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जालंधर में स्कूलों की मनमानीः 4 दिन आफलाइन और 2 दिन आनलाइन क्लासें, ट्रांसपोट्रेशन फीस पूरी

कोरोना संक्रमण की चेन आगे न बढ़े और बच्चे सुरक्षित रहें इसके लिए कई स्कूलों में कुछ दिन आफलाइन तो एक-दो दिन आनलाइन क्लास लगती हैं। इसके बावजूद अभिभावकों में इस बात का रोष है कि उनसे ट्रांसपोर्टेशन की फीस पूरी ली जा रही है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 01:49 PM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 01:49 PM (IST)
जालंधर में स्कूलों की मनमानीः 4 दिन आफलाइन और 2 दिन आनलाइन क्लासें, ट्रांसपोट्रेशन फीस पूरी
जालंधर में निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान हैं। सांकेतिक चित्र।

अंकित शर्मा, जालंधर। पंजाब में मिनी लाकडाउन हटने के बाद सरकारी सहित प्राईवेट स्कूल भी खुल चुके हैं। संक्रमण की चेन आगे न बढ़े और बच्चे सुरक्षित रहें, इसके लिए कई स्कूलों में सप्ताह के पांच दिन आफलाइन तो एक दिन आनलाइन क्लास लगती हैं। कई स्कूलों में दो दिन की क्लास के बीच में एक दिन आफलाइन क्लासें लगाने का मास्टर प्लान बना है। प्राईवेट व कान्वेंट स्कूलों में सीटिंग प्लान में ही यही प्रबंध है। जिस बेंच या सीट पर बच्चे एक दिन बैठते हैं, वहां पर दूसरे दिन नहीं बैठते हैं। प्रत्येक दो विद्यार्थियों के बीच एक सीट का गैप रहता है। ऐसे में कक्षाओं को सैनिटाइज करने के लिए ही एक या दो दिन आफलाइन क्लासें लगाई जा रही हैं। 

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इसके बावजूद अभिभावकों में इस बात का रोष है कि उनसे ट्रांसपोर्टेशन की फीस पूरी ली जा रही है। संसारपुर के रहने वाली दीप सिंह कहते हैं कि बेटी पांचवीं कक्षा में पढ़ती है। जब से स्कूल खुले हैं, पहले तो ट्रांसपोर्टेशन सेवा शुरू नहीं की गई थी। फिर, सितंबर से स्कूल ने ट्रांसपोर्टेशन सेवा शुरू कर दी है। सप्ताह में प्रत्येक शनिवार को आनलाइन क्लास होती है, जबकि बाकी के वर्किंग डेज में आफलाइन क्लासें लगती हैं। इस सबके बावजूद ट्रासंपोर्टेशन के पूरे पैसे 1600 रुपये ही लिए जा रहे हैं। स्कूल से कहा भी था कि कुछ तो कम किए जा सकते हैं, मगर कोई असर नहीं हुआ।

इस्लामगंज के वरिंदर बजाज कहते हैं कि वे कारोबारी होने के कारण बच्चे को स्कूल छोड़ने व लेने नहीं जा सकते थे। यही कारण है कि जब स्कूल की तरफ से ट्रांसपोर्टेशन सेवा शुरू की बच्चे को स्कूल भेजना शुरू कर दिया। बेटे की सप्ताह में चार दिन क्लासें लगती हैं और दो दिन आफलाइन क्लासें। यानी कि प्रत्येक दो दिन आफलाइन के बाद एक आनक्लास लगती है। ऐसे में स्कूल की तरफ से ट्रांसपोर्टेशन चार्जेज में कोई कमी नहीं की गई। ये कहा जाता है कि अगर नहीं दे सकते तो आप खुद बच्चे को स्कूल छोड़ने व ले जाने की व्यवस्था कर लें। स्कूलों को चाहिए की अब पहले जैसे हालात तो नहीं रहे। जब स्कूल की तरफ से जितनी फीसें व चार्जेज मांगे जाते थे उन्हें दे दिए जाते थे। उन्हें अभिभावकों की परेशानी भी समझनी चाहिए।

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