जालंधर में नशेड़ियों और अपराधियों का अड्डा बने रेलवे के खाली क्वार्टर, 2 साल में हुई सैकड़ों वारदातें
जालंधर रेलवे स्टेशन के पास बनाए गए रेलवे क्वार्टर वहां पर रहने वाले लोगों के लिए मुसीबत बन चुके हैं। ज्यादातर रेलवे क्वार्टर खाली हैं और रात होते ही ये नशेड़ियों और अपराधियों का अड्डा बन जाते हैं।
जालंधर, जेएनएन। शहर में रेलवे स्टेशन के पास बनाए गए रेलवे क्वार्टर वहां पर रहने वाले लोगों के लिए मुसीबत बन चुके हैं। ज्यादातर रेलवे क्वार्टर खाली हैं और रात होते ही ये नशेड़ियों और अपराधियों का अड्डा बन जाते हैं। इस एरिया में निकलने वाले लोगों के साथ दर्जनों लूटपाट की वारदातें हो चुकी हैं। अब तो रात के समय लोग इस इलाके से निकलने में भी डरने लगे हैं। यहां तक कि शाम होने के बाद महिलाओं के लिए यह रास्ता खतरे से खाली नहीं है।
यह क्वार्टर रेलवे की तरफ से कर्मचारियों को सुरक्षित और स्टेशन के नजदीक आवास देने के लिए बनाए गए थे, लेकिन विभाग की लापरवाही के चलते इनका रखरखाव नहीं हो रहा। इसके चलते यहां पर रहने वाले लोग बाहर शिफ्ट हो गए। रेलवे स्टेशन के नजदीक रेलवे की चार कालोनियां हैं, जिनमें करीब 200 क्वार्टर बने हुए हैं।
हालात यह हैं कि इनमें से करीब 160 खाली पड़े हुए हैं। 100 के करीब क्वार्टर कंडम हालत में हैं। कई जगह तो झाड़ियों का जंगल बन चुका है और इसमें भांग की जंगली बूटी उगी हुई है। ज्यादातर जगह दलदल बन चुकी है। गुरु नानकपुरा वेस्ट, ईस्ट, रेलवे कालोनी सहित आसपास के एरिया में बीते दो साल में सैकड़ों वारदातें हो चुकी हैं, लेकिन अपराधी पकड़ में नहीं आते। पुलिस भी इस एरिया में रात के समय गश्त के लिए नहीं आती।
कंडम पड़े रेलवे क्वार्टरों में नशेड़ियों और अपराधियों का अड्डा बन जाने से जो गिने चुने कर्मचारी इन क्वार्टरों में रहते हैं, उनको भी खुद की सुरक्षा की चिंता सताती है। रेलवे मुलाजिम और रेल यूनियन भी इन क्वार्टरों में नशे व अपराध को लेकर शिकायतें कर कार्रवाई की मांग कर चुकी हैं। चालीस क्वार्टर में रहने वाले करियाना व्यापारी रितिक ने बताया कि उनकी दुकान बिल्कुल उन क्वार्टरों के सामने है, जहां पर पूरी रात नशेड़ी और अपराधी मौजूद रहते हैं। उनके इलाके के सारे लोग डरे सहमे रहते हैं। पुलिस को कई बार शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। वहीं उत्तर रेलवे मजदूर यूनियन के ब्रांच सचिव विकास जेतली ने बताया कि ज्यादातर क्वार्टर खाली हैं, जिनमें नशेड़ी रहने लगे हैं। उन्होंने बताया कि कई बार इन क्वार्टरों को सही करवाने के लिए विभाग से कहा जा चुका है और पुलिस में भी शिकायतें की गई हैं।
तीन कंडम क्वार्टरों पर चल चुकी है डिच, बाकी का काम अधूरा
विभाग की तरफ से कंडम पड़े क्वार्टरों पर डिच भी चलाई गई थी। आपराधिक घटनाओं की वृद्धि की शिकायतें मिलने के बाद एक बार कार्रवाई कर तीन क्वार्टर गिराए गए थे। इसके बाद दोबारा कार्रवाई नहीं हुई। कर्मचारियों की मानें तो करीब सौ क्वार्टरों पर डिच चलाने की बात हुई थी, लेकिन फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इनका दोबारा निर्माण करवाने की भी योजना बनी थी, लेकिन वो भी कागजों में ही दब कर रह गई है।
खाली क्वार्टरों में नशा करने वालों के खिलाफ कई बार कार्रवाई की गई है। पुलिस को शिकायतें भी दी गई हैं, लेकिन रोजाना पुलिस की गश्त न होने की वजह से नशेड़ी फायदा उठा रहे हैं। बीते साल क्वार्टरों में नशा करने वाले एक युवक की मौत भी हो गई थी। इलाके के लोगों को नशेड़ियों और अपराधियों से मुक्त करवाने के लिए प्रशासन से मिल कर मांग की जाएगी। यदि प्रशासन ने इस तरफ ध्यान न दिया तो इलाके के लोगों के साथ प्रदर्शन किया जाएगा। लोगों को मुसीबत में अकेला नहीं छोड़ेंगे।
रेलवे क्वार्टरों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस वहां पर रूटीन में गश्त करती है। नशा करने वालों और अपराधियों को पकड़ा भी गया है। लोग नशा करने वालों की सूचना पुलिस को दें। उनका नाम पता गुप्त रख कर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
हरसिमरत सिंह, एसीपी सेंट्रल