर प्रयोग किया। जो पढ़ाई प्रति गंभीर थे उन्होंने तो इस डिजिटल प्रणाली व तकनीक से फायदा उठाया। वहीं कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने पढ़ाई के प्रति तो गंभीरता नहीं दिखाई पर इंटरनेट मीडिया पर खूब सक्रिय रहे।
इस वजह से उनका इस पर कुछ ज्यादा ही गलत प्रभाव पड़ा। कारण, कोरोना काल में लंबे समय तक उन्होंने मोबाइल फोन को ही अपने जीवन का हिस्सा बना लिया था। अब सब कुछ सामान्य हो गया है, लेकिन वो इससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
ध्यान रखें कि डांटने या मारने से बच्चों में इंटरनेट या मोबाइल के इस्तेमाल प्रति बढ़ी आदत घटेगी नहीं बल्कि बढ़ेगी। इस गंभीर समस्या का हल अभिभावकों को घर में बच्चों के साथ समय बिताते हुए और उन्हें इनडोर या आउटडोर खेल गतिविधियों में शामिल करवाते हुए निकालना पड़ेगा।
बच्चों के लिए समय निकालें और उनके साथ खेलें, इंटरनेट के प्रयोग के फायदे बताएं व अच्छी जानकारियां जुटाने वाली साइट्स के बारे में बताएं। अभिभावक इस तरह की दिनचर्या बनाकर बच्चों की आदतों में निश्चित ही सुधार ला सकते हैं। -गुरिंदरजीत कौर, प्रधानाचार्य, सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल नेहरू गार्डन, जालंधर।
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